अजय विद्युत

पांच सौ और हजार की नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट कंपनी पेटीएम की तो बल्ले बल्ले हो गई। उसके यूजर की संख्या करोड़ों में पहुंच गई। दूध का बूथ, मेडिकल स्टोर, परचूनवाला सब तरफ पेटीएम के स्टिकर नजर आने लगे। अभी पेटीएम ने ही कहा है कि उसके प्लेटफॉर्म से साढ़े तीन करोड़ रिचार्ज किए गए। ये रिचार्ज मोबाइल और डीटीएच के लिए थे। लेकिन कैशलेस दौर में दुकानों पर खरीदारी के लिए जिन्होंने पेटीएम के वॉलेट में अपने बैंक एकाउंट से काफी रुपए डाले थे, उन्हें अब मायूस होना पड़ रहा है।

नोटबंदी के बाद दो हफ्ते तो दुकानदार पेटीएम से पेमेंट लेते रहे लेकिन अब वे इसे टालने लगे हैं। गैस अथॉरिटी इंडिया लिमिटेड में वरिष्ठ अधिकारी एन.के. गुप्ता कहते हैं, ‘जो दुकानदार कल तक पेटीएम से पेमेंट ले रहे थे अब वे कह रहे हैं कि कैश में ही दीजिए। पेटीएम से पेमेंट लेने में हमें प्रॉब्लम हो रही है।’

नोएडा में सेक्टर 11 के एच ब्लॉक मार्केट में कैमिस्ट शॉप चलाने वाले अमित सिंह भी पेटीएम से पेमेंट स्वीकार करते रहे। लेकिन पिछले कुछ दिनों से वे सीधे-सीधे पेटीएम से पेमेंट लेने से इनकार तो नहीं करते लेकिन विनम्रता से कहते हैं, ‘संभव हो तो कृपया कैश में पेमेंट दें।’

उनसे इसका कारण पूछने पर उन्होंने कहा, ‘पेटीएम से हम महीने में केवल एक बार पच्चीस हजार रुपए अपने बैंक एकाउंट में ट्रांसफर कर पाते हैं। तो उससे अधिक लिमिट में पेमेंट लेना हमारे लिए मुश्किल हो जाता है। हो सकता है कि आगे इसका कोई रास्ता पेटीएम निकाल ले, लेकिन अभी तो मुश्किल आ ही रही है।’

तो इस तरह जोरशोर से कैशलेस इकोनॉमी का दावा कर अखबारों में दो दो पेज के विज्ञापन देने वाले पेटीएम का दम तीन हफ्तों में ही फूलने लगा है। इसके अलावा पेटीएम के उपभोक्ताओं को एक और मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। मैट्रो कार्ड रिचार्ज कराने पर कभी कभी पेटीएम पेमेंट को सक्सेसफुल दिखा देता है। लेकिन जब आप मैट्रो स्टेशन कर कार्ड की जांच करते हैं तो पता चलता है कि रिचार्ज हुआ ही नहीं।

एक उपभोक्ता ने तीस नवंबर को दिन एक बजे मैट्रो कार्ड में दो सौ रुपये का रिचार्ज कराया। पेटीएम ने पेमेंट सक्सेसफुल बताया और वॉलेट आर्डर आईडी नं. 4130976597 दिया। एक दिसंबर को दिन दो बजे जब नोएडा सेक्टर 15 मैट्रो स्टेशन पर चैक किया तो कार्ड रिचार्ज नहीं हुआ था।

उसके बाद पेटीएम से शिकायत की तो कुछ देर बाद उसने काटी रकम वॉलेट में वापस डाल दी। इससे भी पता चलता है कि पेटीएम निरापद कैशलेस भुगतान का जरिया नहीं रहा है। क्योंकि अगर आप डेबिट कार्ड से भुगतान करते हैं तो भुगतान न होने पर पैसा आपके एकाउंट में कुछ समय बाद स्वत: लौट आता है, जबकि पेटीएम में आपको इस बाबत शिकायत करनी पड़ती है। आम आदमी इतने झमेले में नहीं पड़ना चाहता।

नोटों की किल्लत से आम जनता पहले ही त्रस्त है। अब पेटीएम से पेमेंट लेने से दुकानदारों के इनकार ने स्थिति को और तकलीफदेह बना दिया है।