नई दिल्ली। इस बड़े कदम को लेकर केंद्र सरकार भले अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन केंद्रीय कर्मचारियों की यूनियनें इसे अब तक का सबसे खराब वेतन आयोग बता रही हैं। सभी केंद्रीय विभागों के कर्मचारियों को मिलाकर बने नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा कहते हैं कि इस वेतन आयोग के खिलाफ हमने पहले ही आपत्ति जाहिर की थी। इसके बावजूद सरकार ने बिना बदलाव के इसे लागू कर दिया है। इस वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये करने की सिफारिश की गई है, जबकि इसे 26 हजार करने की जरूरत है। मिश्रा ने बताया कि तकनीकी रूप से सिर्फ 14 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। सभी अलाउंस को जोड़ कर 23 फीसदी की जादूगरी की गई है। उन्होंने बताया कि 6ठे वेतन आयोग ने 52 और 5वें वेतन आयोग में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। हमने नई पेंशन नीति को हटाकर पुरानी पेंशन नीति लागू करने और न्यूनतम वेतन 26 हजार करने की मांग की थी। मिश्रा ने कहा कि हम इस वेतन आयोग की सिफारिश के खिलाफ 11 जुलाई से देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा रहे हैं। इस हड़ताल में सभी केंद्रीय विभागों के सभी स्तर के 32 लाख से ज्यादा कर्मचारी भाग लेंगे। यह वर्ष 1974 के बाद पहली बार सबसे बड़ी हड़ताल होने जा रही है।
उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो देश की जनता की परेशानी के लिए सरकार खुद जिम्मेदार होगी। उन्होंने कहा कि 11 जुलाई से पहले सरकार यदि बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहती है तो हम तैयार हैं। लोगों को हम परेशान नहीं करना चाहते हैं।
सरकार के करीब एक लाख करोड़ रुपये कुछ इस तरह बंटेंगे-
कर्मचारियों की संख्या | 47 लाख |
पेंशनभोगी | 52 लाख |
न्यूनतम सैलरी वाले कर्मचारी | 18 हजार |
सबसे ज्यादा सैलरी | ढाई लाख |
सैलरी में बढ़ोतरी | 23.5 प्रतिशत |
पेंशन में बढ़ोतरी | 24 प्रतिशत |
किसका कितना बढ़ा मूलवेतन-
वर्तमान सैलरी | बढ़ी सैलरी |
7 हजार रुपये | 18 हजार रुपये |
13 हजार 500 | 35 हजार 400 |
21 हजार | 56 हजार 100 |
46 हजार 100 | एक लाख 18 हजार 500 |
80 हजार | दो लाख 25 हजार |