जम्मू। नेताओं के बयान हालात को जटिल बनाते हैं। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने जो बयान दिया, उससे कश्‍मीर की परिस्थितियां जटिल बनी हुई हैं। सेना के साथ मुठभेड़ के दौरान मारे गए हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद पाकिस्तान तिलमिला उठा था। खुद पीएम नवाज शरीफ ने उसे ‘शहीद’ का दर्जा दिया। जम्मू-कश्मीर में हिंसा पर 19 जुलाई को पाक में ‘ब्लैक डे’ मनाने की घोषणा की थी। बाद में इसे 20 जुलाई कर दिया गया। वानी का प्रभाव आज भी घाटी में देखने को मिल रहा है। लगातार 9वें दिन भी कुछ हिस्सों में कर्फ्यू जारी है। बुरहान के मारे जाने के बाद कश्मीर में विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में कई लोगों की जान जा चुकी है और दो सौ से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

सवाल यह है कि पाकिस्‍तान एक आतंकी का समर्थन क्‍यों कर रहा है, जबकि वह खुद आतंकवाद से प्रभावित है। इस संदर्भ में पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव रियाज हुसैन खोखर ने चीन की राजधानी बीजिंग में एक बड़ा खुलासा किया है। खोखर ने कहा है कि कश्मीर घाटी में मारे गए आतंकी की याद में 19 जुलाई को काला दिवस मनाने से जुड़े पाकिस्तान के फैसले के पीछे दबाव की राजनीति ही काम कर रही थी। पाकिस्तान की मीडिया और लोगों के दबाव में सरकार को अपने रुख में बदलाव लाना पड़ा। मामले से लोगों का इमोशनल अटैचमेंट होने लगा था। हमें हालात को हाथ से बाहर कतई नहीं जाने देना होगा। वैसे यह सारा कुछ भारत के रुख पर निर्भर करता है। भारत मामले से कैसे निपटता है, यह देखना महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान भारत के इस हालात में ज्यादा दखल नहीं देना चाहता है, लेकिन हमारे पास मामले को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष ले जाने की बाध्‍यता है।

पाकिस्तान की तरफ का हर कश्मीरी बुरहान वानी को शहीद का दर्जा देता है। भारतीय सेना के साथ मुठभेड़ के दौरान हिजबुल कमांडर बुरहान वानी मारा गया था। कश्मीर के पढ़े-लिखे नौजवानों को वह कश्मीर की आजादी के नाम पर आतंकी गतिविधियों से जोड़ने और समर्थन जुटाने का काम करता था। पाकिस्तान ने कश्मीर हिंसा और बुरहान वानी के एनकाउंटर को पहले गंभीरता से नहीं लिया था, लेकिन मीडिया और लोगों के दवाब के बाद यह इसका विरोध करने का फैसला लिया गया।

कश्मीर मामले में नवाज शरीफ सरकार का यह कदम पब्लिक सेंटीमेंट को मोड़ने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पाकिस्तान में शरीफ के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। हाल ही में मूव ऑन पाकिस्तान पार्टी ने देश के 13 शहरों में पोस्टर लगाकर तख्तापटल करने और टेक्नोक्रेट्स की सरकार बनाने की मांग की। पार्टी के सेंट्रल चीफ अली हाशमी ने मीडिया से कहा, ”कैंपेन का मकसद आर्मी चीफ को ये सुझाव देना है कि पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू करें। 40 से ज्यादा दिन तक पीएम नवाज शरीफ की देश में गैरमौजूदगी इस बात का सबूत है कि यहां पॉलिटिकल गवर्नमेंट की कोई जरूरत नहीं है।”

नवाज सरकार ने ब्लैक डे मनाने की तारीख 19 की जगह 20 कर दी है। 19 को सरकार कश्मीरियों के लिए ‘एसोसिएशन टू पाकिस्तान डे’ मनाएगी। 19 जुलाई, 1947 को कश्मीरियों के एक बड़े तबके के रिप्रेजेंटेटिव्स ने एक रेजोल्यूशन पास किया था, जिसके मुताबिक उन्होंने पाकिस्तान में मिलने की बात कही थी। पाकिस्तान का दावा है कि कश्मीरी मुसलमानों ने अपने सोशियो-इकोनॉमिक हितों को ध्यान में रखते हुए पाकिस्‍तान में मिलने का फैसला किया था।