हिंदुस्तान में भजन-गायकों की एक लंबी फेहरिस्त है,लेकिन उस फेहरिस्त में भी कुछ नाम ऐसे हैं जो लोगों के मस्तिष्क पर छाए हुए हैं। उन्हें बार-बार सुनने और महसूस करनी की इच्छा होती है।ऐसे ही भजन -गायक हैं कुमार विशु। कुमार विशु की मखमली आवाज़ और उनका मौलिक अंदाज़ सहज ही आकर्षित करता हैं। गायन और संगीत के प्रति पूरी तरह समर्पित कुमार विशु से बातचीत की संजय सिन्हा नें, पेश है बातचीत का मुख्य अंश-

-अपने प्रारंभिक जीवन के बारे में बताएं।

(दिमाग पर ज़ोर डालते हुए) मेरा प्रारंभिक जीवन उत्तर प्रदेश में गुज़रा और यहीं से संगीत का सफर भी शुरू हुआ। कह सकते हैं कि बचपन से ही संगीत में मेरी दिलचस्पी थी। पारिवारिक पृष्ठभूमि संगीत से जुड़ा न रहते हुए भी मुझमें इसके प्रति पता नहीं कहाँ से इतना रुझान पैदा हो गया। जब भी वक़्त मिलता,मैं दिल से गुनगुनाने लगता।जब मेरे परिवार और आसपास के लोग मुझे सुनते तो शाबाशी देते और मेरा उत्साह बढ़ाते,लिहाज़ा मेरे अंदर का कलाकार धीरे – धीरे जवान होता गया। स्कूल-कॉलेज के अलावा आस-पास के कार्यक्रमों में मैं बुलाया जाने लगा।

-भजन -गायक बनने क़ी ही इच्छा क्यों हुई?

बचपन से ही भजन के प्रति मेरे मन में एक खिंचाव -सा था।कोई भी भजन सुनता था तो मेरा मन-मयूर झूम उठता था। विशेषकर भजन गायक अनूप जलोटा से मैं काफी हद तक प्रभावित हूँ। आज भी उनकी आवाज़ में मुझे एक जादू -सा  प्रतीत होता  है। मैं उनका फैन हूँ।वैसे मैंने ग़ज़ल एवं भजन गायिकी  से अपना कैरियर शुरू किया था ,लेकिन धीरे -धीरे ग़ज़ल- गायिकी पर भजन गायन हावी होता चला गया और मेरी पहचान एक भजन-सिंगर के रूप में बनी।

-याद कीजिए उस दौर को जब आपने गाना  शुरू किया था और आज का दौर। क्या और कितना फर्क पाते हैं खुद में?

तब मैं संगीत को दिल से महसूस करता था और गाता था मगर आज का कुमार विशु संगीत क़ी बारीकियां भी समझता है और संगीत के प्रति पूरी तरह समर्पित है।मुझे भी रातों-रात लोकप्रियता नहीं मिल गई।इसके लिए मैंने भरपूर मेहनत और लंबा संघर्ष भी किया।मेरा मानना है कि कड़े संघर्ष के बाद जो सफलता मिलती है,वह सुकून देने वाली होती है और इसकी उम्र भी काफी लंबी होती है।एक बात और बता दूँ आपको कि कलाकार कभी मुकम्मल नहीं होता।वह ताज़िन्दगी सीखता रहता है।मैं आज भी अपने सीनियर्स से सीखता हूँ।खुद को 50 वर्ष का युवा भी समझता हूँ,यही वजह है कि सक्रियता के साथ भजन-गायन में लगा हुआ हूँ और हर दिन कुछ नया करने क़ी कोशिश करता हूँ।

-‘रामायण क़ी चौपाइयां’ गाने के बाद आपको काफी लोकप्रियता मिली और देश-विदेशों में लोग आपको जानने लगे।कैसा लगता है इस मुकाम पर पहुंचकर?

‘रामायण क़ी चौपाइयां’ नामक एलबम ने वाकई मुझे एक नई पहचान दी।पहले इसे एक छोटे म्यूजिक कंपनी ने निकाला था।बाद में टी सीरिज़ ने इसे रिलीज़ किया तो दुनिया के कोने-कोने में मेरी आवाज़ पहुंची और लोगों ने इस एलबम को बेहद सराहा।देश-विदेशों में मेरे भी काफी फैंस हो गया,लिहाज़ा ख़ुशी होती है।मैं जो भी करता हूँ,दिल से करता हूँ।संगीत और भजन गायन से भी मेरा दिल का रिश्ता है।इसके बिना मेरा जीवन बेमानी है।वैसे मैं सस्ती लोकप्रियता को पसंद नहीं करता।आपकी मौलिकता के बल पर अगर आपको सफलता मिलती है तो आप वाकई सफल हैं।

-आपको ऐसा नहीं लगता कि अब लोगों क़ी पसंद बदल गई है।विशेषकर युवाओं में यह बदलाव दिख रहा है।वे ग़ज़ल और भजन सुनने क़ी बजाय वेस्टर्न और मॉडर्न सांग्स सुनना चाहते हैं।आपकी क्या राय है?

सच तो ये है कि आज भी भजन सुनने वालों क़ी कोई कमी नहीं है।अगर भजन सुनने वाले श्रोताओं क़ी कमी होती तो देश विदेशों में इतने बड़े -बड़े भजन कार्यक्रम नहीं होते।आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मेरे प्रशंसकों में युवा भी हैं ,जो मधुर भजनों क़ी थाप पर नृत्य भी करते हैं।यह देखकर मुझे ख़ुशी होती है।वास्तव में अच्छे भजन सुनने के बाद श्रोता खुद ही झूमने लगते हैं।वैसे भी वेस्टर्न,मॉडर्न और बेतुके गीतों क़ी उम्र बहुत कम होती है,जबकि सुरीले भजन आपको मंत्रमुग्ध कर देते हैं।आपमें ऊर्जा का संचार होता है।

-नए भजन गायकों के लिए कोई सन्देश देना चाहेंगे?

कहना चाहूंगा कि जो भी करो,दिल से करो।जब तक आपमें समर्पण और लगन नहीं होगी,आप सही मायने में सफल नहीं हो पाओगे।शॉर्टकट का रास्ता कभी अख्तियार न करते हुए, धीरे -धीरे अपने आपको मज़बूत बनाएं और जमकर मेहनत करें।ज्यादातर कलाकार लोकप्रियता बटोरने के,अपनी टीआरपी बढ़ने के लिए शॉर्टकट रास्ता चुन लेते हैं,लेकिन यह उनके लिए घातक भी साबित हो सकता है। किसी क़ी नक़ल न करते हुए अपनी मौलिक आवाज़ और अंदाज़ के बल पर आगे बढ़ें।आज बहुत सारे कलाकार अगर बुलंदी पर पहुंचे हैं तो अपनी मेहनत और मौलिकता के बल पर।सस्ती लोकप्रियता से दूर रहें।किसी बड़े कलाकार को आप अपना आदर्श मान सकते हैं मगर हूबहू नक़ल करना औचित्यहीन है।

-वर्तमान राजनीति को लेकर कुछ कहना चाहेंगे?

देश में एक परिवर्तन दिख रहा है।बस इतना चाहूंगा कि देश का हर नागरिक खुश रहे और सुकून से जीए।प्रधानमंत्री भ्र्रष्टाचार को ख़त्म करने का प्रयास कर रहे हैं।उनका प्रयास स्तुत्य है।

-इन दिनों एक चलन -सा चल पड़ा है।ज़्यादातर सेलिब्रिटीज राजनीति राजनीति से जुड़ रहे हैं।अगर किसी भी राजनीतिक दाल क़ी तरफ से काफी राजनीति से जुड़ने का ऑफर आया तो क्या करेंगे आप?

फिलहाल राजनीति के बारे में मैंने नहीं सोचा है।मैं संगीत में ही खोये रहना चाहता हूँ। कभी पॉलिटिक्स में आना भी हुआ तो पूरी तरह से आऊंगा।मैं बहुत सारे ऐसे कलाकारों को देख रहा हूँ जो कई भागों में बंट गए हैं।न तो पॉलिटिक्स को पूरा समय दे पाते हैं और न अपने प्रोफेशन को। मैं ऐसा नहीं करना चाहता।

-अपने प्रशंसकों और देशवासियों को क्या सन्देश देना चाहते हैं?

यही कि अपने जीवन में कभी शॉर्टकट को महत्व न दें। जो भी करें,दिल से करें।