लखनऊ। मुलायम सिंह यादव द्वारा सोमवार को बुलाई गई समाजवादी पार्टी की महाबैठक महासंग्राम साबित हुई है। यहां तक कि यह संग्राम सड़क तक आ गया है। सपा कार्यालय के बाहर अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के समर्थकों के बीच जमकर नारेबाजी और हाथापाई हुई। पुलिस ने समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग भी किया।

महाबैठक में मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला और मुलायम के कहने से अखिलेश और शिवपाल यादव गले मिले।  हालांकि मुलायम के बोलने के दौरान दोनों के बीच बहस की भी खबर है।

मुलायम सिंह यादव ने महाबैठक में कहा कि शिवपाल यादव बड़े नेता हैं। पार्टी में टकराव से दुखी हूं। लोहिया जी के दिखाए मार्ग पर आगे चलें। जरूरत पड़ी तो हम जेल जाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। पार्टी बनाने के लिए बहुत संघर्ष किया। हम जेल भी गए कोई नहीं जानता।

उन्होंने पार्टी नेताओं को हिदायत दी कि ज्यादा बढ़-चढ़कर बातें न करें। जो उछल रहे हैं,  वे एक भी लाठी नहीं झेल सकते। हमें अपनी कमजोरियां दूर करनी चाहिए। हम कमजोरी दूर करने के बजाय लड़ने लगे।

मुलायम सिंह यादव ने इशारों में कहा कि पद मिलते ही दिमाग खराब हो गया। अगर आलोचना सही है तो सुधरने की जरूरत है। कुछ नेता केवल चापलूस हैं। नारेबाजी करने वाले बाहर होंगे। उन्होंने कहा कि मैं पीएम बन सकता था,  लेकिन समझौता नहीं किया। ऐसा नहीं है कि युवा मेरे साथ नहीं हैं,  मैंने युवाओं को टिकट दिया है।

मुलायम ने कहा,  मेरे भाई हैं अमर सिंह। तुम्हारी हैसियत क्या है जो उन्हें गाली देते हो। अमर सिंह ने हमें कई बार बचाया है। शिवपाल और अमर सिंह के खिलाफ नहीं सुन सकता। शिवपाल और अमर सिंह का साथ कभी नहीं छोड़ूंगा।

कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने भावुक होकर कहा, मैं नई पार्टी क्यों बनाऊंगा? मैं भी किधर जाऊंगा, मैं बर्बाद हो जाऊंगा। नेताजी मेरे लिए गुरु हैं,  वह चाहें तो मुझे पार्टी से निकाल सकते हैं। वह कहते तो मैं इस्तीफा दे देता। अखिलेश ने अमर सिंह पर निशाना साधा और कहा कि पार्टी के खिलाफ साजिश रचने वालों के खिलाफ बोलूंगा।

शिवपाल यादव ने समर्थकों को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि अखिलेश ने अलग पार्टी बनाकर दूसरे दल के साथ चुनाव लड़ने की बात कही है। मैं कसम खाकर कहता हूं कि अखिलेश ने यह बात कही थी। क्या मैंने सीएम अखिलेश से कम काम किया है। मेरे विभाग छीने गए मेरा कसूर क्या था। मैंने सीएम और नेताजी के हर आदेश को माना। पार्टी में कुछ लोग सत्ता की मलाई चाट रहे हैं। हमने पार्टी बनाने के लिए संघर्ष किया। क्या सरकार में मेरा योगदान नहीं है। अब नेताजी नेतृत्व संभालें।