तुर्की। तुर्की में रूस के राजदूत आंद्रे जी कार्लोव की हत्या से पूरी दुनिया सन्न है। रूसी राजदूत की इस तरह हत्या का ये तकरीबन 90 साल में पहला मामला है। कैमरे पर इस तरह किसी देश के राजनयिक को मौत के घाट उतार देने की ये दुर्लभ घटना है। इसके बाद तुर्की और रूस के पहले से खराब होते जा रहे संबंधों में और जटिलता आ सकती है। आपको याद दिला दें कि तुर्की ने पिछले साल इन्हीं दिनों सीरिया के साथ लगती अपनी सीमा पर रूस का एक जेट विमान गिरा दिया था।

उधर, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तुर्की में रूस के राजदूत की हत्या के लिए ‘एक कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादी’ को जिम्मेदार ठहराया और उन्होंने तुर्की एवं बर्लिन में हिंसक घटनाओं के बाद इस्लामिक स्टेट समूह और अन्य आतंकवादियों का खात्मा करने का संकल्प लिया। ट्रंप ने एक बयान में कहा, ‘हम एक कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादी द्वारा मारे गए तुर्की में रूस के राजदूत आंद्रेई कार्लोव के परिजनों एवं प्रियजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं।’

कार्लोव तुर्की में जुलाई 2013 से रूस के राजदूत थे, 1954 को मॉस्को में जन्मे कार्लोव ने अपना डिप्लोमेटिक करियर मॉस्को स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस ओर देश की डिप्लोमेटिक अकेडमी से ग्रेजुएट करने के बाद शुरू किया। इससे पहले कार्लोव उत्तर कोरिया में भी रूस के राजदूत रह चुके थे, उनके परिवार में पत्नी और एक बेटा है। उनके साथी उन्हें मृदुभाषी, पेशेवर और मेजबानी में निपुण बताते हैं।

तुर्की ने पिछले साल इन्हीं दिनों सीरिया के साथ लगती अपनी सीमा पर रूस का एक जेट विमान गिरा दिया था। तब से तुर्की की सरकार ने कार्लोव को तलब कर अपने वायुक्षेत्र में रूसी विमान की घुसपैठ का आरोप लगाते हुए इस पर आपत्ति जताई थी। जब से सीरिया में रूस ने हस्तक्षेप शुरू किया है तब से ही तुर्की की सरकार इसके खिलाफ रूसी राजदूत कार्लोव को बुलाकर इस बारे में अपना विरोध और आपत्ति जताती रही है।

हाल ही में जब रूसी विमानों ने उत्तरी सीरिया में तुर्कमेन पर बम बरसाए जो कि राष्ट्रपति बशर अल असद की विरोधी सेनाओं का गढ़ है तब अंकारा ने कार्लोव को समन कर मॉस्को को कड़ा संदेश भेजा था। रूस और तुर्की के बीच तनाव तब और बढ़ गया जब क्रेमलिन की ओर से आर्थिक संबंध तोड़ने की बात सामने आई। रूस के प्रति ये गुस्सा ही माना जा रहा है कि कार्लोव की हत्या की वजह बना।

रूसी राजदूत की इस तरह हत्या का ये तकरीबन 90 साल में पहला मामला है। इससे पहले पोलैंड में सोवियत राजदूत प्योटर वोयकोव की वारसा में 1927 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 19वीं सदी में तेहरान में भी रूसी दूतावास पर भीड़ के हमले से कवि और राजनयिक अलेक्जेंडर ग्रिवॉयदोव की मौत हो गई थी।