मृत्युंजय कुमार। उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय प्रदेश होने के नाते इसका महत्व और बढ़ जाता है। अगले साल यहां चुनाव भी है और उसे जीतने के लिए हर दांवपेंच आजमाने की तैयारी भी दिखती है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या ये तैयारी पर्याप्त है? क्या भाजपा इससे मिशन 2017 पूरा कर पाएगी? सपा सरकार में होने के नाते मुस्तैद है, बसपा अपने ठोस वोट बैंक के साथ जिताऊ जातियों का समीकरण बना रही है तो कांग्रेस भी पीके और नए गठबंधनों के गणित के सहारे नैया पार करना चाहती है। ऐसे में भाजपा के पास क्या रास्ता बचता है। क्या बिहार की हार से कोई सबक ले रही है या पुराने ही रास्ते पर चलने की तैयारी है?

हर दांव की तैयारी

दरअसल जिस प्रकार से तमाम दिग्गज नामों को किनारे कर प्रदेश अध्यक्ष का चयन किया गया वह इस बात का संकेत भी करता दिखता है कि अनुभव और संगठन के नाम पर पुरानी रीत नहीं चलेगी। अध्यक्ष पद पर पिछड़ा दांव के बाद प्रयास दलित दांव की ओर दिख रहा है। कुछ ही दिन पहले बहराइच में सुहैलदेव पर कार्यक्रम में अमित शाह का आना पासी समुदाय को और नजदीक लाने की कवायद थी। अभी 24 अप्रैल को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सारनाथ में धम्मचक्र यात्रा को हरी झंडी दिखाई। इस यात्रा में बौद्ध भिक्षुओं का दल छह महीने तक प्रदेश में घूमेगा और लोगों को बताएगा कि बौद्ध धर्म और भीमराव आंबेडकर के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या सोचते हैं। धार्मिक दिखने वाले इस अभियान के जरिए बसपा के दलित आधार पर सेंध लगाने की कोशिश होगी। इस अभियान को बसपा से आए नेताओं की निगरानी में चलाया जाएगा। इससे यह भी लगता है कि मोदी मिशन यूपी के लिए सिर्फ संगठन की ताकत पर निर्भर नहीं रहना चाहते। वह संगठन नेटवर्क से अलग तंत्रों का इस्तेमाल भी आधार बढ़ाने में ठीक से करेंगे। हो सकता है कि मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी प्रदेश संगठन के लोगों के लिए चौंकाने वाला हो। 19 मई के बाद संभावित केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के साथ ही इस पर भाजपा नेतृत्व द्वारा निर्णय ले लिए जाने की संभावना है।

जाति से अलग महिलाओं का गणित

संभवत इसी कड़ी में पीएम द्वारा उज्जवला योजना की शुरुआत बलिया से हो रही है। इस योजना में ग्रामीण बीपीएल परिवारों की महिलाओं को एलपीजी गैस कनेक्शन दिया जाएगा। चूल्हे पर खाना बनाने में जो दिक्कत गांव में होती है वह गांव के लोगों को पता है। बरसात में यह संकट और भीषण हो जाता है जब जलावन की सामग्री लकड़ियां, गोबर के उपले आदि गीले हो जाते हैं। लोगों में पारंपरिक र्इंधनों की कमी के कारण झगड़े भी होने लगते हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम राज्य मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान बताते हैं कि आने वाले तीन वर्षों में पांच करोड़ बीपीएल परिवार की महिलाओं के नाम पर एलपीजी गैस कनेक्शन दिए जाएंगे। इसके लिए करीब 10 हजार नई गैस एजेंसियों की जरूरत भी होगी। उनके अनुसार पहली बार भारत सरकार की ओर से महिलाओं के नाम पर इतना बड़ा कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वह कहते भी हैं कि इस योजना में गांव के पिछड़े तबकों को ध्यान में रखते हुए सस्ती दरों पर चूल्हा और पहली रीफिल की भरपाई का इंस्टालमेंट तथा ईएमआई का मैकेनिज्म डेवलप किया गया है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में भारत के ग्रामीण इलाकों के 35 प्रतिशत घरों में ही एलपीजी गैस कनेक्शन हैं। जाहिर है कि भाजपा ऐसी योजनाओं के जरिए जाति से अलग महिलाओं का वोट बैंक देख रही है।

फिर भी सवाल बहुत हैं

इस योजना से गांव की गरीब महिला मतदाताओं को प्रभावित करने की उम्मीद भाजपा नेताओं को है। फसल बीमा योजना, ग्राम सभा को बड़ा बजट और ग्राम विद्युतीकरण जैसे कदम भी प्रदेश के भाजपा नेताओं को संतुष्ट करते नहीं दिख रहे हैं। एक भाजपा नेता कहते हैं कि महाराष्ट्र की तरह यूपी में बुंदेलखंड पानी के लिए तड़प रहा है। इस समय अगर प्रधानमंत्री वहां जाते तो उनका दिल जीता जा सकता था। दिल्ली के शास्त्री भवन में काम करवाने पहुंचे यूपी के एक पूर्व सांसद कहते हैं कि अभी मिशन यूपी में कई दिक्कतें हैं पर उम्मीद करते हैं कि सुधार हो जाएगा।

प्रदेश के नेताओं और कार्यकर्ताओं से बातचीत में कुछ महत्वपूर्ण बातें उभरकर सामने आई।

  1. जन संवादहीनता और विकास कार्यों के प्रति उदासीनता के कारण ज्यादातर लोकसभा सांसदों के प्रति लोगों में भारी असंतोष है।
  2. मुद्रा बैंक योजना के अंतर्गत कोई बैंक शिशु ऋण नहीं उपलब्ध करा रहा है। कोई व्यक्ति इसके लिए बैंक जाता है तो अधिकारी या तो मना कर देते हैं या कह देते हैं कि इस शाखा पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं है।
  3. जिस तरह केंद्र सरकार ने उद्योगों के अस्तित्व के लिए कॉरपोरेट टैक्स माफ किए उसी तरह किसानों के ऋण माफ करने की घोषणा सरकार को शीघ्र करना आवश्यक है।
  4. अविरल गंगा, निर्मल गंगा पर काम नहीं दिख रहा। यह जनता में चर्चा का विषय है।
  5. कालेधन की वापसी पर किया गया वायदा विपक्ष ने जनता की जुबान पर चढ़ा दिया है।
  6. सूखाग्रस्त किसानों को आर्थिक राहत नहीं मिल पाना।
  7. युवाओं को रोजगार की दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं हो पाना।
  8. भाजपा के आम कार्यकर्ताओं को यह महसूस नहीं हो पाना कि दिल्ली में उनकी पार्टी की सरकार है। बल्कि नेता भी दिल्ली में अपने कार्यकर्ताओं का काम नहीं करा पाने की बात स्वीकार करते हैं।

इन सवालों पर यूपी भाजपा के प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव कहते हैं कि केंद्र सरकार ने जितनी विकास योजनाएं चलाई हैं उसके साथ अगर इन बिंदुओं पर भी पार्टी नेतृत्व गौर करे तो मिशन 2017 और आसान हो जाएगा।