कुरुक्षेत्र में सात जुलाई को आसमान में काले बादल तो थे लेकिन बरसात नहीं हुई। गर्मी और नमी की वजह से सौ मीटर चलने के बाद ही शरीर पसीने से तरबतर हो रहा था। खुले में पांच मिनट खड़ा होना भी मुश्किल था। ऐसे मौसम में हरियाणा पुलिस में भर्ती के लिए युवा दौड़ लगाने को बाध्य थे। भर्ती के पहले राउंड में पांच किलोमीटर की दौड़ 25 मिनट में पूरी करनी थी। इस कोशिश में अभी तक तीन युवक अपनी जान गंवा चुके हैं और 250 के करीब चक्कर खाकर बेहोश हो चुके हैं।

इस भर्ती पर न सिर्फ विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष और पुलिस के पूर्व आईपीएस अधिकारी तक सवाल खड़े कर चुके हैं। मगर राज्य सरकार अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है। सीएम मनोहर लाल खट्टर का दावा है कि पारदर्शी तरीके से भर्ती हो रही है। कांस्टेबलों की यह भर्ती हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन कर रहा है। इसके अध्यक्ष भारत भूषण भारती का दावा का है कि उन्होंने देश भर में हुई भर्ती की स्टडी करने के बाद ही हरियाणा में यह तरीका अपनाया है। उनका दावा है कि वे मैरिट पर जवान चुनेंगे।

इसी दावे का सच जानने के लिए ओपिनियन पोस्ट संवाददाता ने दो दिन तक लगातार भर्ती स्थल का जायजा लिया। मौके पर पता चला कि कमीशन के अध्यक्ष समेत सदस्यों के लिए पुलिस की यह पहली भर्ती है। उन्हें पुलिस भर्ती का कोई अनुभव नहीं है। इसके बावजूद सर्वश्रेष्ठ जवान चुनने का दावा किया जा रहा है। दोपहर करीब तीन बजे कुरुक्षेत्र के भर्ती स्थल पर मेले जैसा नजारा था। सड़क पर ही जवानों के दौड़ने के लिए ट्रैक बनाया गया था। तपती सड़क पर पांच मिनट भी खड़ा होना मुश्किल था। इसी बीच फायर ब्रिगेड की एक गाड़ी सड़क पर पानी छिड़कने आई। यह गाड़ी पानी छिड़क नहीं रही थी बल्कि सड़क पर पानी गिरा भर रही थी। सड़क से पांच मिनट में ही पानी भाप बन कर उड़ जा रहा था। इसी ट्रैक पर उम्मीदवारों को दौड़ना था।

साक्षात्कार: भारत भूषण भारती, हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन के अध्यक्ष

सही है मापदंड
भर्ती का समय ठीक नहीं है। पूर्व आईपीएस अधिकारी रणबीर शर्मा समेत भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह और विपक्ष के नेता अभय चौटाला इस पर सवाल खड़े कर चुके हैं?
हम पुलिस के लिए जवान भर्ती कर रहे हैं। उन्हें इतना तो मजबूत होना ही चाहिए कि किसी भी मौसम में दौड़ सके अन्यथा पुलिस में भर्ती होकर क्या करेंगे।

पुलिस डिपार्टमेंट उन्हें ट्रेंड करेगा तभी तो वे ड्यूटी पर आएंगे। अभी तो वे सिर्फ भर्ती में शामिल हो रहे हैं?
हम सर्वश्रेष्ठ जवानों का चयन कर रहे हैं। यह मापदंड सही है।

सड़क पर क्यों दौड़ाया जा रहा है जबकि पुलिस के पास ग्राउंड है?
यह संभव नहीं था। इसलिए हमने एक टीम गठित की और इस टीम ने कुरुक्षेत्र को ही सबसे उपयुक्त चुना है।

भर्ती के लिए आपको प्राइवेट एजेंसी पर तो यकीन है लेकिन अपनी पुलिस पर ही यकीन नहीं है?
एजेंसी की जवाबदेही सुनिश्चित है। इसके साथ ही हमने एजेंसी से टेक्नीकल मदद ली है। हम दौड़ में अंतरराष्ट्रीय मापदंड अपना रहे हैं।

यहां अस्थायी टेंट लगा कर भर्ती रजिस्ट्रेशन कार्यालय बनाया गया था। कंट्रोल रूम और भर्ती पर नजर रख रहे आयोग के सदस्यों के कार्यालय भी अस्थायी थे। जिन टेंटों में एयरकंडीशनर लगा था वे वीवीआईपी यानी आयोग के सदस्यों के लिए था, बाकी जगह पंखों से ही काम चलाया जा रहा था। उधर खुले आसमान के नीचे हजारों युवा लाइन में खड़े होकर रजिस्ट्रेशन करा रहे थे। रजिस्ट्रेशन के बाद ही उन्हें टेंट में आने दिया जाता था। यहां उन्हें एक नंबर दिया जा रहा था और एक चिप बाजू में टांगी जा रही थी। इसी चिप में उनका पूरा डाटा रखा गया था। इससे यह भी पता चलता है कि उम्मीदवार ने दौड़ कितने समय में पूरी की। यहां से युवा करीब डेढ़ सौ गज की दूरी पर आगे जाते थे जहां एक प्राइवेट एजेंसी के लोग उन्हें घेर लेते थे। यहां उन्हें एक जगह बिठाया जाता था। उसके बाद उनके नाम पुकारे जाते थे और उन्हें दौड़ने के लिए कहा जाता था। मगर उन्हें यह नहीं बताया जा रहा था कि दौड़ना कहां से है। कुछ युवा यहीं से दौड़ शुरू कर रहे थे तो कुछ बीस गज आगे जहां स्टार्ट लिखा था वहां से दौड़ रहे थे।

ज्यादातर उम्मीदवार पहला एक किलोमीटर तेजी से भाग रहे थे। इस कारण वे जल्दी हांफ जाते थे। इसी दौरान कुछ नीचे गिर गए तो कुछ ने बीच में ही दौड़ छोड़ दी। एक उम्मीदवार गिरकर बेहोश हो गया तो एजेंसी के बाउंसर ने एंबुलेंस बुलाई और उसे अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में हालत और भी खराब थी। वहां इस गंभीर युवक को तुरंत इलाज नहीं मिला। वह देर तक छटपटाता रहा। तब कहीं जाकर डॉक्टर आया। यहां वह ठीक नहीं हुआ तो उसे पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया। यह सिलसिला कुरुक्षेत्र में 15 जून से चल रहा है। इस वजह से तीन युवकों की मौत हो चुकी है और ढाई सौ युवक गंभीर रूप से बीमार हो चुके हैं।

मृतक युवकों में सोनीपत जिले के कथूरा का रहने वाला भूपेंद्र भी है। उसकी मौत की सूचना मिलने पर उसके घर और गांव में शोक पसर गया। मृतक के पिता कर्ण सिंह फौज में सूबेदार हैं। कर्ण सिंह के दो बेटों में भूपेंद्र बड़ा था। इसी तरह 24 जून को भिवानी जिले के गांव धरानी के सोमबीर को गंभीर हालत में पीजीआई रेफर किया गया था मगर पीजीआई पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। 23 जून को भी शाम के समय दौड़े हिसार के थुराना निवासी जितेंद्र की मौत हो गई थी। एक युवक की यहां ब्रह्म सरोवर में डूबने से भी मौत हो चुकी है। विपक्ष समेत सत्ता पक्ष के लोग भी चीख रहे हैं कि भर्ती का यह तरीका ठीक नहीं है लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं है।police

गड़बड़ कहां है?

ऊपर से देखने में तो भर्ती की पूरी प्रक्रिया ठीक लग रही है। कहीं गड़बड़ नजर नहीं आ रही है। मगर हरियाणा के पूर्व आईजी रणवीर शर्मा, पूर्व डीएसपी इशम सिंह, रामकिशन और मानवाधिकार कार्यकर्ता रमेश कुमार पुरी ने ओपिनियन पोस्ट को बताया कि यह भर्ती पुलिस मैनुअल को ताक पर रख कर हो रही है। पहले जहां 1800 मीटर की दौड़ होती थी अब उसे पांच किलोमीटर कर दिया गया है। साथ ही पुलिस भर्ती के लिए जो स्थान कुरूक्षेत्र में चुना गया है वह आवासीय क्षेत्र है। जबकि हरियाणा में इस समय छह पुलिस ट्रेनिंग सेंटर खाली पड़े हुए हैं। वहां उम्मीदवारों को जोन के अनुसार बुलाया जा सकता है। पुलिस मैनुअल के अनुसार भर्ती आमतौर पर अक्टूबर से नवंबर और फरवरी से मार्च महीने के दौरान होती है। इन महीनों में न तो अधिक गर्मी होती है और न ही अधिक सर्दी।

इस समय गर्मी ज्यादा है। ऐसे में युवाओं का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। दूसरा कुछ युवा एनर्जी ड्रिंक ले रहे हैं। ओवर डोज की वजह से भी वे बेहोश हो जाते हैं। ऐसे युवाओं की पहचान करने के लिए यहां कोई इंतजाम नहीं है। पूरे जिले की एक ही जगह भर्ती हो रही है। इस वजह से यहां भीड़ बहुत ज्यादा हो रही है। युवक एक दिन पहले ही भर्तीस्थल पर पहुंच जाते हैं। इसके बाद वे न तो सही से खा पी पाते हैं और न ही सही से फ्रेश हो पा रहे हैं। ऐसे में दौड़ते वक्त तबीयत खराब होना लाजिमी है।

इंतजाम का अभाव
भर्ती स्थल पर टेंट लगाए जाते हैं, अस्थायी शौचालय बनाए जाते हैं, अस्थायी डिस्पेंसरी खोली जाती है और एक एंबुलेंस हमेशा मौजूद रहती है। इसके अलावा भर्ती में भाग लेने वाले जवानों के लिए अस्थायी रूप से हल्के नाश्ते के प्रबंध के लिए दुकानें होती हैं। मगर यहां ऐसे किसी नियम का पालन नहीं हो रहा है।

प्रक्रिया पर सवाल
पूर्व पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आमतौर पर पुलिस व सेना में भर्ती के समय सबसे पहले जवान की छाती व लंबाई मापी जाती है। उसके बाद वहां मौजूद डॉक्टर मेडिकल चेकअप करता है। यह प्रक्रिया पास करने के बाद ही दौड़ लगवाई जाती है। मगर कुरूक्षेत्र में इसका उलटा हो रहा है। पहले उम्मीदवारों को दौड़ाया जा रहा है, उसके बाद ये टेस्ट किए जा रहे हैं। हरियाणा में पहले भर्ती पुलिस ही करती थी। जिले के अनुसार भर्ती होती थी। एसपी की देखरेख में यह काम होता था। इस प्रक्रिया में हादसा होने की आशंका नहीं रहती थी क्योंकि तब भर्ती का स्वरूप छोटा हो जाता था। साथ ही लंबाई और छाती मापने के बाद जो उम्मीदवार सफल होता था उसे ही दौड़ने की इजाजत मिलती थी। पूर्ववर्ती भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में पुलिस भर्ती के लिए बोर्ड बनाया गया। भाजपा सरकार ने इस बोर्ड को खत्म कर दिया। इसकी जगह स्टाफ सेलेक्शन कमीशन को भर्ती की जिम्मेदारी दे दी गई। कमीशन के अध्यक्ष का दावा है कि उन्होंने देश के कई राज्यों का दौरा कर भर्ती की प्रक्रिया तय की है। इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं हो सकता। उम्मीदवार चयन के लिए 100 नंबर रखा गया है। इसमें दौड़ के अलावा लिखित परीक्षा और इंटरव्यू भी शामिल है। इंटरव्यू के सिर्फ पांच नंबर ही रखे गए हैं।