नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बहाल किए जाने के करीब डेढ़ महीने बाद राज्य में फिर से कांग्रेस के लिए नया संकट खड़ा हो गया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री पेमा खांडू सहित कांग्रेस के 43 और 2 निर्दलीय विधायक पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) में शामिल हो गए। पीपीए को भाजपा का समर्थन हासिल है। कांग्रेस में अब केवल पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी ही बचे हैं। पेमा खांडू ने कहा, “मैंने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात करके उन्हें यह सूचना दी है कि हमने कांग्रेस का पीपीए में विलय कर दिया है।’

अरुणाचल के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पादी रिको
अरुणाचल के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पाडी रिचो

अरुणाचल के ताजा घटनाक्रम पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पाडी रिचो ने ओपिनियन पोस्ट से बातचीत में कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गेम प्लान है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश के नए राज्यपाल वी शणमुगनाथन के जरिये केंद्र सरकार ने खांडू सरकार पर यह दबाव बनाया कि अगर वे कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे तो प्रदेश को केंद्र की ओर से आर्थिक मदद मुहैया नहीं कराई जाएगी। इससे प्रदेश सरकार विकास के कोई काम नहीं कर पाएगी। पाडी रिचो ने यह आरोप भी लगाया कि केंद्र सरकार राज्य में ऐसी स्थिति पैदा करने में जुटी थी कि वह फिर से यहां राष्ट्रपति शासन लागू कर सके। इसी डर के चलते पेमा खांडू और उनके साथ गए विधायकों ने यह कदम उठाया है। कांग्रेस के अगले कदम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भाजपा भले ही जोड़-तोड़ कर उनकी पार्टी को नुकसान पहुंचाए मगर प्रदेश की जनता उनके साथ है।

पिछले हफ्ते राष्ट्रपति ने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा को पद से हटा दिया था। उनकी जगह मेघालय के राज्यपाल वी शणमुगनाथन को राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है। फरवरी 2016 में कलिखो पुल ने 24 बागी कांग्रेसी विधायकों के साथ पीपीए ज्वाइन किया था और भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई थी। इसके बाद जुलाई में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था जिसमें अदालत ने कलिखो पुल सरकार को असंवैधानिक घोषित कर पूर्व की कांग्रेस सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था। इसके बाद नाटकीय घटनाक्रम में नबाम तुकी के स्थान पर पेमा खांडू को मुख्यमंत्री घोषित करके कांग्रेस ने लंबी लड़ाई जीतने में सफलता हासिल की थी। कलिखो पुल सहित सभी बागी विधायक कांग्रेस में लौट आए थे। खांडू के विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद दो निर्दलीयों और 45 पार्टी विधायकों के समर्थन से कांग्रेस ने फिर सरकार बना ली थी। ताजा घटनाक्रम के बाद एक बार फिर बाजी भाजपा के हाथ जाते दिख रही है।

कांग्रेस में पहली बगावत नवंबर, 2015 में हुई थी। तभी से वहां राजनीतिक उथलपुथल का दौर जारी है। उस समय नबाम तुकी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार गिर गई थी और राष्ट्रपित शासन लग गया था। फिर फरवरी, 2016 में कलिखो पुल की अगुवाई में नई सरकार बनी थी। पीपीए का गठन 1979 में हुआ था। यह 10 क्षेत्रीय दलों के नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का हिस्सा है जिसका गठन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मई 2016 में किया था। वर्तमान में असम में भाजपा के नेता हेमंत विश्व सरमा इसके प्रमुख हैं।

60 सदस्यीय अरुणाचल विधानसभा में इस समय 57 विधायक हैं। तीन सीट खाली है। 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 42, भाजपा को 11 और पीपीए को पांच सीटें मिली थीं। नबाम तुकी की सरकार बनने के बाद पीपीए के पांच विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे जिससे कांग्रेस के विधायकों की संख्या 47 हो गई थी। इसके बाद पार्टी के दो विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था। पिछली बार कांग्रेस से बगावत करने वाले कलिखो पुल के इसी साल अगस्त में आत्महत्या करने बाद कांग्रेस के 44 विधायक रह गए थे।