खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के कैलेंडर और डायरी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चरखे वाली फोटो पर मचे बवाल के बीच पीएमओ ने बिना इजाजत फोटो इस्तेमाल करने पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगा है।

रविवार को प्रधानमंत्री के करीबी माने जाने वाले आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने भी कोटा में कहा था कि चरखा लिए गांधी जी का फोटो अत्यंत सहज प्रतीत होता है। उसे वैसे ही रहने देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि गांधी जी को प्रधानता देते हुए बाकी सब नेता चरखा लेकर बैठें तो उसमें कोई दिक्कत नहीं है। श्रीश्री की इस बात को इस रूप में लिया गया कि खादी कैलेंडर पर पीएम के चरखा कातते चित्र से वह बहुत खुश नहीं हैं। बताते चलें कि श्रीश्री का मोदी बहुत सम्मान करते हैं।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पीएमओ के बड़े अधिकारियों का कहना है कि बिना इजाजत उनकी फोटो के इस्तेमाल से पीएम नाराज हैं। इस मामले पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई दलों और नेताओं ने केंद्र सरकार की आलोचना की थी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी पर सीधा हमला भी बोला था। मीडिया में यह मामला सुर्खियों में छाया रहा। वहीं सोशल मीडिया पर तमाम लोगों ने इसे गांधीजी को किनारे करने की भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की मुहिम का हिस्सा बताते हुए सरकार के मंसूबों पर जमकर सवाल उठाए।

बिना इजाजत प्रधानमंत्री मोदी के फोटो के इस्तेमाल का यह पहला मामला नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि इससे पहले रिलायंस जियो और पेटीएम भी प्रधानमंत्री की फोटो का बिना इजाजत इस्तेमाल कर चुके हैं।

उधर केवीआईसी के अधिकारियों के अनुसार खादी आयोग के कैलेंडर और डायरियों पर गांधी जी की फोटो का इस्तेमाल न करने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बार महात्मा गांधी की फोटो का इस्तेमाल नहीं किया गया है। लगभग पांच बार आम लोगों के चित्र इस्तेमाल किए जा चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल अक्टूबर में लुधियाना में पीएम ने महिला बुनकरों को पांच सौ चरखे वितरित किए थे। इसी कारण कैलेंडर पर पीएम का चित्र छापने का फैसला किया गया।