नई दिल्ली। नोटबंदी को लेकर जनता की समस्याओं को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सामने रखने के लिए विपक्ष के नेता शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन पहुंचे। संसद का शीतकालीन सत्र नोटबंदी पर हंगामे की वजह से बेकार चला गया, क्‍योंकि कोई कामकाज नहीं हो सका। पूरे सत्र के दौरान संसद में कोई चर्चा नहीं हुई। वहीं कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल की पीएम से मुलाकात को लेकर विपक्ष में शामिल कई पार्टियां नाराज हो गईं और चार पार्टियों के सांसद राष्ट्रपति से मिलने नहीं पहुंचे।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने नोटबंदी के मुद्दे पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात के बाद बताया, हमने मांग रखी है कि संसद में नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। उन्‍होंने सरकार के इस फैसले के बाद किसानों,  छोटे व्यापारियों को हो रही समस्या का मुद्दा भी उठाया।

उन्होंने बताया कि पहले तो हमने लोकसभा में नियम 184 के तहत नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की थी। बाद में हम बिना शर्त चर्चा के लिए तैयार थे। लेकिन हमें बोलने नहीं दिया गया।

वहीं जेडीयू सांसद राष्ट्रपति से मिलने के बाद शरद यादव ने कहा कि छोटे दुकानदारों,  व्यापारियों,  किसानों की हालत बिगड़ती जा रही है। हमने राष्ट्रपति के सामने इससे जुड़े कई मुद्दे उठाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मुलाकात को लेकर नोटबंदी पर एकजुट विपक्ष का कुनबा बिखर गया। दरअसल, कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधिमंडल की पीएम से मुलाकात को लेकर विपक्ष में शामिल कई पार्टियां नाराज हो गईं। कांग्रेस द्वारा किसानों की समस्याओं को लेकर पीएम से मिलने के बाद,  आरजेडी,  बीएसपी, समाजवादी पार्टी और एनसीपी ने कांग्रेस के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात करने से इनकार कर दिया।

मोदी सरकार का नोटबंदी का फैसला देश के अधिकांश विपक्षी दलों को नागवार गुजरा है। इसी के मद्देनजर कांग्रेस समेत देश के 16 राजनीतिक दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से शुक्रवार को मुलाकात की। संसद के शीतकालीन सत्र में नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष सरकार को घेरने में जुटा रहा।