विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली सरकार के बजट को पूरी तरह निराशावादी करार देते हुए केजरीवाल सरकार पर करारी चोट की है । तिवारी ने कहा है कि यूं तो सभी क्षेत्रों को बजट से निराशा हुई है पर आज महिला दिवस के दिन प्रस्तुत बजट ने महिलाओं को सर्वाधिक निराश किया है क्योंकि सरकार ने न तो सीसीटीवी न किसी अन्य महिला सुरक्षा प्रवधान के लिये बजट में कोई बिन्दु रखा है।
इसी तरह नगर निगम चुनाव से कुछ ही दिन पूर्व आये दिल्ली सरकार के बजट में चौथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिये भी कोई प्रवधान या संकेत नहीं दिया गया है, जिसका मतलब नगर निगमों की आर्थिक दुर्दशा पहले की तरह ही जारी रहेगी और आने वाले दिनों में दिल्ली की सफाई व्यवस्था में बड़ा सुधार संभव नहीं है। इसी तरह यह बजट सरकार की बड़ी घोषित योजना मौहल्ला सभा पर भी चुप्पी साध गया है।
दिल्ली सूबे के बीजेपी अध्यक्ष ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में बिजली उत्पादन बढ़ाने एवं सस्ती करने पर बहुत बल दिया था पर आज अपने तीसरे बजट में भी दिल्ली सरकार ने न तो बिजली का उत्पादन बढ़ाने पर न बिजली की वर्तमान ट्रांसमीशन लाइन्स के सुदृढ़ीकरण के लिये कोई विशेष बजट दिया है। बजट में 2100 करोड़ रूपये के लगभग का बिजली मद में प्रवधान है जिसमें से लगभग 1700 करोड़ बिजली कंपनियों को सब्सिडी में चला जायेगा। दिल्ली की लैण्डफिल साइट्स पर ऊर्जा निर्माण प्लांट लगाने की बात सरकार लम्बे समय से करती रही है पर आज भी बजट में उस पर कोई ठोस वित्तीय प्रवधान नहीं रखा गया।
बजट में सरकार ने प्रदूषण एवं सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था दोनों के मुद्दे पर भी निराशा दी है। सरकार क्लस्टर बसों की संख्या बढ़ाने की बात कर डीटीसी के लिये बसें खरीदने पर चुप्पी साध गई जो स्पष्ट दर्शाता है कि सरकार अपनी खुद की जिम्मेदारी से भाग रही है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि स्वास्थ्य सेवाओं के मुद्दे पर सरकार की असफलता एक बार फिर पूरी तरह उजागर हुई है। सरकार अगले 2 वर्ष में अस्पतालों में बेड दोगुने करने की बात कर रही है जो कि पिछले 2 बजटों में भी कहा गया था पर सत्य यह है कि पिछले 2 वर्ष में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लगभग 90 बेड कम हुये हैं। सरकार द्वारा यह कहना कि अब हम सरकारी अस्पतालों से मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर करेंगे खुद-ब-खुद सरकारी अस्पतालों की मूलभूत सुविधाओं की पोल खोल गया है।
इस बजट ने दिल्ली के युवाओं को भी निराश किया है क्योंकि सत्ता में आने के दो वर्ष बाद भी सरकार फ्री वाई-फाई पर चर्चा करने से बच रही है तो वहीं दूसरी ओर नये काॅलेज एवं स्कूल केवल स्वप्न बने हुये हैं। दिल्ली सरकार बार-बार दावा करती है कि हमने आठ हजार स्कूली कमरे बनवाये हैं पर कभी भी उनकी कोई सूची जारी नहीं करती है, हम मांग करते हैं कि बड़े-बड़े विज्ञापन देने वाली केजरीवाल सरकार एक विज्ञापन जारी कर यह स्पष्ट करे कि 14 फरवरी, 2015 के बाद कितने स्कूली कमरों का निर्माण स्वीकृत किया और उन पर काम प्रारम्भ किया। सच तो यह है कि जो भी स्कूली कमरे इस सरकार के कार्यकाल में बने हैं वह पिछली सरकारों द्वारा स्वीकृत थे।
सरकार ने अपने घोषणा पत्र में दिल्ली में 2 लाख पब्लिक शौचालय बनवाने की बात रखी थी पर आज उससे पीछे जाते हुये वित्त मंत्री सिसोदिया ने केवल 19 हजार शौचालय निर्माण पूरा करने का लक्ष्य पांच वर्ष के लिये रख दिया।