नई दिल्ली।

बिना सिले कपड़े पर जीएसटी न लगाए जाने की मांग के समर्थन में आए दिन हो रहे धरने व प्रदर्शन के सामने सरकार नहीं झुकी है और यह साफ कर दिया गया है कि क्‍यों फैब्रिक पर जीएसटी न लगाए जाने संबंधी मांग को मानना संभव नहीं है। इसी कड़ी में पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी पर वित्त मंत्रालय ने दो स्पष्टीकरण दिए हैं।

मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि कपड़े पर जीएसटी की व्यवस्था में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा, तो  होटल के किराये पर जीएसटी का स्टार रेटिंग से कोई संबंध नहीं है। कपड़ों पर जीएसटी के संदर्भ में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में जानकारी दी कि जीएसटी की वजह से संगठित व्यापारियों और असंगठित क्षेत्र के कारोबारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

होटलों की बात करें तो कमरे कि किराया यदि 1000  रुपये से कम है तो वहां जीएसटी नहीं लगेगा। 1000  रुपये से ज्यादा लेकिन 2500  रुपये से कम किराया हो तो वहां 12 फीसदी की दर से,  2500  रुपये से ज्यादा लेकिन साढ़े सात हजार रुपये से कम हो तो 18 फीसदी और 7500 रुपये से ज्यादा किराया होने पर 28 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा।

जेटली ने लिखित जवाब में कहा है कि फैब्रिक पर जीएसटी न लगाने की मांग न माने जाने के कई कारण हैं। मसलन, फैब्रिक पर अगर जीएसटी नहीं लगा तो इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट का चेन टूट जाएगा और गारमेंट बनाने वालों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिलेगा। फैब्रिक पर अगर जीएसटी नहीं लगा तो इंपोर्टेड फैब्रिक पर भी कस्टम ड्यूटी के अलावा कोई और कर नहीं लगेगा। ऐसे में विदेशी कपड़ा सस्ता पड़ेगा और घरेलू कपड़ा महंगा हो जाएगा।

एक आधिकारिक स्टेटमेंट में सीबीईसी ने बताया है कि होटल पर जीएसटी की दर का होटल की स्टार रेटिंग से कोई संबंध नहीं है। हालांकि ग्राहकों को डिक्लेयर्ड टैरिफ का ध्यान रखना पड़ेगा। इसका मतलब है कि किसी होटल के रेट पर दिए किराये पर जीएसटी लगेगा। इसमें किसी भी थर्ड पार्टी बुकिंग एप्स या ट्रैवल एजेंट्स की ओर से दिए गए डिस्काउंट या डील को टैरिफ नहीं माना जाएगा।