हरियाणा सरकार ने साइबर सिटी गुड़गांव का नाम बदलकर गुरुग्राम रखने का फ़ैसला किया है। सरकार कि दलील है कि इससे शहर के इतिहास को जानने में मदद मिलेगी।  मेवात ज़िले का नाम बदलकर नूह कर दिया गया है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा है कि ये फ़ैसला लोगों की मांग पर लिया गया है। प्रवक्ता का कहना था, “हरियाणा गीता की धरती है और गुड़गांव प्राचीन समय से शिक्षा का केंद्र रहा है.” इसलिए लोगों की मांग थी कि इसका नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया जाए। राजनीतिक दलों और सोशल मीडिया पर पक्ष विपक्ष में लोग कूद पड़े हैं।

कहीं आलोचना तो कहीं समर्थन

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जहां फैसले का स्वागत किया, हुड्डा ने कहा कि नाम में बदलाव उचित है और इस बारे में प्रस्ताव उनके कार्यकाल के दौरान भी आया था। वहीं पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने फैसले की आलोचना की। सुरजेवाला ने कहा कि गुड़गांव की अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग है और यह विशुद्ध रूप से सतही कवायद है।

हिन्दी साहित्य के साहित्यकार गिरीराज किशोर ने भी  गुड़गाँव का नाम बदलने की आलोचना की है। गिरीराज किशोर ने अपनी फेसबुक वाॅल पर लिखा है कि  गुड़गाँव का नाम गुरू ग्राम कर दिया गया। 1950 मैं गुड़गाँव गया था, वहाँ मेरे मामा मजिस्ट्रेट थे। टूटा फूटा गाँव था। वहाँ पर गुरू द्रोणाचार्य का उजाड़ सा मंदिर था। पुजारी ने बताया था कि गुड़गावें का नाम पहले गुरू ग्राम था। गुरूग्राम नाम बदलने से क्या मिला। अगर द्रोणाचार्य का ज़माने से अब तक गुड़गांव बनने में हज़ारों साल जनमानस को लगे तो आपको क्या अधिकार था कि आप राजनीतिक कारणों से उसे गुरूग्राम बना दें। लोक जो बनाता है उसके पीछे लोक की सुविधा और संस्कार होता है। यह संघ का चक्र कि जनमानस द्वारा स्वीकार नामों को बदलकर संस्कृत नामों को लाया जाए गलत है। आज़ादी के बाद इन लोगों ने लखनऊ का नाम लखनपुर रखने का चक्र चलाया था पर वह चला नहीं। मुज़फ्फ़रनगर का लक्षमीनगर रखने का ज़िहाद चलाया था पर वह नहीं चला। जन जो गढ़ता है उसके पीछे राजनीति नहीं होती। कल को दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ रखोगे। इतिहास नहीं बदलेगा लोगों का समय बदल जाएगा। पाटली पुत्र का पटना प्रचलित है। जनमानस अपने बनाए नाम आसानी से नहीं छोड़ता। अगर गुरूग्राम शिक्षा का केन्द्र था तब गुरू से जोड़ना ठीक रहा होगा अब तो खांटी व्यवसाय और संभवतः काले धन का केन्द्र है उसे गुरू से क्यों जोड़ दिया।

इतिहास क्या कहता है

इस बारे में किंवदंती है कि गुड़गांव का नाम गुर द्रोणाचार्य के नाम पर रखा गया है। वह कौरवों और पांडवों के गुरु थे। यह गांव उनके छात्रों–पांडवों ने उन्हें गुरदक्षिणा में दिया था और इसलिए इसका नाम गुरग्राम पड़ा जो बाद में विकृत होकर गुड़गांव हो गया।