अजय विद्युत।

हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना की आज छठी पुण्यतिथि है। उनकी रील लाइफ और रीयल लाइफ में खास अंतर नहीं था। फिल्म ‘आनंद’ में उनके द्वारा निभाया गया किरदार मृत्यु से पहले एक संदेश रिकार्ड करा जाता है जिसे उस की मृत्यु के बाद सुनाया जाता है। उसी तरह वास्तविक जिंदगी में भी उन्होंने एक संदेश रिकार्ड कराया था जो उनके निधन के बाद चौथे पर मौजूद सभी लोगों के सामने सुनाया गया। वह सुपर स्टार जिसने भारतीय युवाओं की पूरी पीढ़ी को पैंट के साथ कुरता पहनने का फैशन दिया, जिसकी 163 में से 105 फिल्में सुपरहिट रहीं, जिसके फैन्स पागलपन की हद तक उसके प्रति दीवाने थे और लड़कियां अपने खून से चिट्ठी लिखती थीं… ऐसी प्रसिद्धि न उससे पहले किसी को मिली, न बाद में। उनकी अंतिम यात्रा में उनके नौ लाख से ज्यादा प्रशंसक शामिल हुए थे। अट्ठारह जुलाई सन् दो हजार बारह को इस दुनिया से विदा लेने वाले राजेश खन्ना के चाहने वाले आज भी कम नहीं हैं… उनके अंतिम संदेश का मूलपाठ यहां प्रस्तुत है।

जो दिन गुजर गए उसका क्या सोचना…

“मेरे प्यारे दोस्तो, भाइयो और बहनो,

नॉस्टेलजिया में रहने की आदत नहीं है मुझे। हमेशा भविष्य के बारे में ही सोचना पड़ता है। जो दिन गुजर गए बीत गए उसका क्या सोचना है। लेकिन जब जाने पहचाने चेहरे अनजान सी एक महफिल में मिलते हैं तो यादें ख्वाबिस्ता हो जाती हैं, यादें फिर दोबारा लौट आती हैं। कभी कभी मुझे ऐसा लगता है कि सौ साल पहले जब मैं दस साल का था तब से हमारी मुलाकात है। मेरा जन्म थियेटर से हुआ। मैं आज जो कुछ भी हूं वो स्टेज थियेटर की बदौलत हूं। मैंने जब थियेटर शुरू किया तो मेरे थियेटर वालों ने मुझे एक जूनियर आर्टिस्ट का रोल दिया था। एक इंस्पेक्टर का जिसका सिर्फ एक ही डायलॉग था कि- ‘खबरदार नम्बरदार भागने की कोशिश की। पुलिस ने चारों तरफ से घेर रखा है तुम्हें।’ ये डायलॉग था। तो उसमें जैसे मैं सेकेंड एक्ट में गया तो मैंने जा के कहा, ‘नम्बरदार खबरदार। तुमने भागने की…’ उसके बाद डायलॉग भूल गया। तो वीके शर्मा जो हीरो थे उन्होंने कहा कि ‘हां हां इंस्पेक्टर साहब का यह कहना है कि भागने की कोशिश न करना पुलिस ने चारों तरफ से तुम्हें घेर रखा है।’ जो डायलॉग मैंने बोलना था उसे उन्होंने पूरा किया क्योंकि मैं डायलॉग भूल गया। और उसके बाद मुझे बहुत डांट पड़ी और मैं बहुत रोया भी। मैंने कहा कि भाई राजेश खन्ना तुम कहते हो कि तुम एक्टर बनना चाहते हो लेकिन एक लाइन तो तुमसे बोली जाती नहीं है। शर्म की बात है। लानत है तुम पर।’ मैंने बहुत कोसा अपने आप को। और मैंने कहा कि मैं कभी एक्टर नहीं बन सकता। लेकिन फिर भी भगवान की मुस्कान समझ लीजिए, जिद समझ लीजिए कि मैंने कहा कि कुछ न कुछ तो करूंगा, कर के बताऊंगा। मैं जब फिल्मों में आया तो मेरा कोई गॉडफादर नहीं था। फिल्म में कोई मेरा रिश्तेदार या मेरे सिर पर हाथ रखने वाला नहीं था। मैं आया थ्रू द -यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स फिल्मफेयर टैलेंट कॉन्टेस्ट। कॉन्टेस्ट छपा फिल्म फेयर में, टाइम्स आफ इंडिया में। हमने कैंची लेकर उसे काटा। उसे भरा। और वहां लिखा था- प्लीज सेंड 3 फोटोग्राफ्स। हमने तीन फोटो भेजीं। हमको बुलाया गया। यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स में सब बहुत बड़े बड़े प्रोड्यूसर्स थे। चोपड़ा साहब, बिमल रॉय, एचएस रवैल, शक्ति सामंत थे, बहुत सारे थे। तो उन्होंने कहा कि हमने आपको एक डायलॉग भेजा है वह याद किया आपने।

मैं सामने एक कुर्सी पर बैठा था, वे बड़ी सी टेबल के पार बैठे थे। ऐसा लग रहा था जैसे मेरा कोर्ट मार्शल हो रहा है, अभी ये बंदूक निकालेंगे और गोली चला देंगे… क्योंकि सामने अकेली एक कुर्सी थी। मैंने कहा- मैंने डायलॉग तो पढ़ा है, लेकिन आपने नहीं बताया कि इसका कैरेक्टराइजेशन क्या है। हीरो अपनी मां को समझाता है कि मैं एक नाचने वाली से प्यार करता हूं लेकिन मैं उसको तेरे घर की बहू बनाना चाहता हूं- दिस वाज द डायलॉग। मैंने कहा कि आपने न कैरेक्टर बताया मां का, ना हीरो का कि वह अमीर है, गरीब है। मां सख्त है, कड़क है, नरम है क्या है। यह आदमी पढ़ा लिखा है, अनपढ़ है, कुछ भी नहीं है।

तो चोपड़ा साहब ने झट से मुझसे कहा- तुम थियेटर से हो? मैंने कहा- जी। मैंने कहा कि ‘डायलॉग तो आपने लिखकर भेज दिया कि इस तरह से मां को कन्विन्स करना है, डायलॉग बोलिए, लेकिन आपने कैरेक्टराइजेशन नहीं बताया- यह कोई स्टेज का ही एक्टर बोल सकता है।’ वो बोले- ‘अच्छा ठीक है भाई तुम अपना कोई भी एक डायलॉग सुनाओ।’ अब काटो तो खून नहीं पसीना छूट रहा था। क्या डायलॉग बोलूं। इन्होंने तो बोल दिया। और ये सब बड़े बड़े लोग। इन सबकी प्रोड्यूस डायरेक्ट की हुई पिक्चरें हमने दस दस बार देखी हुई हैं। मुझे भगवान के आशीर्वाद से डायलॉग याद आया… मुझको यारो माफ करना प्ले का डायलॉग क्योंकि मैंने वह प्ले किया हुआ था। तो मुझको वह डायलॉग याद आया और मैंने उनसे कहा कि मैं इस कुर्सी से उठ सकता हूं। उन्होंने कहा कि हां हां जो करना है करिए लेकिन आप करके बताइए कि क्या करेंगे। थोड़ा नर्वस भी हुआ क्योंकि जिस तरह से बोला मुझे लगा डांट कर बोला। ये वो डायलॉग है जिसकी वजह से मैं फिल्मों में आया और मुझे जीपी सिप्पी ने चांस दिया चालीस साल पहले :

 डायलॉग जिसने दिलाई बड़े परदे पर एंट्री

‘हां मैं कलाकार हूं। हां मैं कलाकार हूं। क्या करोगे मेरी कहानी सुनकर। आज से कई साल पहले होनी के बिकाने से एक ऐसा प्याला पी चुका हूं, जो मेरे लिए जहर था औरों के लिए अमृत। एक ऐसी बात जिसका इकरार करते हुए मेरी जुबां पर छाले पड़ जाएंगे, लेकिन फिर भी कहता हूं कि जब मैं छोटा था तो एक खौफनाक वाकया पेश आया। भयानक आग में मैं फंस गया, जब जिंदा बचा तो मालूम हुआ कि मैं बदसूरत हो गया हूं। जैसे सुहानी सुबह डरावनी रात में पलट गई हो। मैं बाहर जाने से घबराने लगा। घर पर बैठकर गीत बनाने लगा। जितना ही भयानक था मेरा चेहरा, उतने ही मधुर थे मेरे गीत। दुनिया ने मुझे दुत्कारा लेकिन मेरे गीतों से प्यार करने लगी। और मैं चिल्लाता रहा कि तुम्हें चांदनी रातों से है मोहब्बत और मैं आंखों से बरसाता हूं सितारे। मेरे गीतों ने हजारों को लूटा, मेरी मुलाकात की मिन्नतें होती रहीं। पर मैं, मैं किसी से न मिलता।

एक दिन एक खत आया, मैंने तुम्हारे गीतों में शांति पाई है, अगर मुलाकात न दोगे, न जाने क्या कर बैठूंगी। मुझे लगा, ये खूबसूरत हसीना इसे भुना हुआ अपना ये बदसूरत चेहरा दिखाकर पूरी ताकत से इंतकाम लूं। मैंने उसे बुलाया और वो आई। कितनी खूबसूरत और हसीन, शबनम से भी मुलायम, मैं जैसे मासूम के सामने मायूसी।

मैं चेहरा छुपाकर बातें करता रहा। मैंने शादी का प्रस्ताव पेश किया और वह खुशी से बोली हां मुझे मंजूर है। मैं खुद सहम गया, मैंने चिल्लाकर पूछा कौन हो, कहां से आई हो तुम। उसने धीरे से आंसू बहाते हुए कहा- मैं तो एक अंधी हूं। मैंने उसकी आंखों में देखा, उसकी आंखों में इश्क था। तब मैंने कहा- जो तेरी निगाह का बिस्मिल नहीं, वो कहने को दिल तो है लेकिन दिल नहीं।’

किन अल्फाजों में आपका शुक्रिया अदा करूं

फिल्मों में आ तो गया लेकिन आने के बाद वह खूबसूरत कामयाबी की सीढ़ी चढ़ने का मौका… यह सेहरा तो आपके सिर है। ये आप हैं जिन्होंने मुझे स्टार बनाया स्टार से सुपरस्टार बनाया। किन अल्फाजों में आपका शुक्रिया अदा करूं मुझे समझ में नहीं आता। प्यार आप मुझे भेजते रहे। प्यार वह मुझे मिलता रहा पर उस प्यार को मैं कभी वापिस लौटा नहीं पाया। लेकिन जो भी कहना चाहूंगा, जिन अल्फाजों में भी मैं आपका शुक्रिया अदा करना चाहूंगा वह मेरे दिल की सच्चाई होगी, मेरी ईमानदारी होगी, मेरा जमीर होगा। आज मेरा दिल हल्का हुआ आपसे गुफ्तगू करके, बात करके। और आपका मैंने शुक्रिया अदा किया। मुझे खुद को अच्छा लग रहा है कि चलिए इस बहाने आपसे मुलाकात हुई।

किसी अपना कहें कोई इस काबिल नहीं मिलता, यहां पत्थर तो बहुत मिलते हैं लेकिन दिल नहीं मिलता।

तो दोस्तो, आपका एक हिस्सेदार मैं भी हूं। और जैसा कि मैंने पहले भी कहा कि आपने आपका कीमती वक्त निकालकर, आपका ये प्यार था जो आप यहां इतनी भारी संख्या में मौजूद हुए। तो मैं यही कहूंगा कि बहुत बहुत शुक्रिया, थैंक्यू… और मेरा बहुत बहुत सलाम।“