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k-chandershekharतेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने विधानसभा चुनाव तो जीत लिया, लेकिन अपने बेटे को आगे बढ़ाने के चक्कर में भतीजे को नाराज कर बैठे. शायद उन्हें अपने भतीजे से डर लगने लगा था, जिसके चलते वर्तमान सरकार में उसे स्थान नहीं दिया गया. बता दें कि तेलंगाना को पृथक राज्य बनवाने के लिए चलाए गए आंदोलन में केसीआर के भतीजे हरीश राव ने बड़ी भूमिका निभाई थी. अलग राज्य बनने के बाद केसीआर तेलंगाना के मुख्यमंत्री बन गए और उन्होंने अपने भतीजे को भी मंत्री बनाया, लेकिन हरीश राव की सक्रियता ने उन्हें डरा दिया.

वह अपने बेटे केटी रामामाव को उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं और उसमें हरीश राव सबसे बड़ा रोड़ा बन सकते हैं. ऐसे में उन्होंने वर्तमान सरकार में न तो बेटे को जगह दी और न भतीजे को. लेकिन, बेटे केटी रामाराव को पार्टी की जिम्मेदारी दे दी और टीआरएस का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया. ऐसे में हरीश राव का नाराज होना लाजिमी है और यही डर केसीआर को सता रहा है, क्योंकि कई राजनीतिक दलों के नेताओं को भतीजों से परेशानी हुई है. उत्तर प्रदेश में सपा नेता मुलायम सिंह ने गद्दी बेटे को सौंपी और भाई- भतीजे अब अलग राजनीति में संघर्ष कर रहे हैं.

पंजाब में भी अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने गद्दी बेटे को सौंप दी और भतीजे ने कांग्रेस का दामन थाम लिया. महाराष्ट्र में शिवसेना की विरासत बाल ठाकरे ने उद्धव को सौंपी, जिससे भतीजे राज ठाकरे नाराज हो गए और अपनी पार्टी बना ली. गोपीनाथ मुंडे की विरासत भी बेटियों को मिली, जिससे नाराज भतीजे धनंजय मुंडे ने एनसीपी का दामन थाम लिया. एनसीपी में भी शरद पवार की विरासत बेटी सुप्रिया सुले को दिए जाने की चर्चा है, जिससे भतीजे अजित पवार नाराज चल रहे हैं.