ओपिनियन पोस्‍ट
रम के फेमस ब्रांड ‘ओल्ड मॉन्क’ को बनाने वाले बिजनेसमैन कपिल मोहन का निधन हो गया। वह 88 साल के थे। वह मोहन मेकिन्स लिमिटेड के चेयरमैन थे। शराब ओल्ड मॉन्क की बोतल बनाने का काम उन्होंने ही शुरू किया था। इसके साथ ही वह शराब के अलावा भी अन्य पेय पर्दार्थों की बोतल भी बनाते थे। कहा जा रहा है कि गाजियाबाद में उनके आवास में ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया।

कपिल मोहन के निधन पर इंटरनेट शोक में

मोहन मेकिन के चेयरमैन रहे कपिल मोहन का शनिवार को 88 साल की उम्र में निधन हो गया। बता दें कि ट्रिपल एक्स रम ओल्ड मोंक के पीछे कपिल मोहन ही थे। असल में मोहन मेकिन लिमिटेड के चेयरमैन कपिल मोहन का दिल्ली से सटे गाजियाबाद में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके निधन के बाद इंटरनेट पर कई लोगों ने उन्हें श्रद्धांजली दी। भारत सरकार ने कपिल मोहन को पद्मश्री से भी नवाजा था।

 

1954 में लॉन्च हुई ओल्ड मोंक

19 दिसंबर साल 1954 में पहली बार ओल्ड मोंक ब्रांड को दुनिया के सामने लांच किया गया। लंबे समय तक ओल्ड मोंक दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली डार्क रम बनी रही। दुनियाभर के ब्रांडों के बीच आज भी ओल्ड मोंक शौकीनों की पहली पसंद बनी हुई है। रम और ओल्ड मोंक एक दूसरे से ऐसे जुड़े हैं, जैसे दोनों एक-दूसरे का पर्याय बन गए हों।

 

चौकोर बोतल और ओल्ड मोंक

चौकोर बोतल ओल्ड मोंक की पहचान मानी जाती है। हालांकि बाद में कंपनी ने 10 ईयर ओल्ड ब्लेंडेड ओल्ड मोंक की लंबी बोतल भी बाजार में उतारी। यही नहीं डार्क रम के लिए पहचान बनाने वाली ओल्ड मोंक ने वाइट रम के बाजार में भी कदम रखा। इसके अलावा कंपनी ने एक ऐसी बोतल भी बनाई, जो दिखती भी ओल्ड मोंक जैसी है। इसमें बोतल का पूरा हिस्सा किसी बूढ़े मोंक के शरीर जैसा होता है, जबकि उसका ढक्कन मोंक के गर्दन के ऊपर का हिस्सा बनता है।

 

इन देशों में भी बिकती है ओल्ड मोंक

ऐसा नहीं है कि ओल्ड मोंक के शौकीन सिर्फ भारत में ही हैं। रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, यूएई, इस्टोनिया, फिनलैंड, न्यूजीलैंड, कनाडा, केन्या, जाम्बिया, कैमरून, सिंगापुर, मलेशिया जैसे दुनिया के अन्य देशों में भी कुछ रिटेलर्स के जरिए ओल्ड मोंक वहां के शौकीनों तक पहुंचायी जाती है।

 

RUM= रेग्यूलर यूज मेडिसिन

रम और खासतौर पर ओल्ड मोंक को लोग रेग्यूलर यूज मेडिसिन भी कहते हैं। इसकी तारीफ करने वाले बताते हैं कि अगर नियमित तौर पर एक ढक्कन इस रम का इस्तेमाल किया जाए तो यह स्वास्थ्य लाभ भी देती है। हालांकि दैनिक जागरण इस तरह के किसी भी दावे का न तो समर्थन करता है न ही पुष्टि करता है।

जलियांवाला बाग के गुनहगार जनरल डायर से क्या है संबंध 

सन् 1855 से है मोहन मेकिन कंपनी। भारत में अंग्रेजों के शासन काल में स्कॉटलैंड के एक व्यक्ति एडवर्ड अब्राहम डायर ने हिमाचल प्रदेश के कसौली में कंपनी की शुरुआत की। इसके पीछे उनका उद्देश्य था कि भारत में अंग्रेजों को सस्ती बीयर उपलब्ध करायी जा सके। बाद में यह कंपनी मोहन मेकिन प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जानी गई। बता दें एडवर्ड अब्राहम डायर के पुत्र जनरल एडवर्ड हैरी डायर ने ही जलियांवाला बाग में निहत्थे भारतीयों पर गोलियां चलवाई थीं।