इसे कालेधन के खिलाफ बढ़ते वैश्विक अभियान का असर कहें या फिर भारत सरकार की सख्ती, स्विस बैंकों में भारतीयों की ओर से जमा धन में कमी आती जा रही है।स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंकिंग प्राधिकरण स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के आकड़ों के अनुसार वर्ष 2015 के अंत में इन बैंकों में भारतीयों का धन लगभग 120 करोड़ स्विस फ्रैंक (करीब 8,392 करोड़ रुपये) रह गया है। यानी यहां भारतीयों की जमा कुल संपत्ति में एक-तिहाई की गिरावट आई है। वर्ष 2014 के अंत में यह रकम 177.6 करोड़ स्विस फ्रैंक थी। वर्ष 2006 में यहां भारतीयों का धन सबसे अधिक करीब 23,000 करोड़ रुपये था। उसके बाद से इसमें कमी आती गई। हालांकि 2011 और 2013 में भारतीयों ने स्विस अकाउंट में खूब पैसा डाला। वर्ष 2011 में इनके धन में जहां 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी वहीं 2013 में यह बढ़ोतरी 42 प्रतिशत रही थी। 1997 से एसएनबी ने स्विस बैंकों में जमा रकम सार्वजनिक करनी शुरू की थी।

कालेधन को लेकर स्विट्जरलैंड पर बढ़ते ग्लोबल दबाव की वजह से ऐसा हो रहा है। इन आंकड़ों में वह धन शामिल नहीं है जो भारतीयों या अन्य ने स्विस बैंकों में विभिन्न देशों की इकाइयों के नाम पर जमा कराया हो सकता है। यह लगातार दूसरा साल है जबकि स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि घटी है। स्विट्जरलैंड ने भारत की कालेधन के खिलाफ लड़ाई में सहयोग को और विस्तार देने पर सहमति जताई है। 2018 से सूचनाओं के स्वत: आदान प्रदान के लिए वह भारत के साथ नए करार पर दस्तखत कर सकता है। यानी स्‍वि‍ट्जरलैंड के बैंकिंग सि‍स्‍टम की गोपनियता में कमी आना यहां के बैंकों में भारतीयों की जमा रकम कम होने का बड़ा कारण माना जा रहा है। इसके अलावा भारतीय अधिकारियों का एक दल जल्द स्विट्जरलैंड जा सकता है। यह दल वहां स्विस बैंकों में भारतीयों के कालेधन के बारे में लंबित आग्रहों को जल्द से जल्द पूरा करने को कहेगा।

एसएनबी के आंकड़ों के अनुसार स्विस बैंकों में दुनिया भर के विदेशी ग्राहकों का जमा धन करीब 4 फीसदी यानी 58 अरब फ्रैंक घटकर 1,410 अरब फ्रैंक रह गया है।