पटना।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहली बार लालू यादव और उनके परिवार पर लगे संपत्ति के आरोपों पर जवाब दिया है। उन्‍होंने दो टूक शब्दों में भाजपा नेता सुशील मोदी को सलाह दी है कि अगर उनके आरोपों में तथ्य हैं तो जांच करा लें। एक कार्यक्रम में पत्रकारों के सवालों के जवाब में उन्‍होंने कहा कि वे 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं और जो लोग उनमें ये क्षमता देखते हैं, वे उनके शुक्रगुजार हैं।

विपक्षी खेमों से ऐसी आवाजें उठती रही हैं कि 2019 में बीजेपी को शिकस्त देने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट होना पड़ेगा। राजनीतिक विश्लेषक भी नीतीश कुमार को पीएम पद का योग्य उम्मीदवार मानते हैं। ऐसे में नीतीश का ये बयान कई अटकलें पैदा करने वाला है।

पिछले एक महीने से राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों पर पद का दुरुपयोग कर संपत्ति अर्जित के आरोप लग रहे हैं। पहले नीतीश कुमार ने पहले कहा था कि उन्हें इस पर कुछ नहीं कहना है क्योंकि जो आरोप लगाए जा रहे हैं,  उनका जवाब लालू खुद दे ही रहे हैं। इसमें किसी और को प्रतिक्रिया देने की क्या जरूरत है।

उनके मंत्रिमंडल के दो सदस्य- तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव द्वारा राज्य सरकार को दिए जाने वाले संपत्ति के ब्योरे में कई संपत्तियों का खुलासा नहीं किया गया है। इस बाबत नीतीश ने कहा,  संपत्ति का ब्योरा 2011 से मंत्रियों को देना होता है,  ये एक डिक्लेरेशन है। जिसके पास जो संपत्ति है, उसका ब्योरा देना होगा और इसका कानून से कोई संबंध नहीं है बल्कि यह एक परंपरा की शुरुआत है। यह तो एक नैतिक और सामजिक महत्त्व की बात है कि जिसकी जो सम्पति है उसका खुलासा किया जाए।

माना जा सकता है कि नीतीश कुमार के बयान से लालू यादव और उनके दोनों बेटे निश्चित रूप से राहत महूसस करेंगे। दरअसल, नीतीश का तात्‍पर्य यह है कि कंपनी लॉ केंद्र का विषय है। दूसरे पक्ष पर भी आरोप लगा है। लोगों के दिमाग को डाइवर्ट करने की कोशिश हो रही है। यह सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है।

सीएम नीतीश पर आरोप लगाया गया कि सत्ता के लोभ में वह लालू यादव के खिलाफ कोई कदम उठाने से बच रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने लालू प्रसाद की बेटी व राज्यसभा सांसद मीसा भारती और उनके पति शैलेश कुमार पर मुखौटा कंपनियों के जरिये कौड़ियों के दाम पर करोड़ों की जमीन खरीदने का आरोप लगाया था।

ईवीएम पर अलग राय को लेकर नीतीश ने कहा, बैलेट पेपर का जमाना लद गया है। ईवीएम ठीक है। ईवीएम को लेकर अगर कोई सुझाव आए तो उसपर जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए। नीतीश ने साफ़ किया कि वह लालू यादव की पार्टी आरजेडी के साथ सरकार चला रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं कि आरजेडी की विचारधारा उनकी पार्टी की भी विचारधारा है। उन्‍होंने कहा, ‘हम तो यही चाहेंगे कि प्रणव मुखर्जी फिर से देश के राष्ट्रपति बनें और इस पद के चुनाव के लिए आम सहमति से ही निर्णय लिया जाना चाहिए।