अहमदाबाद। पटेल आरक्षण आंदोलन के दबाव के मद्देनजर गुजरात की भाजपा सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। इसकी अधिसूचना एक मई को जारी की जाएगी। फैसले के मुताबिक छह लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वालों को इसका लाभ मिल सकेगा यानी 50 हजार रुपये मासिक आमदनी वाले आर्थिक रूप से पिछड़े माने जाएंगे।

इस फैसले के बाद गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है जहां आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण का फैसला किया गया है। सरकार इसके लिए अध्यादेश लेकर आएगी। इस आदेश का फायदा पाटीदार समुदाय को भी मिलेगा जो आरक्षण की मांग को लेकर काफी दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय की गई 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा का उल्लंघन होगा। मगर राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि वह इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ेगी। राज्य में फिलहाल सरकारी नौकरियों में 49.5 फीसदी आरक्षण है जो अब 59.5 फीसदी हो जाएगा।

यह फैसला भाजपा की राज्य इकाई के कोर ग्रुप की बैठक में लिया गया जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हुए। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब पार्टी स्थानीय निकाय चुनावों के हाल के परिणामों से चिंतित है। इसमें हुए नुुकसान के लिए पटीदारों के आरक्षण आंदोलन को जिम्मेदार माना जा रहा है। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा कोई और नुकसान उठाना नहीं चाहती। अगर सुप्रीम कोर्ट इसे खारिज भी कर देता है तो सरकार के पास यह कहने के लिए तर्क होगा कि उसने प्रयास किया था।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय रूपानी ने सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की। घोषणा के समय मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल और वरिष्ठ मंत्री नितिन पटेल भी मौजूद थे। रूपानी ने संवाददाताओं को बताया कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की अध्यक्षता में कोर ग्रुप की यह फैसला किया गया। एक मई को राज्य के स्थापना दिवस के मौके पर इसकी अधिसूचना जारी की जाएगी। यह पूछने पर कि यह नई घोषणा कानूनी आधार पर टिक पाएगी या नहीं, रूपानी ने कहा कि हम इसे लेकर गंभीर हैं। हम सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे।