वीरेंद्र नाथ भट्ट।

आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के विधान सभा चुनाव में पार्टी के उमीदवार अपने सांसद मुलायम सिंह यादव का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। जिले में अटकलों का बाज़ार गर्म है क्योंकि अब मुलायम सिंह के स्थान पर उनका बेटा अखिलेश पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष है। विधान सभा चुनाव के चौथे चरण का मतदान 23 फरवरी को पूरा होने के साथ कुल 403 विधान सभा सीटों में 262 सीटों के लिए मतदान पूरा हो जाएगा।

मुलायम सिंह ने अब तक केवल तीन चुनाव सभा की है। दो अपने छोटे भाई शिवपाल यादव के समर्थन में इटावा के जसवंत नगर में और एक लखनऊ में अपनी छोटी बहू अपर्णा यादव के पक्ष में जो लखनऊ छावनी विधान सभा सीट से उमीदवार हैं।

आजमगढ़ में छठे चरण का मतदान 4 मार्च को होना है। 2014 में 63,000 से अधिक मतों से मुलायम सिंह आजमगढ़ से सांसद निर्वाचित हुए थे और सांसद बनने के बाद मुलायम सिंह ने अपने संसदीय क्षेत्र का केवल एक बार दौरा किया है। पिछले वर्ष 6 अक्‍टूबर को आजमगढ़ से मुलायम ने पार्टी के चुनाव प्रचार का श्रीगणेश करने की घोषणा की थी, लेकिन पार्टी और परिवार में विवाद के कारण रैली अंतिम क्षणों में रद्द कर दी गई।

समाजवादी पार्टी के आजमगढ़ के जिला अध्यक्ष हवलदार सिंह के अनुसार, ‘पार्टी तय करगी कि मुलायम सिंह कब आएंगे, जिला इकाई की ओर से प्रदेश अध्यक्ष को निवेदन भेजा जा चुका है लेकिन उत्तर नहीं मिला है।’  हवलदार यादव ने कहा कि मुलायम का अपने क्षेत्र में न आने में कुछ भी असामान्य नहीं है क्योंकि कांग्रेस की तरह सपा में भी दूसरी पंक्ति के नेता अब सक्षम हो गए हैं और चुनाव प्रचार की कमान बखूबी संभाल रहे हैं। सोनिया गांधी भी तो प्रचार नहीं कर रही हैं क्‍योंकि राहुल गांधी अब पार्टी का नेतृत्व करने में सक्षम हो गए हैं।

2013 के विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जिले की दस सीटों में नौ पर विजय हासिल कर जिले में अपना परचम लहाराया था। एक सीट पर बसपा को विजय मिली थी। आजमगढ़ के एक डिग्री कॉलेज के राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर सुधीर कुमार कहते हैं, ‘अब मुलायम सिंह अपने क्षेत्र में बेगाने हो गए हैं और अब केवल जिले में उनकी जाति के बुजुर्गों में ही उनके लिए कुछ सहानभूति शेष है। यदि मुलायम सिंह आजमगढ़ आते हैं तो थोड़ा फर्क पड़ सकता है लेकिन कुछ क्षेत्रों में झटका भी लग सकता है। क्‍योंकि जितने समर्थन की उनको उम्मीद वह करते हैं उतना समर्थन शायद अब न मिले।’