भारत-नेपाल सीमा पर सरकार और सीमा पुलिस की चौकसी के तमाम दावों के बावजूद सारे गैर कानूनी धंधे जारी हैं। यहां कुछ भी थमा नहीं है। न पशुओं व वन्य जीवों की खाल की तस्करी, न मानव तस्करी, न देह व्यापार और न बेरोजगार युवक-युवतियों में नशे व अपराध की लत लगाकर गैंग तैयार करने की होड़। भारत-नेपाल सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के एक दर्जन जिलों की लगभग 700 किमी लंबी सीमा तस्करों के लिए किसी अभ्यारण्य से कम नहीं है। यहां वे हर गैर कानूनी काम धड़ल्ले से कर रहे हैं। मजेदार तथ्य यह है कि तस्करी की बदौलत नेपाल को राजस्व की कमाई भी हो रही है। यही वजह है कि नेपाल सरकार तस्करों पर लगाम लगाने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाती। उनके खिलाफ जो भी कार्रवाई हो रही है वह भारतीय इलाके में ही होती है।

नेपाल से चीन को भेजे जा रहे मांस व वन्य जीवों के खाल

पिछले महीने यूपी के बहराइच-रुपईडीहा से सटे भारत-नेपाल सीमा पर नोमेंसलैंड से तेंदुए की खाल के साथ दो वन्य जीव तस्करों को गिरफ्तार किया गया। ये खाल दांत के साथ एसएसबी के हाथ लगी। नेपाली तस्कर खाल को गोरखपुर के सोनौली से तस्करी कर नेपाल ले जा रहे थे। वहां से इसे चीन भेजा जाना था। दांत के साथ इसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग दो करोड़ रुपये बताई जा रही है। एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट वीसी जोशी ने बताया कि नोमेंसलैंड के पिलर संख्या 30/1 के पास से दो नेपाली तस्करों निर्मल विश्वकर्मा और वकत विश्वकर्मा को तेंदुए की खाल के साथ गिरफ्तार किया गया। खाल में 27 दांत भी थे। दांत लगे होने से खाल की कीमत करोड़ों में पहुंच जाती है। निर्मल नेपाल के तिंगजा जिले के चंगेजीगड़ी और वकत आक्षाम जिले के टोली का रहने वाला है। उन्होंने बताया कि खाल को सोनौली से एक व्यक्ति से खरीदा गया था। इसे नेपाल के रास्ते चीन ले जाया जाना था। तेंदुए और बाघ की हड्डियों का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवाओं के रूप में भी होता है।

यूपी के एक दर्जन जिलों से नेपाल को हर महीने लगभग 20 करोड़ रुपये के भैंसे, बकरे और खाद्यान वस्तुओं की तस्करी हो रही है। भैंसे और बकरों को नेपालगंज और काठमांडू में काटकर इनके मांस की पैकिंग कर चीन, कोरिया, हांगकांग आदि देशो को निर्यात किया जाता है। इससे नेपाल काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है। यह भी पता चला है कि नेपाली युवक बकरे और भैंसे के गोश्त को डिब्बों में पैकिंग करने का चीन से प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। प्रशिक्षण प्राप्त कर ये युवक काठमांडू में भैसों व बकरों को काटकर इनके गोश्त की आधुनिक वैज्ञानिक ढंग से डिब्बो में पैकिंग करते हैं। इससे यह गोश्त कई महीनो तक खराब नहीं होता है। चीन ने गोश्त को डिब्बो में पैकिंग करने की नई तकनीक विकसित की है जिसका लाभ नेपाली युवकों को मिल रहा है।

तस्करी को बढ़ावा देने में यूपी के सीमांत जिलों की पुलिस और कस्टम विभाग के अधिकारी नेपाल को मदद दे रहे हैं। नेपाल तस्करी को इसलिए भी बढ़ावा दे रहा है ताकि भारत से व्यापारिक संबंध कम कर सके। यूपी के बहराइच में मिहिपुरवा, मोतीपुर, गायघाट, मल्हीपुर, सिरसिया, नवाबगंज तस्करी के प्रमुख केंद्र हैं। यहां से नेपाल को पशुओं और खाद्यान्न की तस्करी होती है। पशुओं की तस्करी रोकने के लिए एसएसबी सीमा पर जागरूकता कार्यक्रम चला रही है लेकिन पुलिस और कस्टम विभाग की मिलीभगत से तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है।

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चरस की भी तस्करी

उत्तर प्रदेश के बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, गोरखपुर, लखीमपुर, पीलीभीत सहित एक दर्जन जिलों से चरस की भी तस्करी जारी है। धनवान बनने की लालच में यूपी के बहराइच कारागार में 49 पुरुष व 28 नेपाली महिलाएं बंद हैं। तस्करों ने चंद रकम का लालच देकर गरीबी व बेरोजगारी से जूझ रहे नेपाली युवक-युवतियों को चरस के धंधे से जोड़ दिया। ये लोग इनके लिए कैरियर (तस्करी का माल लाने ले जाने) का काम करते हैं। नेपाल के मध्य पश्चिम के 12 जिलों में चरस की पैदावार होती है। जुमला, दांग व शल्यान में चरस का उत्पादन ज्यादा होता है। नेपाल से चरस लाते समय इन्हें गिरफ्तार किया गया। सलाखों के पीछे पहुंचने के बाद इनकी जमानत के भी प्रयास इनके परिजनों ने नहीं किए। जेल में बंद चार महिलाओं व तीन पुरुषों को अदालत सजा भी सुना चुका है। जेल में बंद 28 नेपाली महिला बंदियों में चार मासूम नेपाली बालक भी हैं जो अपनी मां के पकडेÞ जाने की सजा भुगत रहे हैं।

1996 से 2006 तक चली माओवादी हिंसा के चलते नेपाली लोगों के रोजगार  पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। इसकी वजह से गरीबी-बेरोजगारी बढ़ी। तस्करों ने इसी का फायदा उठाते हुए इन्हें चंद रकम का लालच देकर चरस के गैर कानूनी धंधे से जोड़ दिया।

तस्करों ने की एसएसबी जवान की हत्या

तीन महीने पहले भारत-नेपाल सीमा पर यूपी के लखीमपुर जिले के कोतवाली गौरी फांटा क्षेत्र में दो तस्करों ने एसएसबी जवान दीप सिंह की हॉकी स्टिक से पीट-पीट कर हत्या कर दी। 12 अप्रैल को लखीमपुर पुलिस ने इस हत्याकांड का राज फाश करते हुए दो अभियुक्तों जयबहादुर राणा व रमेश राणा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। सीमा पर आए दिन पशु तस्कर पुलिस पर गोलियां चलाने से भी नहीं हिचकते।