मुंबई एवं दिल्ली में भवन निर्माण कार्य से संबद्ध मजदूर घर नहीं लौटे हैं. अधिकांश घरों में केवल महिलाएं एवं बुजुर्ग नजर आते हैं. 17वीं लोकसभा के लिए अपना प्रतिनिधि चुनने की जिम्मेदारी इन्हीं महिलाओं एवं बुजुर्गों के हवाले रही. मतदान के दिन बूथों पर पुरुषों से बड़ी कतार महिलाओं की दिखाई दी. घर पर जो भी मौजूद था, उसने वोट करने का मौका नहीं गंवाया. यह बिहार के सीमांचल इलाके की तस्वीर है.

खेतों में मक्का की फसल तैयार होने वाली है. गेहूं कटने के बाद खाली हुए खेतों में जूट की बुआई शुरू हो गई है. मजदूरों के दल एक माह पहले ही पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों के लिए रवाना हो चुके हैं. मुंबई एवं दिल्ली में भवन निर्माण कार्य से संबद्ध मजदूर घर नहीं लौटे हैं. अधिकांश घरों में केवल महिलाएं एवं बुजुर्ग नजर आते हैं. 17वीं लोकसभा के लिए अपना प्रतिनिधि चुनने की जिम्मेदारी इन्हीं महिलाओं एवं बुजुर्गों के हवाले रही. मतदान के दिन बूथों पर पुरुषों से बड़ी कतार महिलाओं की दिखाई दी. घर पर जो भी मौजूद था, उसने वोट करने का मौका नहीं गंवाया. यह बिहार के सीमांचल इलाके की तस्वीर है.

यहां पूर्णिया, किशनगंज एवं कटिहार संसदीय क्षेत्र में 18 और अररिया में 23 अप्रैल को वोटरों ने ईवीएम में अपने सांसद का नाम दर्ज कर दिया. चारों संसदीय क्षेत्रों में वोटरों का मिजाज मोदी हांऔर मोदी नाके बीच विभाजित दिखा. पूर्णिया में जदयू के संतोष कुशवाहा और कांग्रेस के उदय सिंह उर्फ पप्पू के बीच कांटे का मुकाबला रहा. मुस्लिम वोटरों का झुकाव उदय सिंह के पक्ष में ज्यादा दिखा. उदय राजद के यादव एवं स्वजातीय राजपूत वोटरों का समर्थन पाने में भी कामयाब रहे. वहीं शेष वोटरों ने मोदी और नीतीश के नाम पर जदयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा के पक्ष में जमकर वोटिंग की. दोनों उम्मीदवार अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं. कटिहार में कांग्रेस के कद्दावर नेता तारिक अनवर की नैया मझधार में नजर आ रही है. 35 प्रतिशत मुस्लिम वोट उनके पक्ष में गए हैं, इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन 65 प्रतिशत हिंदू वोटरों में से अधिकांश ने मोदी को पसंद किया. यानी जदयू उम्मीदवार दुलाल चंद गोस्वामी बाजी मार सकते हैं.

किशनगंज में कांग्रेस और जदयू के बीच एआईएमआईएम भी सेंध लगाती दिखी. किशनगंज का परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा कि एआईएमआर्ईएम की उड़ान कैसी रही. 70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले किशनगंज में समुदाय विशेष के वोट कांग्रेस के मोहम्मद जावेद, जदयू के महमूद अशरफ और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम उम्मीदवार अख्तरुल ईमान के बीच विभाजित दिखे. किशनगंज में ओवैसी ने इस बार खूब पसीना बहाया. अगर उनकी मेहनत रंग लाई और अख्तरुल इमान अच्छे-खासे वोट खींचने में कामयाब रहे, तो किशनगंज का परिणाम चौंकाने वाला हो सकता है. 40 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले अररिया लोकसभा क्षेत्र में लालू यादव की लालटेन तभी जलती है, जब एमवाईसमीकरण काम करता है. 2018 के उपचुनाव में राजद उम्मीदवार सरफराज आलम इसी वजह से कामयाब हुए थे. लेकिन, 2019 की हवा कुछ बदली सी रही. मुस्लिम वोट तो एकमुश्त सरफराज आलम को मिले, इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन, राजद के कोर वोट यादवों के मन में मोदी का राष्ट्रवाद भी कुलांचे मारता दिखा. अगर यादव वोटर मोदी के राष्ट्रवाद की बयार में बहे होंगे, तो परिणाम भाजपा के प्रदीप सिंह के पक्ष में जा सकता है.