जमीअत उलेमा-ए-हिन्द की अगुवाई में एक मुस्लिम नेताओं का एक डेलीगेशन पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुलाकात की। इस बैठक में तीन तलाक पर मुस्लिम समुदाय से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। प्रतिनिधिमंडल में शामिल अंजुमन-ए-इस्लाम के अध्यक्ष डॉ. जहीर काजी ने इस बातचीत को सकारात्मक बताया है। इसी मुद्दे पर ओपिनियन पोस्ट संवाददाता अभिषेक रंजन सिंह की उनसे बातचीत।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अचानक मुलाकात क्या वजह थी और उनसे किन मुद्दों पर बातें हुईं?

पच्चीस लोगों का एक डेलीगेशन प्रधानमंत्री आवास पर वजीर-ए-आजम नरेंद्र मोदी साहब से मुलाकात की। इसमें जमीअत उलेमा-ए-हिंद के प्रेसिडेंट मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी, जनरल सेक्रेटरी मौलाना महमूद मदनी, एजुकेशन एक्सपर्ट और सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल वगैरह शामिल थे। उन्होंने तीन तलाक समेत मुसलमानों से जुड़े तमाम मसाइल को संजीदगी से सुना। बीफ और गौरक्षा के नाम पर मुसलमानों को निशाना बनाए जाने पर भी चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत आपसी भाईचारा है। मजहब के नाम पर किसी नागरिक से भेदभाव नहीं होना चाहिए। उनकी बातें सुनकर हमें महसूस हुआ कि प्रधानमंत्री साहब वाकई सबका साथ सबका विकास पर अमल करना चाहते हैं। उन्होंने यकीन दिलाया कि इस देश में मुसलमानों के साथ कोई गैर बराबरी नहीं होगी।

तीन तलाक पर प्रधानमंत्री मोदी से क्या बातचीत हुई?

तीन तलाक एक अहम मुद्दा बन गया है। इस समस्या का हल मुस्लिम समाज अपने तरीके से करें ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। तीन तलाक का राजनीतिकरण न हो,यह मशवरा भी उन्होंने दिया। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि यह मुसलमानों का मजहबी और अंदरुनी मसला है। इसमें क्या रिफॉर्म होना चाहिए इसका विचार मुस्लिम धर्मगुरुओं को करना चाहिए। तीन तलाक के नाम पर महिलाओं के साथ कोई नाइंसाफी न हो इस बाबत हमारे धार्मिक नेता भी गंभीरता से विचार कर रहे हैं। चूंकि, इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू हो चुकी है। अदालत के फैसले से पहले मुझे उम्मीद है कि इस पर एक राय बन जाएगी।

क्या आतंकवाद के मुद्दे पर भी प्रधानमंत्री से कोई बातचीत हुई?

दहशतगर्दी को लेकर वजीर-ए-आजम ने अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने नई पीढ़ी को मजहबी कट्टरता से बचाने की अपील की। हम लोगों ने प्रधानमंत्री साहब को भरोसा दिलाया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मुल्क का हर शहरी आपके साथ है। भारत को अस्थिर करने के लिए पाकिस्तान आतंकी साजिश रचता है। अपनी इन हरकतों की वजह से वह दुनिया की नजरों में बेनकाब हो चुका है। हम लोगों ने प्रधानमंत्री साहब को कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ उनकी विदेश नीति सही है। संप्रभुता के नाम पर किसी प्रकार का समझौता नहीं होना चाहिए।

बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद के समाधान पर भी कोई बातचीत हुई?

इस मसले पर प्रधानमंत्री साहब से कोई बातचीत नहीं हुई, लेकिन देश में हिंदुओं और मुसलमानों में आपसी भाईचारे को कैसे मजबूत किया जाए। इस पर बेशक उनसे बातचीत हुई। देश में हालिया कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिससे मुसलमानों में घबराहट का माहौल है। जहां तक बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि का विवाद है, तो इसका समाधान अगर आपसी बातचीत से होता है तो यह भारत में हिंदू-मुसलमान एकता के लिए बेहतर होगा। अयोध्या विवाद को आपसी बातचीत से सुलझाने के लिए पूहले भी कई प्रयास हुए हैं। लेकिन कामयाबी नहीं मिली। इसका मतलब यह नहीं है कि प्रयास नहीं होना चाहिए। पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इस मुद्दे के समाधान के लिए दोनों पक्षकारों को बातचीत करने की सलाह दी। अगर आपसी सहमति से वर्षों पुराना यह विवाद खत्म हो जाता है तो देश के लिए यह अच्छा रहेगा।

भारत में आबादी के लिहाज से मुसलमान दूसरे स्थान पर हैं, लेकिन अशिक्षा इस समुदाय के पिछड़ेपन की एक बड़ी वजह है। पीएम मोदी से इस मुद्दे पर कोई बातचीत हुई?

अंजुमन-ए-इस्लामी 145 साल पुराना शैक्षणिक संस्था है। हमारे विभिन्न कॉलेजों और स्कूलों में 1 लाख 10 हजार बच्चे पढ़ते हैं। मैंने प्रधानमंत्री जी से कहा कि डिजीटल इंडिया, स्किल डेवलपमेंट और स्टार्ट अप इंडिया का जो कार्यक्रम आपने चलाया है, इससे मुसलमानों खासकर युवाओं को काफी फायदा होगा। अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में आधुनिक एवं तकनीकि शिक्षा को बढ़ावा मिले, इस बाबत प्रधानमंत्री मोदी से तसल्लीबख्श बातचीत हुई। मुझे उम्मीद है आने वाले समय में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं के विकास के लिए वह किसी बड़े कार्यक्रम की शुरूआत करेंगे।