नई दिल्ली

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया और कहा, मैं 68वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को बधाई देता हूं। हमारी अर्थव्यवस्था चुनौतीपूर्ण वैश्विक गतिविधियों के बावजूद अच्छा प्रदर्शन कर रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि काले धन को बेकार करते हुए और भ्रष्टाचार से लड़ते हुए, विमुद्रीकरण से आर्थिक गतिविधि में, कुछ समय के लिए मंदी आ सकती है। डिजिटल पेमेंट से लेनदेन में भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने की पुरजोर वकालत की और नोटबंदी का समर्थन किया। इन दोनों मुद्दों पर सरकार का जोर रहा है। प्रणब ने चुनाव आयोग से कहा कि वह राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करके दोनों चुनाव साथ कराने के विचार को आगे बढ़ाए।

राष्ट्रपति ने जोर दिया कि देश की ताकत इसकी बहुलतावाद और विविधता में निहित है और भारत में पारंपरिक रूप से तर्कों पर आधारित भारतीयता का जोर रहा है, न कि असहिष्णु भारतीयता का। उन्होंने कहा कि  हमारे देश में सदियों से विविध विचार, दर्शन एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्ण ढंग से प्रतिस्पर्धा करते रहे हैं। प्रणब मुखर्जी ने भारतीय लोकतंत्र की ताकत को रेखांकित किया लेकिन संसद और राज्य विधानसभाओं में व्यवधान के प्रति सचेत भी किया।

हम वैज्ञानिक और तकनीकी जनशक्ति के दूसरे सबसे बड़े भंडार,  तीसरी सबसे बड़ी सेना,  नाभिकीय क्लब के छठे सदस्य हैं। अंतरिक्ष की दौड़ में शामिल छठे सदस्य और दसवीं सबसे बड़ी औद्योगिक शक्ति हैं। एक निवल अनाज आयातक देश से भारत अब खाद्य वस्तुओं का एक अग्रणी निर्यातक बन गया है। अब तक की यात्रा घटनाओं से भरपूर,  कभी-कभी कष्टप्रद परंतु अधिकांशतः आनंददायक रही है। जैसे हम यहां तक पहुंचे हैं वैसे ही और आगे भी पहुंचेंगे। परंतु हमें बदलती हवाओं के साथ तेजी व दक्षतापूर्वक रुख में परिवर्तन करना सीखना होगा।

प्रगतिशील विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उन्नति से पैदा हुए तीव्र व्यवधानों को समायोजित करना होगा। नवाचार  और उससे भी अधिक समावेशी नवाचार को एक जीवनशैली बनाना होगा। मनुष्य और मशीन की दौड़ में  जीतने वाले को रोजगार पैदा करना होगा। प्रौद्योगिकी अपनाने की रफ्तार के लिए एक ऐसे कार्यबल की आवश्यकता होगी जो सीखने और स्वयं को ढालने का इच्छुक हो।

हमारी शिक्षा प्रणाली को हमारे युवाओं को जीवनपर्यंत सीखने के लिए नवाचार से जोड़ना होगा। स्वतंत्र भारत में जन्मी  नागरिकों की तीन पीढि़यां औपनिवेशिक इतिहास के बुरे अनुभवों को साथ लेकर नहीं चलती हैं। लोकतंत्र ने हम सब को अधिकार प्रदान किए हैं। परंतु इन अधिकारों के साथ-साथ दायित्व भी आते हैं। आज युवा आशा और आकांक्षाओं से भरे हुए हैं।

खुशहाली जीवन के मानवीय अनुभव का आधार है। खुशहाली समान रूप से आर्थिक और गैर आर्थिक मानदंडों का परिणाम है। हमें अपने लोगों की खुशहाली और बेहतरी को लोकनीति का आधार बनाना चाहिए। सरकार की प्रमुख पहलों का निर्माण समाज के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। भारत का बहुलवाद और उसकी सामाजिक, सांस्कृतिक,  भाषायी और धार्मिक अनेकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हमारी परंपरा ने सदैव असहिष्णु  भारतीय नहीं बल्कि तर्कवादी  भारतीय की सराहना की है।