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राजनीति बुला रही है…

shah faishalशाह फैसल ने जब हाल में जम्मू-कश्मीर में ‘हत्या’ का विरोध करने के लिए आईएएस की नौकरी से इस्तीफा देकर माहौल गरमा दिया था, तब लगा था कि वह राजनीति में शामिल होंगे. 2010 में यूपीएससी परीक्षा में टॉप करने के बाद फैसल राज्य में एक यूथ आइकन के रूप में उभरे थे. लेकिन, कुछ पर्यवेक्षकों का कहना है कि पहले से ही संकेत मिल रहे थे कि फैसल सिविल सेवा छोडऩे की योजना बना रहे हैं. दिलचस्प बात यह है कि फैसल को राज्य की राजनीति में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है. जाहिर है, वह बाबूगीरी की जगह राजनीति चुनने वाले अकेले शख्स नहीं हैं. पिछले महीने श्रीनगर के पूर्व एसएसपी रियाज बेदार नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए और उनके पट्टन से चुनाव लडऩे की संभावना है. फिर अनंतनाग के प्रिंसिपल-सेशन जज सैयद तौकीर ने कथित तौर पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी. चर्चा यह है कि वह शायद दक्षिण कश्मीर की कोकेरनाग विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं और आने वाले दिनों में नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल होंगे. उत्तरी कश्मीर के एक अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश, जो वर्तमान में श्रीनगर में रहते हैं, भी राजनीति में प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं. राजनीति में शामिल होने के लिए एक और नौकरशाह असगर अली की सेवानिवृत्ति की भी अटकलें लग रही हैं.

सीआईसी का अजीबोगरीब चयन

cicमुख्य सूचना आयुक्त के चयन के लिए बनी सर्च कमेटी ने उन दो वरिष्ठ सूचना आयुक्तों को सूचीबद्ध नहीं किया, जिन्होंने इस पद के लिए आवेदन किया था. लेकिन, उन चार अन्य लोगों को सूची में जरूर शामिल किया, जिन्होंने इस पद में रुचि नहीं दिखाई थी. कम से कम सरकारी दस्तावेजों, जिन्हें सार्वजनिक किया गया, से तो यही पता चलता है. अब सुप्रीम कोर्ट भी जानना चाहता है और इसलिए उसने कथित तौर पर केंद्र को यह बताने के लिए कहा है कि जिन लोगों ने पद के लिए आवेदन नहीं किया था, उन्हें ‘शॉर्टलिस्ट’ कैसे किया गया. कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा की अगुवाई वाली सर्च कमेटी ने इन पांच नामों को अंतिम रूप दिया था. फिर इन नामों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली एवं लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े के नेतृत्व वाले चयन पैनल के सामने रखा गया था.

दिलचस्प बात यह है कि व्यय विभाग के सचिव ने घोषणा की कि उन्होंने सूचना आयुक्त के पद के लिए आवेदन नहीं किया था, लेकिन पीएमओ के साथ परामर्श के बाद उन्हें सर्च कमेटी ने सूची में शामिल किया. केंद्रीय सूचना आयोग में तीन आयुक्त सुधीर भार्गव, बिमल जुल्का एवं दिव्य प्रकाश सिन्हा 68 आवेदकों में से थे. सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट सचिव की अगुवाई वाले पैनल ने जुल्का और सिन्हा के नामों को पांच उम्मीदवारों की सूची में नहीं रखा था. सूची में पांच सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारियों भार्गव, एमएसएमई के पूर्व सचिव माधव लाल, गुजरात के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव एसके नंदा, प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग के पूर्व सचिव आलोक रावत और पूर्व व्यय अधिकारी आरपी वटाल को शामिल किया गया था. इन पूर्व बाबुओं में से किसी ने भी पद के लिए आवेदन नहीं किया था, लेकिन उनके नामों को सर्च कमेटी ने अपनी सूची में शामिल किया. हालांकि, प्रधानमंत्री की अगुवाई वाले पैनल ने सभी नामों पर विचार किया और अंत में भार्गव को इस पद के लिए चुना.

डीवीसी का अगला मुखिया कौन ?

DVC Directorसार्वजनिक क्षेत्र की इकाई दामोदर घाटी निगम का अध्यक्ष पद एक साल से अधिक समय से रिक्त है. 2017 में एंड्रयू डब्ल्यू के लैंग्स्टीह के इस्तीफे के बाद यह पद रिक्त हो गया था. लैंग्स्टीह का कार्यकाल सितंबर 2019 में पूरा होना था, लेकिन उन्होंने 11 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था. कथित तौर पर, एक बैठक के दौरान एक वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी के गुस्से के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, उनके इस्तीफे ने सेक्टर के विशेषज्ञों को हैरान कर दिया था, क्योंकि एंड्रयू के नेतृत्व में डीवीसी के प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ था. उनके प्रयासों से परिणाम आने लगे थे. झारखंड से बकाए की वसूली और बेहतर ऋण प्रबंधन ने डीवीसी का कर्ज कम कर दिया. सूत्रों के अनुसार, इस पद के लिए साक्षात्कार जल्द होने की संभावना है. इस शीर्ष पद के लिए आरपी त्रिपाठी (सदस्य, तकनीकी) और एस हलदर (सदस्य, वित्त) के बीच प्रतियोगिता तय है. वर्तमान में इस पद का अतिरिक्त प्रभार एनटीपीसी के सीएमडी गुरदीप सिंह के पास है.