डॉ. संतोष मानव

अजय सिंह
अजय सिंह

शारदा देवी मंदिर के कारण पूरे देश में ख्यात सतना जिले के मैहर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की लड़ाई है। यह सियासी दुश्मनी उस समय की है जब सुंदरलाल पटवा राजनीति में सक्रिय थे। भोपाल के पास ही स्थित रायसेन जिले के भोजपुर से चुनाव लड़ रहे थे। अर्जुन सिंह ने तब के युवा नेता और अपने पुत्र अजय सिंह को पटवा के सामने बतौर कांग्रेस उम्मीदवार मैदान में उतारा था। उस समय पूरी लड़ाई पटवा की ओर से शिवराज सिंह चौहान ने लड़ी थी। पटवा जीत गए थे। इसके वर्षों बाद व्यापम का मामला उछला तो सबसे पहले अजय सिंह ने ही आरोप लगाया था कि इसमें शिवराज सिंह की पत्नी साधना सिंह शामिल हैं। यह भी कहा कि मुख्यमंत्री निवास में नोट गिनने की मशीन लगी है। शिवराज ने अजय सिंह पर मानहानि का मुकदमा किया। मामला न्यायालय में लंबित है। और अब मैहर की गलियों में अजय सिंह कह रहे हैं कि प्रदेश में साहब, बीबी और गुलाम की सरकार है। गुलाम मतलब प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री अरविंद मेनन। इधर शिवराज सिंह का जवाब है- प्रदेश में कम से कम राजा साहब, भैया साहब, कुंवर साहब की सरकार नहीं है।

यह उपचुनाव शिवराज सिंह चौहान के लिए जितना महत्व रखता है, उतना ही अजय सिंह के लिए। गत वर्ष नवंबर में झाबुआ लोकसभाऔर देवास विधानसभाउपचुनाव का परिणाम आया। दिलीप सिंह भूरिया व तुकोजीराव पवार के निधन के कारण वोट पड़े थे। झाबुआ में भाजपा हार गई, देवास में जीत गई। माना गया कि झाबुआ की हार शिवराज सिंह के उतरते जादू का उदाहरण है। तब से ही कहा जा रहा है कि मैहर में भाजपा हारी, तो साफ हो जाएगा कि प्रदेश में कांग्रेस की वापसी का रास्ता बन गया है। ऐसे में मैहर का परिणाम महत्वपूर्ण हो जाता है। दरअसल 2013 में मैहर से कांग्रेस के नारायण त्रिपाठी जीते थे। लेकिन, लोकसभाके चुनाव में उन्होंने खुलेआम भाजपा की मदद की थी। इसी कारण सतना से कांग्रेस के अजय सिंह बहुत कम, लगभग आठ हजार मतों से चुनाव हार गए थे। बाद में श्री त्रिपाठी भाजपा में शामिल हो गए व विधानसभासे इस्तीफा दे दिया, इसलिए उपचुनाव हो रहा है। 16 फरवरी को परिणाम आएगा। कांगे्रस ने मनीष पटेल को उम्मीदवार बनाया है जो गत चुनाव में बसपा उम्मीदवार थे और 40 हजार वोट पाए थे। कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया और उम्मीदवार भी बनाया। यह पहल अजय सिंह ने ही की। अजय व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव मैहर में डटे हैं। अरुण भाजपा उम्मीदवार नारायण त्रिपाठी को नकद नारायण त्रिपाठी कह रहे हैं। दरअसल कांग्रेस बहोरीबंद की कहानी मैहर में दोहराना चाहती है।

कहा जा रहा है कि मैहर में भाजपा हारी तो साफ हो जाएगा कि प्रदेश में कांग्रेस की वापसी का रास्ता बन गया है। ऐसे में मैहर का परिणाम महत्वपूर्ण हो जाता है।

शिवराज के इस कार्यकाल में अब तक एक लोकसभाक्षेत्र झाबुआ व  चार विधानसभाक्षेत्रों बहोरीबंद, विजयराधौगढ़, आगर व देवास में उपचुनाव  हुए हैं। इसमें झाबुआ व बहोरीबंद में कांग्रेस व शेष तीन पर भाजपा जीती है। झाबुआ व बहोरीबंद कांग्रेस ने भाजपा से छीना, वहीं विजयराधौगढ़ भाजपा ने कांग्रेस से। बहोरीबंद से भाजपा के प्रभात पांडे विधायक थे। बीमार पडेÞ। मुंबई में इलाज के दौरान निधन हो गया। उपचुनाव में भाजपा ने उनके पुत्र प्रणव पांडे को उम्मीदवार बनाया। कांग्रेस ने बसपा के सौरभ सिंह को अपनाया और भाजपा को मात दे दी।  यही वह मैहर में भी करना चाहती है।

मैहर से लगे कटनी के भाजपा नेता और महापौर शशांक श्रीवास्तव का कहना है कि नारायण त्रिपाठी जमीन से जुडे नेता हैं। सो, उनकी जीत तय है। श्रीवास्तव बताते हैं कि यह सही है कि लोकसभाके चुनाव में बतौर कांग्रेस विधायक नारायण त्रिपाठी ने अजय सिंह की जगह भाजपा उम्मीदवार गणेश सिंह की मदद की थी। अब नारायण त्रिपाठी भाजपा के नेता हैं। पार्टी उनके साथ है। प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री, भाजपा के साथ है। मान कर चलिए कि नारायण ही विधायक थे, नारायण ही विधायक रहेंगे। कांग्रेस भले उम्मीदवार आयात करे। इधर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व भोपाल के पूर्व महापौर दीपचंद यादव अभी से कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं।

मैहर सीट 1957 से है। अब तक यहां से भाजपा सिर्फ एक बार जीती है। 2008 में भाजपा के मोतीलाल तिवारी जीते थे। यहां अधिकतर कांग्रेस ही जीतती रही है। इस बार भी कांग्रेस ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का समर्थन पाकर भाजपा से बढ़त ले ली है।  बसपा ने मैहर से लगे रामपुर सीट से दो बार विधायक रहे रामलखन पटेल, तो समाजवादी पार्टी ने रामनिवास उरमलिया को मैदान में उतारा है। पटेल कांग्रेस तो उरमलिया भाजपा का खेल खराब करेंगे। यहां सोलह प्रत्याशी मैदान में हैं। लेकिन असल में तो मुकाबला शिवराज व अजय के बीच माना जा रहा है और परिणाम बहुत हद तक दोनों के राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करेगा।