नई दिल्ली।

विधान सभा चुनाव के दौरान भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में किया गया एक ऐसा वादा पूरा होता नजर आ रहा है जिससे उत्‍तर प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत मिलने वाली है। लेकिन देश भर के किसानों का कर्ज माफ करने की कोई योजना नहीं है। हालांकि किसानों की मुश्किलों को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं।

लोकसभा में सहयोगी दल शिवसेना और विपक्षी कांग्रेस की ओर से 16 मार्च को मुद्दा उठाए जाने पर केंद्र सरकार ने यह जानकारी दी। हालांकि कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि यूपी में नई चुनी गई बीजेपी सरकार किसानों का लोन माफ करेगी और इस पर आने वाले खर्च को केंद्र सरकार वहन करेगी। उन्‍होंने कृषि सेक्टर को मदद किए जाने की मांग को लेकर हुई चर्चा के जवाब में यह जानकारी दी।

अब देश भर में यह मांग जोर पकड़ने लगी है कि केंद्र सरकार सिर्फ यूपी के किसानों के क्यों, पूरे देश के किसानों के कर्ज माफ करे। लोकसभा में भी कई सांसदों ने यह मांग की। लेकिन कोई आश्वासन न मिलने पर शिवसेना और कांग्रेस ने सदन का बहिष्कार किया। कृषि के लिए ग्रांट पर चर्चा के दौरान आईएनएलडी के दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा की थी। लेकिन वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक का बयान इसके खिलाफ है। इस पर राधामोहन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ब्याज में 3% और राज्य सरकारें 4% छूट देती हैं।

चौटाला कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे दूसरे बीजेपी शासित राज्यों में किसानों के कर्ज क्यों नहीं माफ किए जा रहे। इस पर डिप्टी स्पीकर एम. थंबीदुरई सरकार के बचाव में आए। बोले कि कर्ज माफी का वादा बीजेपी के यूपी चुनाव के घोषणापत्र में था, लोकसभा चुनाव के नहीं। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि केंद्र को देशभर के किसानों के कर्ज माफ करने चाहिए। कांग्रेस ने 2008 में देशभर के छोटे और सीमांत किसानों के 60,000 करोड़ रुपये के कर्ज माफ किए थे।

एसबीआई के बयान पर बवाल

एसबीआई चेयरपर्सन अरुंधती भट्‌टाचार्य के बयान के विरोध में कांग्रेस नेताओं ने बैंक के मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। करीब दो दर्जन लोग नारे लगाते हुए बिल्डिंग में दाखिल हुए और वरिष्ठ अधिकारियों से मिलने की मांग करने लगे। अरुंधती ने बुधवार को कहा था कि किसान कर्ज माफी से अनुशासन खराब होता है, नए कर्ज लेने वाले इसे लौटाने के बजाय अगले चुनाव का इंतजार करते हैं।

महाराष्ट्र में कांग्रेस, एनसीपी और सत्तारूढ़ गठबंधन की शिवसेना किसानों के कर्ज माफ करने की मांग कर रही है। ये किसानों द्वारा की जा रही खुदकुशी का हवाला दे रहे हैं। 16 मार्च को भी इसे लेकर राज्य विधानसभा में हंगामा हुआ। जवाब में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘मैं कर्ज माफी के खिलाफ नहीं हूं। लेकिन कर्ज माफ किए जाने के बावजूद पांच वर्षों में राज्य में 16,000 किसानों ने खुदकुशी की है। विपक्षी नेता गारंटी दें कि 30,000 करोड़ रु. के कर्ज माफ कर देने पर खुदकुशी रुक जाएगी।’