नई दिल्ली। 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले पर विपक्ष का हमला लगातार जारी है। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्‍यसभा में यह मुद्दा छाया रहा। विपक्षी दलों ने इस मसले पर सरकार की घेरेबंदी की। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार के इस कदम को गरीबों का मजाक बताया वहीं सरकार ने कहा कि इस फैसले का देशभर में समर्थन हो रहा है।

नोटबंदी के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरते हुए विपक्ष के नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार के इस फैसले से पूरा देश लाइन में खड़ा हो गया है। लोगों के यहां शादी है, गरीब के पास खाने को नहीं है। देश का किसान, मजदूर और आम आदमी परेशान है। किसानों को बीज के लिए पैसे चाहिए। आज किसान बैंक में 2000 के लिए लाइन में खड़ा है। छोटे दुकानदार, किसान और मजदूरों के लिए यह संकट बहुत बड़ा है। सरकार ने सभी को अपराधी बना दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा यूनियनों को यह फैसला लीक किया गया। बैंक से कैस निकासी पर रोक क्यों है? नोटबंदी से बेटियों की शादियां रुकी हैं। गरीब की लाश अस्पतालों में फंसी है। भाजपा ने घाव दिए और घाव पर नमक भी लगाया। उन्होंने पूछा कि प्रधानमंत्री की गाजीपुर की रैली का भुगतान क्रेडिट कार्ड से हुआ क्या? भारतीय स्टेट बैंक को मार्च से नोट बंद होने की जानकारी थी।

शर्मा ने कहा कि सदन सरकार की जवाबदेही तय करे। जांच होनी चाहिए कि जब खबरें अप्रैल में ही लीक हो गईं तो कितने लोगों ने एक करोड़ से ज्यादा का सोना खरीदा, फॉरेन करेंसी खरीदी। ये लिस्ट सामने आनी चाहिए। आपके पास स्विस बैंक की सूची है। आप देश को बताएं कि वो कौन लोग हैं। देश को पता चले कि आपको माला पहनाने वाले कितने नाम हैं। आप गरीबों के पैसों की बात करते हैं तो उन तमाम लोगों की सूची जारी करें। ये हमारी मांग है। उन्होंने सरकार से पूछा कि किस संविधान ने आपको ये अधिकार दिया कि लोगों के पैसा निकालने पर आप पाबंदी लगा सकें। आपने देश में आर्थिक अराजकता लाई है। प्रधानमंत्री का यह तर्क अजीब है कि इस फैसले के बारे में पहले बता देते तो आतंकवादियों को फायदा हो जाता। सरकार बताए कि कौन सा आतंकवादी बोरी भरकर बैंक जाता? बैंक वही जाता जिसके पास मेहनत का पैसा है।

उन्‍होंने पीएम के गोवा में दिए भाषण को निशाना बनाते हुए कहा कि यह गंभीर बात है कि पीएम कहते हैं मेरी जान को खतरा है। अगर ऐसा है तो खुफिया एजेंसियां बताएं कि पीएम को किससे खतरा है। मैं उनके इस भाषण की निंदा करता हूं जो लाइन में खड़े देश के लोगों का मजाक उड़ाता है। शर्मा ने नए जारी हुए 2 हजार रुपये के नोट को लेकर कहा कि यह रंग छोड़ता है। यह बिल्‍कुल वैसा ही है जैसे बचपन में चुरण की पुड़ि‍या मिला करती थी। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने लोकसभा सांसदों से कहा है कि नोटबंदी के चलते लोगों को हो रही परेशानी के खिलाफ मजबूती से लड़ें और सरकार की नौटंकी नहीं चलने दें। कांग्रेस लोकसभा में इस मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव भी ला सकती है।

चल नहीं रहा दो हजार का नोट 

बसपा प्रमुख मायावती ने नोटबंदी के फैसले की जेपीसी से जांच कराने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने अपना कालाधन सफेद कर लिया है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने राज्यसभा में 2000 का नया नोट दिखाते हुए कहा कि इसे कोई नहीं ले रहा है। वहीं रामगोपाल यादव ने कहा कि इसमें बड़ा घपला है। कोई भी अमीर लाइन में नहीं दिख रहा है। छोटे शहरों में कोई भी 2000 का नोट नहीं ले रहा है। ऐसा तो आपातकाल के दौरान भी नहीं हुआ। आम आदमी भिखारी बन गया है। जदयू नेता शरद यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि 50 दिन में हालत सुधर जाएंगे। लेकिन गरीब के पास खाने को पैसे नहीं हैं। गरीब का पेट 50 दिन तक इंतजार नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि गांवों की एक बड़ी आबादी बैंकों से आज भी दूर है और उसके पास एटीएम नहीं है। उसका सारा कामकाज कैश पर चलता था लेकिन सरकार के इस फैसले ने सबको मुश्किल में ला दिया है। शरद यादव ने कहा कि कैश की ब्लैकमार्केंटिंग हो रही है। 1000 रुपये के नोट 700 रुपये में बिक रहे हैं। इस फैसले के विरोध में बुधवार को विपक्षी दलों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में संसद भवन से राष्ट्रपति भवन तक मार्च भी निकाला।

देश कर रहा समर्थन
विपक्ष के हमलों का जवाब देते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पियूष गोयल ने कहा कि इस फैसले से लोग परेशान जरूर हुए हैं लेकिन पूरा देश इसका समर्थन भी कर रहा है। समस्‍या है तो केवल कालेधन वालों को, इमानदार व्‍यक्ति तो खुश हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि जब यह फैसला लागू हुआ तो उम्‍मीद थी पूरा विपक्ष इसके साथ आएगा लेकिन उन्‍होंने अपने कारणों से विरोध किया। अगर विपक्ष साथ देता तो लोगों को जो समस्‍या हो रही है उसका समाधान करने में आसानी होती।
इससे पहले संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत के लिए लोकसभा पहुंचे पीएम मोदी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सरकार की हमेशा से नीति रही है कि हम हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं। शीतकालीन सत्र में उम्‍मीद है कि बेहद सकारात्‍मक चर्चाएं होंगी और इसमें सभी दलों का सहयोग होगा। पिछले सत्र में हमने जीएसटी जैसे महत्‍वपूर्ण बिल पास किए थे। यह एक बड़ा कदम था और मैंने इसके लिए सभी दलों को धन्‍यवाद भी दिया था।
लोेकसभा की कार्रवाई पूर्व सदस्‍यों को श्रद्धांजलि देने के बाद गुरुवार तक के लिए स्‍थगित कर दी गई। अभी तक आमतौर पर संसद का शीतकालीन सत्र नवंबर के तीसरे हफ्ते में शुरू होता रहा है और क्रिसमस के पहले तक चलता है। लेकिन इस साल इसे थोड़ा पहले बुलाया गया है।