अजय विद्युत

आज 14 जनवरी को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में ‘हिंदू सम्मेलन’ करने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट ने आरएसएस को हरी झंडी दिखा दी है। इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए दो स्थान सुझाए जाने के बावजूद पुलिस प्रशासन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अनुमति देने से मना कर दिया था और फिलहाल सम्मेलन स्थगित करने को कहा था।

पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने खिद्दरपोर इलाके के भूकैलाश ग्राउंड्स पर सम्मेलन करने की अनुमति मांगी थी। भीड़ और भगदड़ की संभावना जताते हुए पुलिस ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। उसके बाद संघ की तरफ से कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड पर कार्यक्रम करने की अनुमति मांगी। रक्षा मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इस ग्राउंड पर प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए सेना के बंगाल एरिया हेडक्वार्टर से दस जनवरी को ही संघ नो आॅब्जेक्शन ले चुका था। लेकिन पुलिस ने गंगासागर मेले की तैयारियों का हवाला देते हुए वहां भी कार्यक्रम करने की इजाजत देने से मना कर दिया।

यह मुस्लिम तुष्टीकरण तो नहीं!

जगदीश उपासने
जगदीश उपासने

उल्लेखनीय है कि बंगाल में हिंदुओं के उत्पीड़न की घटनाएं काफी बढ़ी हैं और हाल में हुई धुलागढ़ की घटना को संघ से जुड़े साप्ताहिक ‘पाञ्चजन्य’ ने अपने ताजा अंक की कवर स्टोरी बनाया है। साप्ताहिक के समूह संपादक जगदीश उपासने इस पूरे मामले को बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और उनकी हिंदुत्व विरोधी व मुस्लिम तुष्टीकरण वाली सोच से जोड़कर देखते हैं। उन्होंने बताया, ‘पुलिस ने क्या कहा उसका कोई मतलब नहीं है। उसने पहले मेले की तैयारियों का हवाला दिया और फिर कहा कि सांप्रदायिक तनाव हो जाएगा। दरअसल पूरे मामले के पीछे बंगाल की ममता बनर्जी सरकार है। वह संघ को कहीं भी कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं देना चाहती थी। जो ग्राउंड आर्मी का है और आर्मी ने अनुमति दे दी, वहां भी कार्यक्रम करने से मना कर दिया। हम कलकत्ता हाईकोर्ट के शुक्रगुजार हैं कि उसने न्याय किया।’

उपासने कहते हैं, ‘इससे पहले बलूचिस्तान पर सम्मेलन था तो ममता सरकार ने उसे भी अनुमति देने से मना कर दिया था। यहां तक कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भी मना कर दिया था। वह उस भाजपा तक को कार्यक्रम करने से रोक देती हैं जो एक राजनीतिक दल है और केंद्र में सत्तारूढ़ है। उनको भी हाईकोर्ट से ही परमीशन लेनी पड़ी थी।’ उनका कहना है, ‘ममता सरकार कर क्या रही है। एक साल पहले उन्होंने उन लोगों के समर्थन में जुलूस निकालने की अनुमति दी थी जो बांग्लादेश में तख्तापलट में शामिल हैं और जिन पर वहां मामले चल रहे हैं। एक लाख लोग जुलूस में शामिल हुए थे और उन्होंने कोलकाता में जो उत्पात मचाया वो सब ममता के लिए सेक्युलिरज्म है। कानून व्यवस्था तब भंग नहीं हुई। क्या कोलकाता को 1946 का कोलकाता बना देना चाहती हैं ममता बनर्जी जब ‘डायरेक्ट एक्शन’ चलाया था अली बंधुओं ने। मैं कहूंगा कि कानून का कोई मतलब नहीं है बंगाल में। यह कम्युनिस्ट सरकार से भी बदतर राज है जिसमें सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम कट्टरपंथियों का तुष्टीकरण हो रहा है।’

उपासने ने कहा, ‘इस कार्यक्रम के बारे में सबको महीनों पहले से पता था और यह भी कि सरसंघ चालक मोहन भागवत उसमें होंगे। संघ के किसी भी कार्यक्रम से देश में कहीं भी कानून व्यवस्था की समस्या पैदा नहीं हुई है। धुलागढ़, कलियाचक हिंदुओं पर उत्पीड़न की कई घटनाएं बंगाल में हुई हैं लेकिन ममता ने कोई ध्यान दिया क्या? लगता है उन्होंने राज्य को मुस्लिम कट्टरपंथियों के हाथों में सौंप रखा है।’