नई दिल्‍ली।

उत्‍तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस ने बिल्डर के घर से करीब 97 करोड़ रुपये के पुराने नोट बरामद कर 16 लोगों को गिरफ़्तार किया है। ये सभी नोट 500 और 1000 रुपये के बंद हो चुके नोट हैं, जिनको बिस्तर बनाकर रखा गया था। सवाल यह है कि इतनी भारी मात्रा में बरामद नोटों को आखिर कहां और कैसे खपाया जाना था, जबकि दावा किया जा रहा था कि नोटबंदी के बाद बंद हो चुके सभी नोट सरकार के कोष में चले गए हैं।

पता चला था कि नोटबंदी के 14 माह बाद इन नोटों को एक्सचेंज एजेंसी के जरिये खपाए जाने की योजना थी लेकिन एनआईए और क्राइम ब्रांच की सूचना पर एसएसपी अखिलेश कुमार ने एसपी पश्चिम डॉ. गौरव ग्रोवर और एसपी पूर्वी अनुराग आर्य की टीम के साथ स्वरूपनगर, गुमटी, जनरलगंज और अस्सी फिट रोड स्थित व्यापारियों के ठिकानों पर छापेमारी कर दी। छापेमारी के दौरान पूछताछ और नोटों की गिनती का सिलसिला पूरी रात चलता रहा। आयकर विभाग की टीम भी गिरफ्तार लोगों से पूछताछ कर रही है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी और यूपी पुलिस ने एक ज्वाइंट ऑपरेशन में 96 करोड़ 62 लाख रुपये के पुराने नोट बरामद किए हैं। छापेमारी के दौरान नोटों के तीन बिस्तर बरामद किए गए जिनका इस्तेमाल सोने के लिए किया जाता था। बरामदगी बिल्डर आनंद खत्री के घर से हुई है। एनआईए और यूपी पुलिस ने मंगलवार (16 जनवरी) को एक होटल और तीन अन्य ठिकानों पर छापा मारा था, जिसमें आठ लोग पकड़े गए थे। इसी के आधार पर स्वरूपनगर स्थित आनंद खत्री के घर छापेमारी की गई।

कानपुर के एसएसपी एके मीणा ने बताया कि सूचना मिलने के बाद छापा मारा गया था। इस बारे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और आयकर विभाग के अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है। इस व्यापारी ने दूसरे बजनेसमैन से भी एक्सचेंज के लिए नगदी जमा की थी। पिछले दिनों यूपी पुलिस ने मेरठ के एक बिल्डर संजीव मित्तल के लगभग 25 करोड़ रुपये के पुराने नोट जब्त किए थे। इसके बाद एनआईए को पता चला कि यूपी में कई छोटे-बड़े गिरोह इस काम में सक्रिय हैं।

गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी, जिसके बाद पांच सौ और एक हजार रुपये के पुराने नोट चलन से बाहर हो गए थे। इनके बदले दो हजार रुपये और पांच सौ रुपये के नए नोट चलन में हैं।

पीएम मोदी ने दावा किया था कि नोटबंदी के कदम से कालाधन,  भ्रष्टाचार,  आतंकवाद,  नक्सलवाद और कश्मीर में हो रही पत्थरबाजी जैसी घटनाओं पर अंकुश लगेगा,  लेकिन बाद में सरकार ने इसे कैशलेस इकॉनमी से जोड़ दिया था।