गुलाम चिश्ती/ सदन मोहन महाराज।

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व तैयारियों के बीच असम के कोकराझाड़ जिले के बालाजान में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आॅफ बोडोलैंड (एनडीएफबी-संगविजित) के आतंकियों ने एक बार फिर 14 लोगों को मार गिराया। कभी आदिवासी, कभी मुस्लिम, कभी हिंदीभाषी और कभी नेपालियों पर कहर ढाने वाले इस संगठन ने इस बार बोडो समुदाय को भी नहीं छोड़ा। इस आंतकी घटना में मारे गए लोगों में सर्वाधिक बोडो समुदाय के थे। साथ ही घायलों में भी उनकी संख्या ज्यादा थी। बोडो समुदाय के लोगों की अधिक मौत को देखते हुए स्थानीय मीडिया ने पहले इसके पीछे जेहादियों के हाथ होने की आशंका व्यक्त की थी। लेकिन घटना के बाद राज्य पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मुकेश सहाय की टिप्पणी में कहा गया कि इसके पीछे एनडीएफबी (सं) का हाथ है। उसके बाद राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने भी अपने आधिकारिक बयान में घटना के लिए एनडीएफबी को जिम्मेदार ठहराया। इन सबके बीच पूर्व डीजीपी व पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के सुरक्षा सलाहकार रहे जीएम श्रीवास्तव का मानना है कि भले ही इसके पीछे एनडीएफबी (एस) का हाथ हो, परंतु कहीं न कहीं जेहादियों के हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता। हो सकता है कि जेहादियों ने इस घटना को एनडीएफबी के हाथों अंजाम दिलाया हो।
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने विधानसभा में जो बातें कहीं, उनसे स्पष्ट है कि घटना को एनडीएफबी (सं) ने अंजाम दिया। हालांकि उन्होंने इस बात को जरूर जोड़ा कि इस बात की जांच की जा रही है कि इसके पीछे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी तीसरी शक्ति का हाथ है या नहीं।

उधर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह का जो बयान आया, उसमें किसी तीसरी शक्ति का जिक्र नहीं है। हां, किरन रिजीजू ने इसके पीछे खड़े लोगों के बारे में गहरी जांच की आवश्यकता पर जरूर जोर दिया।

दूसरी तरफ घटना को अंजाम देने वाले एनडीएफबी (सं) के प्रमुख ने मीडिया को जारी बयान में अपने संगठन के शामिल होने से इनकार किया है। जानकार बताते हैं कि घटना में बोडो समुदाय के लोग अधिक मारे गए। इसलिए अपना मुंह छिपाने के लिए वह इसमें शामिल होने से इनकार कर रहा है, परंतु बोडोलैंड स्वायत्तशासी परिषद (बीटीसी) प्रमुख हग्रामा महिलारी ने इसके पीछे एनडीएफबी का हाथ बताया। साथ ही ऐसी घटना को अंजाम देने के लिए संगविजित गुट को कायर की संज्ञा दी। कोकराझाड़ के बलेन ब्रह्मद्द का कहना है कि ढाका में जमायत-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (जेएमबी) के सदस्य संबंधित इलाकों में भी सक्रिय हैं। ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इसके पीछे जेएमबी के लोग हैं। कारण यह कि जिस समय इस घटना को अंजाम दिया गया वह शुक्रवार की नमाज का समय था। उस समय अक्सर मुस्लिम समुदाय के लोग जुमा की नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में होते हैं। यह अलग बात है कि मारे जाने वालों में चार मुस्लिम समुदाय से भी हैं।

सरकारी तंत्र की ओर से घटना के पीछे एनडीएफबी का हाथ बताए जाने के बावजूद कुछ लोग अभी भी इसके पीछे किसी और शक्ति के खड़े होने या उसका हाथ होने की आशंका जाहिर कर रहे हैं। वैसे राज्य में स्वतंत्रता दिवस से पूर्व या इस ऐन मौके पर आतंकी घटनाएं होती रहती हैं। जब पूरा देश स्वाधीनता का जश्न मनाने में व्यस्त होता है, उस समय असम के यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आॅफ असम (उल्फा-स्वाधीन) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आॅफ बोडोलैंड (एनडीएफबी-संगविजित) सहित पूरे पूर्वोत्तर के कई आतंकी संगठन आम बंद का आह्वान करते आ रहे हैं। इस वर्ष भी उन्होंने बंद का आह्वान किया। परिणामत: यहां स्वाधीनता दिवस पर लोग सार्वजनिक रूप से खुशियों का इजहार करते कम ही दिखे। किसी आतंकी खतरे से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियां पहले से सक्रिय हो जाती हैं। बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जाता है।

पुलिस ने बताया कि बालाजान घटना में एक हमलावर सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में मारा गया। इस तरह इस घटना में कुल 15 लोग मारे गए हैं। इस घटना को तीन आतंकियों ने अंजाम दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एके-47 रायफल से लैस एनडीएफबी (सं) आतंकियों का एक दल टैंपो नंबर (एएस-16-सी-6340) में सवार होकर होकर आया और उतरते ही बालाजान तिनाली बाजार पर हमला कर दिया तथा ग्रेनेड फेंकने लगा। चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। ग्रेनेड फेंकने से दो दुकानों में आग लग गई। अग्निशमन की गाड़ी घटनास्थल पर पहुंची और आग को काबू में किया। मारे गए आतंकी के पास से एक एके-47 रायफल व एक हैंडग्रेनेड बरामद हुआ। आतंकियों ने एके-56/47 व ग्रेनेड से निदोर्षांे पर हमला किया था। 12 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक घायल हुए। पुलिस के मुताबिक दो घायलों ने अस्पताल ले जाने के दौरान दम तोड़ दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले पर ट्वीट किया ‘कोकराझाड़ के हमले से दुखी हूं। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। मारे गए लोगों के शोक संतप्त परिवारों और घायलों के प्रति हमारी गहरी संवेदना है।’इस हमले में मारे गए लोगों में एक महिला शामिल है जिसकी पहचान होना अभी बाकी है।

असम के पुलिस महानिदेशक मुकेश सहाय ने अपनी त्वरित टिप्पणी में इसके पीछे नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आॅफ बोडोलैंड (एनडीएफबी-एस) का हाथ बताया। घटनास्थल से एके-56 और 47 सीरीज की राइफलें और गोले बरामद हुए हैं। इस नरसंहार के चश्मदीद दुकानदार मानिक देबनाथ ने बताया कि करीब पांच उग्रवादी एक वाहन से आए और उन्होंने करीब 15-20 मिनट तक अंधाधुंध गोलियां चलाई। वे फौजी वर्दी में थे और उन्होंने अपना चेहरा ढक रखा था। देबनाथ ने कहा कि उग्रवादियों ने एक गोला भी फेंका जिससे दुकानों में आग लग गई। लोग अपनी जान बचाने की कोशिश में भागने लगे। एडीजीपी एलआर विश्नोई के मुताबिक हमला करने वाले तीनों आतंकी टेम्पो में नकली प्लेट नंबर लगा कर आए थे। सेना व पुलिस ने एक आतंकी को मार गिराया तथा दो आतंकी फरार हो गए।

मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि उग्रवादियों से सख्ती से निबटा जाएगा। मुख्यमंत्री सोनोवाल ने कहा कि हम किसी भी संगठन की कोई धमकी बर्दाश्त नहीं करेंगे। सरकार उग्रवादी संगठनों से निपटने के दौरान किसी भी दबाव के सामने नहीं झुकेगी। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को इस हमले और स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर हाई अलर्ट का निर्देश दिया गया है। उन्होंने इस हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए पांच-पांच लाख रुपए की अनुग्रह राशि, गंभीर रूप से घायलों के लिए एक-एक लाख रुपए तथा मामूली रूप से जख्मी लोगों के लिए 20-20 हजार रुपए की घोषणा की। इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू ने नई दिल्ली में कहा कि हमें यह पता करना होगा कि वाकई कौन लोग इस कायराना हरकत के पीछे हैं।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इस हमले के बारे में जानकारी दी। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एल.आर. बिश्नोई ने संवाददाताओं को बताया कि प्राथमिक जांच से स्थापित हो गया है कि यह हमला एनडीएफबी (एस) ने किया। उन्होंने कहा कि मारे गए उग्रवादी से प्राप्त मोबाइल फोन में एनडीएफबी (एस) के कई शीर्ष नेताओं के मोबाइल नंबर हैं और इससे यह स्थापित होता है कि इस हमले में यह संगठन शामिल है। वैसे जांच अभी जारी है। बिश्नोई ने कहा कि हो सकता है एनडीएफबी (एस) ने कुंठा मेंं यह हमला किया हो। कारण यह है कि सुरक्षाबलों ने हाल ही में इस संगठन के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है। उन्होंने कहा कि एकीकृत कमान ने उन क्षेत्रों में अभियान शुरू किया है जहां वरिष्ठ नेताओं के छिपने का संदेह है और हो सकता है कि यह हमला सुरक्षाबलों का ध्यान बांटने के लिए किया गया हो। सोनोवाल ने कहा कि लोगों की जान और संपत्ति की सुरक्षा करना सरकार की पहली और सर्वोच्च प्राथमिकता है।

बाजार में सामान खरीदने गई गृहिणी दिपाली ब्रह्मद्द ने बताया कि चारों तरफ अराजकता थी और लोगों को चीजें समझने में कुछ समय लगा। उन्होंने कहा कि सेना और पुलिस करीब 15 मिनट बाद मौके पर पहुंची तथा फिर दोनों पक्षों में मुठभेड़ हुई। हम डरे हुए थे और कुछ दुकानों के पीछे शरण लेने की कोशिश की। जानकार बताते हैं कि इन दिनों एनडीएफबी (सं) असम का सबसे शक्तिशाली आतंकी संगठन है, जबकि इसके कुल कैडरों की संख्या दो- ढाई सौ के बीच बताई जा रही है, जिनमें से एक बड़ी संख्या म्यांमार में रहती है। पिछले वर्ष आदिवासियों पर हमले के बाद केंद्रीय सुरक्षाबलों ने भूटान सीमा से लेकर पूरे क्षेत्र में संगठन के खिलाफ अभियान छेड़ा। पुलिस का दावा है कि उसने इस संगठन को पूरी तरह से तबाह कर दिया। लेकिन कोकराझाड़ की घटना के बाद स्पष्ट हो गया कि संगठन अभी सक्रिय है और उसमें दम-खम बरकरार है।

असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवब्रत सैकिया का कहना है कि बालाजान शुरू से ही अति संवेदनशील इलाका रहा है। इसीलिए वहां एक सुरक्षा चौकी स्थापित की गई थी, परंतु राज्य में भाजपा की सरकार आने के बाद वह सुरक्षा चौकी हटा दी गई। इसलिए इस घटना के लिए सोनोवाल सरकार पूरी तरह जिम्मेवार है। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान यहां पूरी तरह शांति बनी रही, परंतु सुरक्षा चौकी के हटाए जाने से आतंकी एक बार फिर बेलगाम हो गए और निर्दाेषों की जान ले ली।

कोकराझाड़ सहित पूरा बीटीसी इलाका पीछे तीन-चार वर्षों से कई आतंकी घटनाओं का गवाह बन चुका है। यहां आतंकियों के शिकार दुधमुंहे बच्चों से लेकर महिलाएं भी हो चुकी हैं। बार-बार केंद्र सरकार की ओर से कहा जाता है कि हम एनडीएफबी (एस) को पूरी तरह कुचल देंगे, परंतु संगठन के कार्यों को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह पूरी तरह से बेलगाम हो चुका है। साथ ही एनडीएफबी (एस) के आतंक और वहां की वर्तमान शासन व्यवस्था से निपटने के लिए जेएमबी जैसे संगठनों का अस्तित्व में आना कम चिंता की बात नहीं है। 