केरल के बहुचर्चित ‘लव जिहाद’ के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की जांच एनआईए को सौंप दी है। एनआईए इस बात की जांच करेगी क्या इस घटना के पीछे किसी आतंकवादी संगठन का हाथ है। एनआईएन ने भी कोर्ट में कहा है कि ये केस अकेला नहीं लगता और इसका प्रतिबंधित संगठन सिमी से संबंध है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आर वी रविंद्रन की देखरेख में यह पूरी जांच होगी।

मामला एक मुस्लिम शख्स द्वारा हिंदू महिला का कथित तौर पर धर्म बदलवाकर उससे निकाह करने का है। बताते चलें कि हाई कोर्ट के बुलाने पर हदिया 19 दिसंबर को शफीन जहां के साथ कोर्ट में पेश हुई। कोर्ट को बताया गया कि दोनों ने कुछ दिन पहले निकाह किया है। हाई कोर्ट ने पाया कि अशोकन की याचिका के बाद जल्दबाज़ी में शादी करवाई गई है। हदिया को अपने पति के बारे में ठीक से जानकारी भी नहीं थी।

क्या है पूरा मामला

केरल के वाइकोम की रहने वाली अखिला तमिलनाडू के सलेम में होम्योपैथी की पढ़ाई कर रही थी। उसके पिता के एम अशोकन का आरोप है कि हॉस्टल में उसके साथ रहने वाली 2 मुस्लिम लड़कियों ने उसे धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया। अखिला ने इस्लाम कबूल कर अपना नाम हदिया रख लिया और जनवरी 2016 में वो अपने परिवार से अलग हो गई।

दिसंबर 2016 में अशोकन ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी गलत हाथों में पड़ गई है। उसे आईएस का सदस्य बना कर सीरिया भेजा जा सकता है। उन्होंने बेटी को अपने पास वापस भेजने की मांग की।