देश के कई राज्यों में महिलाओं की चोटियां काटने की घटनाओं का रहस्य क्या है? आखिर इन वारदातों के पीछे कौन है जो सिर्फ महिलाओं को निशाना बना रहा है? इन घटनाओं का मकसद क्या है? इन सब सवालों का जवाब पाने के लिए तमाम घटनाओं की पड़ताल और विश्लेषण कर रहे हैं विशेष संवाददाता सुनील वर्मा

आमतौर पर चोर घरों में सेंधमारी कर पैसे, गहने या अन्य कीमती सामान चुराते हैं। लेकिन उत्तर भारत में इन दिनों एक ऐसा गिरोह सक्रिय है जो घरों में घुसकर केवल महिलाओं की चोटी काटता है और भाग जाता है, वो भी रात के अंधेरे में। ये ऐसा अंजाना हज्जाम है जो कई राज्यों में पिछले डेढ़ महीने के दौरान 250 से अधिक महिलाओं का रहस्यमय ढंग से मुंडन कर चुका है। इस रहस्य को सुलझाने में इन राज्यों की पुलिस अब तक पूरी तरह नाकाम रही है। इससे इन इलाकों की महिलाएं बेहद खौखजदां हैं। महिलाओं के बाल कटने की घटना राजस्थान के जालौर से शुरू हुई थी। इसके बाद ऐसी ही घटनाएं प्रदेश के जैसलमेर, अलवर, धौलपुर से होते हुए हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड के कई जिलों तक फैल गई।

चोटी कटने की अजीबोगरीब घटनाएं
रात के वक्त कमरे में अकेली बैठी कोई महिला चमकीले कपड़े पहने किसी अधेड़ व्यक्ति की आकृति देखकर बेहोश हो जाती है और होश में आने पर अपने सिर के बाल कटे हुए पाती है। ऐसी ही वारदात की शिकार हुई कोई महिला हमलावर के रूप में किसी महिला की आकृति देखने बात कहती है तो कोई पीड़ित महिला बाल कटने से पहले हुई बेहोशी के लिए किसी खतरनाक बिल्ली की आकृति को देखना कबूल करती है। कोई वृद्धा बताती है कि उसने एक अजीब साया देखा और बेहोश हो गई। किसी ने बताया कि उसने अपने इर्द-गिर्द किसी नेवले का देखा था। किसी ने खुद अंजान शख्स द्वारा दबोचने की तो किसी ने गहरी नींद में सोने के दौरान अपने बाल कटने की घटना बयां की है। हैरानी की बात ये है कि जहां इस तरह की घटनाएं हुई हैं उनमें से अधिकांश घरों के खिड़की-दरवाजे बंद थे और परिवार के दूसरे सदस्य भी वहां सो रहे थे। लेकिन घरवालों ने तो क्या, खुद पीड़ित महिलाओं ने भी किसी को वहां आते और जाते हुए नहीं देखा।

जितने मुंह, उतने किस्से
हमने अलग-अलग घटनाओं की पड़ताल की। कुछ इलाकों में बुजुर्ग लोगों ने इन घटनाओं को संगठित गिरोह का कारनामा बताया तो कुछ बुजुर्ग महिलाओं का मानना था कि इन घटनाओं के पीछे कुछ तांत्रिक या ओझा लोगों का हाथ है। हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में लोग इन घटनाओं को अलौकिक शक्तियों का कारनामा बताकर तर्क देने के लिए कुछ पुराने किस्से भी सुनाने लगते हैं। दिल्ली के लोग तो मानते हैं कि जिन महिलाओं के साथ बाल कटने की घटनाएं हुर्इं वे सभी दूसरे लोगों का ध्यान अपनी तरफ ध्यान खींचने के लिए खुद ऐसा कर रही हैं तो कुछ लोग पीड़ित महिलाओं को मनोरोगी बता रहे हैं।

लेकिन इन सबसे अलग राजस्थान में फैली एक चर्चा के मुताबिक चोटी काटने की शुरुआत जालोर के एक गांव से हुई। वहां के एक जमींदार किशन सिंह पुरोहित के घर एक घोड़ी ने बच्चे को जन्म दिया था। उनके यहां ऐसा अंधविश्वास है कि दिन में घोड़ी का प्रसव हो तो घर वालों को एक अफवाह फैलानी पड़ती है। इसी प्रथा के मुताबिक उन्होंने रात में अपनी पुत्रवधु के बाल कटवाए, उसके शरीर पर त्रिशुल का निशान बनाया व पांच तिलक लगवाए और सुबह यह अफवाह पूरे गांव में फैला दी कि किसी ने उनकी बहू के केश काट दिए‍ और केश अपने साथ ले गया। इसके बाद यह अफवाह इस कदर फैली कि मानसिक रूप से कमजोर और अपने ससुराल वालों से पीड़ित कुछ महिलाओं ने खुद अपने बाल काटने शुरू कर दिए और अफवाह के साथ इसे जोड़ दिया। इसके बाद जितनी भी घटनाएं हुर्इं उन सबकी कहानी अलग-अलग है। राजस्थान में बाढ़ का प्रकोप बढ़ा तो वहां धीरे-धीरे ये घटनाएं कम हो गर्इं लेकिन वहां से निकलकर दूसरे राज्यों में फैल गई।

कई जगह यह भी सामने आया कि जिनके पति अपनी पत्नी को ज्यादा मारते-पीटते थे या घर का काम ज्यादा करवाते थे उनकी चोटियां खूब कट रही हैं। एक खास बात अध्य्यन में ये भी सामने आ रही है कि कम पढ़े-लिखे और अंधविश्वा‍सों पर भरोसा करने वाले परिवारों में ये घटनाएं ज्यादातर घटित हो रही है। इन घटनाओं के बीच एक कहानी ये भी फैल रही है कि अपराध करने वाले जनजाति लोगों का एक गिरोह ही इन वारदातों को अंजाम दे रहा है। इस गिरोह में 200 से ज्यादा सदस्य हैं जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी हैं। अफवाहों के मुताबिक चोटीकटवों का ये गिरोह अपराध करने के बाद अदृश्य होने की मन्नत पूरी करने के लिए बड़ी तादाद में महिलाओं के बाल काटकर उनके अंश अपने कुल देवता को प्रसाद के तौर पर चढ़ाना चाहता है।

महिलाओं की चोटी काटने की खबरों का खौफ इतना व्यापक हो गया कि उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के फतेहाबाद स्थित मगटई गांव में एक बुजुर्ग महिला मान देवी की चोटीकटवा के शक में हत्या कर दी गई। महिला देर रात घर से बाहर शौच के लिए गई थी। तभी एक बच्ची ने उसे देखकर शोर मचा दिया। शोर सुनकर गांव वालों ने बिना देखे महिला को पीटना शुरू कर दिया जिसके बाद उसकी मौत हो गई।

उठते सवाल
जो लोग इन घटनाओं के पीछे किसी गैंग या शरारती तत्वों का हाथ बताते हैं उनसे ये पूछा जाना चाहिए कि यदि इसके पीछे किसी शरारती शख्स या गैंग का हाथ है तो ये गैंग इतनी जल्दी देश भर में अलग-अलग जगहों पर महिलाओं को निशाना कैसे बना रहा है? इस गैंग के शख्स को कोई देख क्यों नहीं पाता? ज्यादातर मामलों में चोटियां कटने की शिकार महिलाएं सोती हुई क्यों होती हैं या बेहोश क्यों हो जाती हैं? यही वो सवाल हैं जो इन घटनाओं के रहस्यों को गहरा कर रहे हैं। जो लोग इन घटनाओं के पीछे किसी रूहानी ताकत या भूत-प्रेत का हाथ बता रहे हैं उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि रूहानी ताकतें महिलाओं के बाल ही क्यों काट रही हैं और ऐसा वे रात के वक्त ही क्यों करती हैं। जिन राज्यों में ये घटनाएं हुई हैं वहां की पुलिसियां जांच में अभी तक यही बात सामने आई है कि जिन महिलाओं की चोटी कटी है वो मनोरोगी हो। मगर यहां सवाल है कि अगर महिलाओं ने खुद अपनी चोटी काटी तो कोई कैंची या दूसरी ऐसी कोई चीज आसपास क्यों नहीं मिली? क्योंकि कैंची में लगे बाल से पता चल सकता है कि महिलाओं ने अपने बाल खुद काटे हैं। अगर मान भी लें कि पीड़ित महिलाएं मनोरोगी हैं तो ऐसा कैसे संभव है कि वे खुद अपनी चोटी काटने के बाद कैंची को साफ करके रख देती होंगी। मनोरोगी महिला अपने बाल तो काट सकती है मगर कई घटनाएं ऐसी हुई कि मां के साथ सो रही बेटी के बाल कट गए। ये सारे सवाल जितने जटिल होते जा रहे हैं जवाब उससे कहीं ज्यादा मुश्किल हो गया है।