नई दिल्ली। कावेरी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आने के बाद यह मामला एकबार फिर गर्म हो गया है। तमिलनाडु के लिए पानी छोड़ने के बाद कर्नाटक में किसानों ने आंदोलन तेज कर दिया है। कर्नाटक सरकार ने ”गंभीर कठिनाइयों” के बावजूद बुधवार को तमिलनाडु के लिए कावेरी का पानी छोड़ दिया। राज्य के किसानों और कन्नड़ समर्थक संगठनों ने मंगलवार को बेंगलुरू-मैसूरू राजमार्ग बंद कर दिया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने करीब तीन घंटे तक चली सर्वदलीय बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा,”कर्नाटक सरकार के समक्ष पेश आ रही गंभीर कठिनाइयों के बावजूद राज्य उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप पानी छोड़ेगा।” उन्होंने कहा कि राज्य परिवर्तित याचिका के साथ उच्चतम न्यायालय जाएगा और इस आदेश को लागू करने में पेश आ रही कठिनाइयों को बताएगा। इसके साथ ही कावेरी निगरानी समिति के समक्ष भी जाएगा और आवश्‍यक बदलाव की मांग करेगा।

उन्होंने किसानों से शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने और सार्वजनिक संपत्ति को कोई नुकसान न पहुंचाने की भी अपील की। उधर, कावेरी राजनीति के केंद्र मांड्या जिले में बंद रखा गया। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर सड़कें जाम कर दी और धरने दिए। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कावेरी क्षेत्र में केंद्रीय बल समेत सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक को निर्देश दिया है कि तमिलनाडु के किसानों की दिक्कतें दूर करने के लिए वह अगले 10 दिन तमिलनाडु को 15000 क्यूसेक पानी छोड़े। इस निर्देश के बाद कावेरी पर विवाद गरमा गया जिसके मद्देनजर नौ सितंबर तक कृष्णराजसागर बांध के इर्दगिर्द निषेधाज्ञा लगा दी गई और वहां आगंतुकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई। पुलिस ने बताया कि मांड्या में प्रदर्शनकारियों ने अनेक सरकारी दफ्तरों में तोड़फोड़ की और उसे बंद करने के लिए बाध्य कर दिया। कई स्थानों पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के पुतले फूंके। दूकानें, होटल और अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठान बंद रहे। मांड्या जिले में स्कूलों और कालेजों में छुट्टी घोषित कर दी गई। जिले में सरकारी और निजी बसें सड़कों से गायब हैं। मैसुरू और हासन जिले में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि कर्नाटक कावेरी नदी से तमिलनाडु को पानी न दे।

उधर, तमिलनाडु में विपक्षी दल द्रमुक ने मंगलवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कावेरी नदी से जितना पानी छोड़ने का निर्देश दिया है, वह ”पर्याप्त नहीं है।” तमिलनाडु ने अपनी याचिका में कर्नाटक को यह निर्देश देने की मांग की थी कि 40,000 एकड़ क्षेत्र में लगी सांबा की फसल के लिए वह कावेरी नदी से 50.52 टीएमसी फुट पानी छोड़े। न्यायालय ने तमिलनाडु को यह निर्देश भी दिया था कि वह कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण के अंतिम आदेश के अनुरूप कावेरी नदी से जल छोड़े जाने के लिए तीन दिन के भीतर निगरानी समिति से संपर्क करे।