आपने कभी पार्टी या अरविंद केजरीवाल से राज्‍यसभा का सदस्‍य बनाने की मांग की थी?
ऐसी चर्चा कभी प्रत्‍यक्ष रूप से तो नहीं हुई। पार्टी तथा अरविंद की चाहत रही होगी क्‍योंकि जब-जब किसी मुद्दे पर विपक्ष ने सार्वजनिक मंच पर या मीडिया में आकर अरविंद को सीधी बहस के लिए चुनौती दी तो अरविंद ने हमेशा यही कहा कि उनकी तरफ से कुमार विश्‍वास बहस करेगा। इससे जाहिर था कि अरविंद पब्लिक की पंचायत में ही नहीं देश की उस पंचायत में मुझे बतौर प्रतिनिधि भेजना चाहते हैं जहां सियासी बहस होती है। पार्टी के कार्यकर्ता भी ऐसे अवसरों पर कहते रहे कि कुमार विश्‍वास अगर पार्लियामेंट में पार्टी का प्रतिनिधित्‍व करेंगे तो पार्टी की नीतियों और मुद्दों के साथ सार्थक और प्रभावशाली ढंग से जनता की बात रख सकेंगे। मुझें नही भेजा गया इसका कोई अफसोस नहीं है लेकिन कम से कम उन लोगों को तो नजर अंदाज नहीं करते जो इतने काबिल और सक्षम हैं कि देश की पंचायत में भेजने से पार्टी का सम्‍मान बढ़ता।

आपको राज्यसभा में क्‍यों नहीं भेजा गया?
इस सवाल का जवाब तो अरविंद जी ज्‍यादा बेहतर ढंग से दे सकते हैं लेकिन मैं इतना जानता हूं कि पिछले सात महीने से अरविंद के आस पास ऐसे लोगों की मंडली ने अपना घेरा कस लिया था जिन्‍होंने मेरी सलाह और मेरी कही गई हर बात को पार्टी विरोध से जोड़कर और बीजेपी से मेरी मिलीभगत बताकर प्रचारित करना शुरू कर दिया था। कभी मुझे बीजेपी का एजेंट बताया गया, कभी कहा गया कि मैं बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश कर रहा हूं। सच क्‍या है ये अरविंद को भी पता है और उनकी मंडली भी जानती है लेकिन मैंने कभी चाटुकारिता नहीं की जिसका फल मुझे इस रूप में मिला है। जब मुझ पर उनकी मंडली के कुछ लोगों ने बेबुनियाद आरोप लगाए और अरविंद चुप रहे मैंने तभी समझ लिया था कि देर सबेर अरविंद ऐतिहासिक भूल जरूर करेंगे। इन भूलों की शुरुआत हालांकि उन्‍होंने बहुत पहले कर दी थी। लेकिन अब जो फैसले लिए जा रहे हैं उसने सिद्धांतों की राजनीति में विश्‍वास करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ दिया है।

जिन तीन लोगों को राज्यसभा भेजा गया है क्‍या आप उनके चयन से सहमत हैं?
संजय सिंह पर तो किसी को आपत्ति नहीं है लेकिन बाकी दो गुप्‍ता को जिस तरह से पैराशूट से उतारकर ये गिफ्ट दिया गया उससे मैं ही नहीं पार्टी के वो तमाम लोग जो आंदोलन के दिनों से साथ थे उन्‍हें गहरा धक्‍का लगा है। जिन मूल्‍यों और सिद्धांतों को लेकर वे लोग भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और फिर आम आदमी पार्टी से जुड़े थे उन्‍हें इस फैसले से जरूर निराशा हुई है। वे खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

कुछ नेता आरोप लगा रहे हैं कि राज्‍यसभा नहीं भेजे जाने से ही आप पार्टी नेतृत्‍व पर सवाल उठा रहे हैं?
सवाल ये नहीं है कि मुझे राज्‍यसभा में नहीं भेजा गया। सवाल ये है कि वैकल्पिक राजनीति के लिए एक बड़ा मंच तैयार करने वाले जिन हजारों कार्यकर्ताओं ने दिन रात एक करके, अपनी नौकरी, रोजगार को दांव पर लगाकर भ्रष्‍टाचार विरोधी आंदोलन में हिस्‍सा लिया और फिर कड़ी मेहनत करके एक विश्‍वास के साथ पार्टी को अपने खून पसीने से सींचा, आपने उनका तिरस्‍कार कर दिया। आप अपने ही गढ़े गए सिद्धांतों से पीछे हट गए। आपने ऐसे लोगों पर विश्‍वास किया जो कल तक आपको गाली दे रहे थे। आपने अपने कर्मठ साथियों पर विश्‍वास न करके बाहर से आए उन लोगों को ज्‍यादा महत्‍व दिया जिनका न तो पार्टी बनाने में, न ही उसे बढ़ाने में कभी योगदान रहा। जाहिर है इससे कर्मठ लोगों को निराशा तो होगी। मेरा मानना है कि अब मां और बहनें अब किसी बेटे और भाई को आंदोलनों में शामिल होने के लिए नहीं भेजेंगी।

(आप नेता कुमार विश्वास की बातचीत विशेष संवाददाता  सुनील वर्मा के साथ)