मशहूर शायर मुनव्वर राना का शेर “दुश्मनी हो तो ऐसी कि कोई एक ही जिंदा रहे, मुहब्बत हो तो ऐसी कि पुकारो और आ जाएं” इन दिनों मुलायव सिंह यादव के परिवार पर बिल्कुल मुफीद बैठ रहा है। समाजवादी पार्टी में वर्चस्व को लेकर चाचा शिवपाल सिंह यादव और भतीजे अखिलेश यादव के बीच शुरू हुआ संघर्ष अब पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह और उनके मुख्यमंत्री बेटे के बीच संघर्ष में तब्दील हो गया है। बाप-बेटे का यह झगड़ा अब खुलकर सामने आ गया है। यही नहीं दोनों ओर से अब यह लड़ाई मीडिया के जरिये लड़ी जाने लगी है। इससे लगने लगा है कि दोनों अब आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं।

अपनी पार्टी और परिवार में पिछले एक महीने से अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार को घोषणा की थी कि अब वे किसी का इंतजार किए बगैर अकेले ही चुनाव प्रचार में उतरेंगे। वहीं शुक्रवार को उनके पिता और सपा मुखिया मुलायम सिंह ने सख्त तेवर दिखाते हुए यह साफ कर दिया कि पार्टी बिना किसी चेहरे के आगामी विधानसभा चुनाव में उतरेगी। चुनाव में जीत के बाद पार्टी विधायक ही तय करेंगे कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा। उनके इस बयान से चुनाव में जीत के बाद दोबारा मुख्यमंत्री बनने की अखिलेश की मंशा पर संदेह के बादल छा गए हैं। हालांकि परिवार के विवाद के मुद्दे पर मुलायम ने भले ही यह दावा किया हो कि पिछली तीन पीढ़ियों से उनके परिवार में कोई विवाद नहीं हुआ है मगर ताजा घटनाक्रम इस बात का गवाह है कि सपा सुप्रीमो की लाख कोशिशों के बावजूद परिवार में सबकुछ ठीक नहीं हो पा रहा है।

चुनाव बाद तय होगा सीएम 

पार्टी की रजत जयंती समारोह के बारे में शुक्रवार को मीडिया के सामने जानकारी देने आए मुलायम सिंह ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि मुख्यमंत्री चुनाव के बाद ही तय होगा। उनका यह बयान इसलिए भी चौंकाने वाला था क्योंकि,इससे पहले कई दफा विरोध में चल रहे चाचा शिवपाल यादव तक ने कहा था कि मुख्यमंत्री का चेहरा अखिलेश ही होंगे। मुलायम यहीं नहीं रूके। प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने अखिलेश को ये भी बता दिया कि वो मुख्यमंत्री अपने दम पर नहीं बने हैं। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में लोगों ने उनके लिए वोट दिया था लेकिन उन्होंने अपने बेटे अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। साफ है कि अखिलेश के ‘बागी’ बयान को पिता मुलायम ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने यह भी जता दिया है कि यदि वे इसी रास्ते पर चले तो आगे की डगर मुश्किल हो सकती है। मुलायम ने यह भी कहा कि छोटी पार्टी बना कर उन्होंने शुरुआत की थी। इसके बाद ऐसा समय आया कि बिना उनके कोई सरकार ही नहीं बनती थी। आज भी लोगों को समाजवादी पार्टी पर भरोसा है। इसके साथ ही उनके परिवार पर भी लोगों को भरोसा है। वे अपना काम अच्छे से कर रहे हैं। उन्होंने भाई शिवपाल यादव का समर्थन करते हुए कहा कि वे प्रदेश में पार्टी के इंचार्ज और सब कुछ हैं। इससे भी यह साफ हो गया कि वे बेटे के मुकाबले इस बार भाई को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।

अखिलेश के बगावती तेवर 

गौरतलब है कि परिवार में चल रही तनातनी के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बगावती तेवर दिखा दिए हैं। उन्होंने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में गुरुवार को कहा कि बिना किसी का इंतजार किए वे चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे। अखिलेश ने कहा, ‘बचपन में मेरा नाम मुझे खुद रखना पड़ा। ठीक वैसे ही मैं अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत बिना किसी का इंतजार किए करूंगा। मुझे मुश्किल परिस्थितियों में फंसाया जा सकता है लेकिन हराया नहीं जा सकता। ’ परिवार में विवाद पर अखिलेश ने कहा कि शिवपाल मेरे चाचा हैं और मुलायम पिता। चाहे कुछ भी हो जाए इस रिश्ते को बदला नहीं जा सकता।

प्रजापति को जिम्मेदारी

पार्टी के 25 साल पूरे होने के बारे में मुलायम ने कहा कि 5 नवंबर को समाजवादी पार्टी की स्थापना के 25 साल पूरे होंगे। उनकी पार्टी 6 नवंबर को रजत जयंती समारोह मनाएगी। मुलायम ने सभी पार्टी कार्यकर्ताओं से समारोह को सफल बनाने का अनुरोध किया। इस समारोह की जिम्मेदारी अखिलेश सरकार में मंत्री और मुलायम के करीबी गायत्री प्रजापति को दी गई है। उनके बारे में मुलायम ने कहा कि वे प्रभावशाली मंत्री और नेता हैं। यह सपा का चमत्कार है कि गायत्री प्रजापति मंत्री हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने प्रजापति को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था मगर मुलायम के दबाव में अखिलेश को उन्हें फिर से मंत्री बनाना पड़ा।