कांग्रेस के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को गैर इरादतन हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया है। सिद्धू ने 30 साल पुराने रोडरेज के एक मामले में तीन साल की जेल की सजा के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। हालांकि शीर्ष अदालत ने कॉमेडियन नवजोत सिंह सिद्धू को जानबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया है और इस मामले में सिद्धू पर जुर्माना लगाया है।

बता दें कि यह घटना 27 दिसंबर, 1988 की है, जब सिद्धू व उनके चचेरे भाई ने एक रोडरेज मामले में गुरनाम सिंह व दो अन्य की कथित तौर पर पिटाई की थी। पिटाई के कारण गुरनाम सिंह की बाद में मौत हो गई थी।

राज्य सरकार ने 12 अप्रैल को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा मंत्री को दोषी करार दिए जाने का समर्थन किया। इसने शीर्ष अदालत से कहा कि 65 साल के पीड़ित की सिद्धू के एक ही घूंसे में मौत हो गई।

साल 1999 में पटियाला की निचली अदालत ने मौत की वजह दिल का दौरा बताते हुए सिद्धू व उनके चचेरे भाई को दोषमुक्त कर दिया था।

हाई कोर्ट ने दिसंबर 2006 में निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा कि सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं, बल्कि दिमाग के अगले भाग में चोट लगने से हुई थी। सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए अदालत ने तीन साल जेल की सजा सुनाई। शीर्ष अदालत ने साल 2007 में दोषी करार देने पर रोक लगा दी।