harish rawat

उत्तराखंड में पिछले पौने दो महीने से चली आ रही राजनीतिक उठापटक और कानूनी दांवपेचों के बीच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विधानसभा में मंगलवार को शक्ति परीक्षण की प्रक्रिया संपन्न हुई। शक्ति परीक्षण के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों पक्षों के विधायकों ने संकेत दिया कि अपदस्थ मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विश्वास मत पर संभवत: विपक्षी 28 के मुकाबले 33 मतों से बाजी मार ली है। प्रमुख सचिव (विधायी और संसदीय कार्य) जयदेव सिंह की निगरानी में करीब एक घंटे चली विधायकों के मतदान की प्रक्रिया को एक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट भेजा गया जहां उसके परिणाम के बारे में बुधवार को खुलासा किया जायेगा। शक्ति परीक्षण के दौरान अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल को छोड़कर सभी 61 विधायकों ने हाथ उठाकर अपने वोट दर्ज कराये। हालांकि, वोट डालकर बाहर निकले कांग्रेस और भाजपा विधायकों ने स्पष्ट संकेत दिये कि कांग्रेस के पक्ष में 33 और भाजपा के पक्ष में 28 मत पड़े हैं।  कांग्रेस और भाजपा दोनों के विधायकों ने कहा कि दोनों दलों के एक-एक विधायक ने क्रास वोट किया। जहां घनसाली से भाजपा विधायक भीम लाल आर्य ने रावत के विश्वास मत के समर्थन में मत दिया, वहीं सोमेश्वर से कांग्रेस विधायक ने विश्वास मत के विरोध में वोट दर्ज कराया। विधानसभा में शक्ति परीक्षण के बाद मुस्कुराते हुए बाहर निकले पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने हालांकि इस बारे में कुछ भी स्पष्ट करने से इंकार कर दिया और कहा कि शक्ति परीक्षण कराने के लिये वह सुप्रीम कोर्ट के बहुत आभारी हैं। यह कहे जाने पर कि आपने उंगलियों से ‘वी’ का निशान दिखाकर अपनी जीत का संदेश दिया, उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई चिह्न नहीं दिखाया और इसके बारे में सुप्रीम कोर्ट में ही खुलासा होगा।

उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि इस शक्ति परीक्षण से उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य पर मंडरा रहे अनिश्चय के बादल भी जल्द छंट जायेंगे और चीजें व्यवस्थित रूप में आ जायेंगी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि बहुत शीघ्र उत्तराखंड के राजनीतिक परिदृश्य पर छाये बादल छंट जायेंगे और सबकुछ व्यवस्थित रूप से चलने लगेगा.’’

उत्तराखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट सहित विधायकों ने भी पूछे जाने पर परिणाम के बारे में बुधवार तक इंतजार करने को कहा, लेकिन साथ ही यह भी माना कि उनके पक्ष में 28 विधायकों के मत पड़े हैं। भाजपा विधायक तीरथ सिंह रावत ने कहा कि शक्ति परीक्षण का परिणाम चाहे जो निकले, भाजपा एकजुट है और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ही सत्ता में आयेगी।

खबर है कि तत्कालीन रावत सरकार में शामिल प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (पीडीएफ) के कुनबे में पिछले दो दिन से चल रही बिखराव की खबरों के बीच उसके सभी छह विधायकों ने रावत के विश्वास मत के पक्ष में वोट डाले।

मोर्चे में शामिल बसपा के दो विधायकों ने सोमवार रात तक रावत को समर्थन देने या न देने के बारे में अपने पत्ते नहीं खोले थे, लेकिन मंगलवार सुबह पार्टी प्रमुख मायावती द्वारा रावत के विास मत का समर्थन करने का निर्देश आने के बाद उन्होंने भी रावत के पक्ष में वोट दिया।

इससे पहले, अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर से विधायक रेखा आर्य के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के साथ उनकी कार से विधानसभा पहुंचने से यह पहले ही साफ हो गया था कि वह रावत के खिलाफ वोट देंगी. इसी प्रकार पिछले काफी दिनों से भाजपा नेताओं से दूरी बनाये हुए टिहरी जिले की घनसाली सीट से विधायक भीमलाल आर्य भी कांग्रेस विधायकों के साथ विधानसभा पहुंचे थे जिससे शक्ति परीक्षण के दौरान उनके रूख के बारे में स्पष्ट हो गया था।

शक्ति परीक्षण में रावत के जीतने पर प्रदेश से राष्ट्रपति शासन हटने और उनकी सरकार बहाल होने का रास्ता साफ हो जाएगा।