डॉ. संतोष मानव

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर विधानसभा के मानसून सत्र में बैठे तो थे सत्ता पक्ष की सीट पर मगर बोल रहे थे विपक्ष के बोल। लगभग हर रोज कोई न कोई मुद्दा उठा देते या विपक्षी विधायकों की तरह मंत्रियों से सवाल-जवाब करते। पूरी सरकार सकते में थी। सत्र समाप्त हुआ तो सरकार ने चैन की सांस ली लेकिन सरकार को उनसे राहत नहीं मिलने वाली। ऐसा इसलिए कि सदन के बाहर भी बाबूलाल गौर मुखर हैं। गृह मंत्री पद से इस्तीफा लिए जाने को बाबूलाल अब तक भूल नहीं पाए हैं। इसलिए सरकार पर हमलावर हैं। वह जो भी बोलते हैं सरकार के खिलाफ जाता है। इससे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का विचलित होना स्वाभाविक है।

विदिशा में युवा यादव समाज के कार्यक्रम में गौर इतना तीखा बोले कि मुख्यमंत्री के खासमखास राज्य मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा ने बाबूलाल गौर को पार्टी से निकालने की मांग कर दी। इससे पहले भोपाल में भी यादव समाज के कार्यक्रम में गौर तीखा बोल चुके थे। विदिशा में उनका एक-एक शब्द सरकार के खिलाफ जा रहा था। उन्होंने अपने अपमान की व्यथा सुनाते हुए कहा कि उन्हें रास्ते में ही रेलगाड़ी से उतार दिया गया। यही नहीं पार्टी से निकाले जा चुके पूर्व वित्त मंत्री राघवजी से मिलने गौर उनके घर चले गए। लगातार बयानों व सवाल-जवाब से परेशान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कैबिनेट की बैठक में किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘कुछ लोग जिस पेड़ पर बैठे हैं, उसी को काटने का काम कर रहे हैं। सदन में और बाहर लगातार बयान दिया जा रहा है। इसे क्या माना जाए, क्या किया जाए?’ इस पर मुख्यमंत्री के अतिप्रिय मंत्री ने बाबूलाल गौर का नाम लिया और कहा कि जवाब देना चाहिए। इसके कुछ ही घंटे बाद विदिशा में राज्य मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा ने संवाददाता सम्मेलन बुलाकर कर कहा, ‘बाबूलाल गौर सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं। उनके बोल कांग्रेस की तरह हैं। इससे कार्यकर्ता नाराज हैं। पार्टी की बदनामी हो रही है। गौर को पार्टी से निकाला जाए।’

विदिशा मुख्यमंत्री का लोकसभा क्षेत्र रहा है। वे यहां से कई बार जीत चुके हैं। सूर्यप्रकाश मीणा मुख्यमंत्री की ही पसंद हैं। ऐसे में माना यह गया कि मीणा मुख्यमंत्री के इशारे पर ही बोले। दूसरे दिन मुरैना जिले के सुमावली से विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार ने भी गौर को पार्टी से बाहर करने की मांग कर डाली। इन बयानों पर प्रदेश भाजपा अघ्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान ने इतना भर कहा कि गौर पार्टी के बडेÞ नेता हैं। उन्हें संयम से बोलना चाहिए।

विधानसभा में जब विपक्ष बाढ़ पीड़ितों को मिट्टी मिला गेहूं बांटने पर हंगामा कर रहा था तो बाबूलाल भी सरकार को कठघरे में खड़ा करने से नहीं चूके। भोपाल व इंदौर में मेट्रो रेल के सवाल पर भी वे नगर विकास मंत्री माया सिंह से उलझ गए। उन्होंने कहा, ‘सात साल हो गए। कुछ नहीं हुआ। जयपुर में काम पूरा हो गया। रेल दौड़ रही है। मैं मंत्री होता तो कब का इंदौर-भोपाल में मेट्रो का काम हो गया होता।’ गौर इतने पर ही नहीं रुके। एक दिन विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार कर्ज लेकर घी पी रही है। सरकार का जितना सालाना बजट है लगभग उतना ही कर्ज है। बावजूद इसके मंत्रियों के लिए 15 करोड़ रुपये की लागत से नई गाड़ियां खरीदी जा रही हैं।’ एक अन्य अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकार नाकाबिल-सुस्त अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठा रही है। हालांकि पार्टी के भीतर गौर समर्थक खेमा उनके बयानों में कुछ भी गलत नहीं मानता।

भाजपा झुग्गी-झोपड़ी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चेतन सिंह कहते हैं, ‘बाबूलाल गौर के बयानों में कुछ भी गलत नहीं है। एक विधायक के नाते उन्हें सरकार की खामियों पर बोलने का हक है। जनता ने लगातार दस बार उन्हें इसीलिए चुना है कि वे सरकारों को टाइट रखें। अगर वे पार्टी के खिलाफ बोलते तो वह अनुशासनहीनता होती। पर पार्टी के खिलाफ उन्होंने एक शब्द नहीं कहा है। उन्होंने पार्टी के लिए तो यह कहा कि पार्टी उनके लिए मां की तरह है जिसे छोड़कर वे कहीं नहीं जाएंगे। इसलिए गौर की प्रशंसा होनी चाहिए, आलोचना नहीं।’

बयानों के कोलाहल के बीच सोशल मीडिया पर यह खबर उड़ी कि गौर को कांग्रेस की तरह आम आदमी पार्टी का भी निमंत्रण है। आप के लोग उनके संपर्क में हैं लेकिन आप की प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा ने ओपिनियन पोस्ट को बताया कि ऐसी कोई बात नहीं है। उन्होंने निमंत्रण जैसी बात को सिरे से खारिज कर दिया। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शैलेंद्र प्रधान ने कहा, ‘गौर सुलझे हुए नेता हैं। वे अपना भला-बुरा समझते हैं। उनके बयान तात्कालिक गुब्बार हंै जो जल्द ही थम जाएंगे। उन्हें बरगलाना नामुमकिन हैै।’ बाबूलाल इस बीच दिल्ली जाकर पार्टी के संगठन महासचिव रामलाल को अपनी पीड़ा बता आए हैं लेकिन उनका कहना है कि दिल्ली में उनकी मुलाकात सिर्फ भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते से हुई है।

गौर दिल्ली गए तो उनकी शिकायत भी आलाकमान तक पहुंचा दी गई है। विरोधी खेमा अखबारों की कतरन व वीडियो अमित शाह व रामलाल तक पहुंचा चुका है। प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत भी दिल्ली की यात्रा कर चुके हैं। बहुत साफ है कि रामलाल से बाबूलाल गौर पर भी उनकी बातचीत हुई ही होगी। कांग्रेस के बुजुर्ग नेता दीपचंद यादव कहते हैं, ‘यह भाजपा का अंदरूनी मामला है लेकिन इससे कोई इनकार नहीं कर सकता कि बाबूलालजी के दिल्ली में अपने मजबूत ठिकाने हैंै। यह बात पार्टी से निकालने की मांग करने वालों को समझनी चाहिए।’ बाबूलाल गौर से यह पूछने पर कि आपको पार्टी से निकालने की मांग हो रही है? इसके जवाब में वे हमेशा की तरह मुस्करा कर रह गए।