नई दिल्ली।

जीएसटी ने अपनी कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पिछले साल जुलाई में लागू किए जाने के बाद जीएसटी कलेक्शन में लगातार उतार-चढ़ाव आ रहा था, लेकिन अप्रैल में कलेक्शन ने एक नया रिकॉर्ड बना दिया। अप्रैल महीने में जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ के पार चला गया।

उधर, परोक्ष कर की सर्वोच्च निर्णयकारी संस्था जीएसटी काउंसिल को अब तक उपाध्यक्ष नहीं मिल पाया है। अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली काउंसिल में सदस्य के रूप में शामिल राज्यों के वित्त मंत्रियों के बीच से ही एक सदस्य को उपाध्यक्ष चुना जाना था।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, अप्रैल महीने में जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये के पार चला गया है। जीएसटी के अंतर्गत आने वाला टोटल रेवेन्यू कलेक्शन अप्रैल में 1,03,458 करोड़ रुपये रहा है। रेवेन्यू कलेक्शन ने पहली बार 1 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया है। 1 जुलाई 2017 को देश भर में जीएसटी लागू किया गया था।

अप्रैल 2018 के दौरान कुल जीएसटी रेवेन्यू कलेक्शन में सीजीएसटी 18,652 करोड़ रुपये, एसजीएसटी 25,704 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 50,548 करोड़ रुपये (आयात से एकत्रित 21,246 करोड़ रुपये) और सेस के जरिये 8,554 करोड़ रुपये (आयात से मिले 702 करोड़ रुपये) शामिल हैं।

अब तक मार्च में जीएसटी रेवेन्यू कलेक्शन 90  हजार करोड़ रुपये रहा। फरवरी में यह 85, 174 करोड़ रुपये रहा और जनवरी में जीएसटी कलेक्शन घट कर 86,318 करोड़ रुपये हो गया। दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन 86,703 करोड़ रुपये रहा था।

नवंबर में जीएसटी 80,808 करोड़ रुपये रहा जबकि अक्टूबर महीने में यह 83, 000 करोड़ रुपये रहा। सितंबर में आंकड़ा 92,150  करोड़ का रहा जो कि अगस्त में 91, 000 करोड़ रुपये रहा। जुलाई में सरकार को जीएसटी से 95, 000 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ था।

आने वाले दिनों में जीएसटी कलेक्शन बेहतर होने की उम्मीद है, क्योंकि 1 अप्रैल से लागू ई-वे बिल से कोई भी कारोबारी लेन देन को कमतर दिखाकर टैक्स देने से नहीं बच सकेगा। मार्च से 30 अप्रैल तक भरे गए गए जीएसटीआर 3बी रिटर्न फाइल की संख्या 60.47 लाख पर पहुंच गई है। यह उन 87.12 लाख करदाताओं के मुकाबले कम है,  जिन्हें मार्च का रिटर्न भरना है।

जीएसटी लागू करने के लिए 101वें संविधान संशोधन अधिनियम के जरिये भारतीय संविधान में संशोधन किया गया था। इस संशोधन अधिनियम के जरिये संविधान में अनुच्छेद 279ए जोड़ा गया जिसमें जीएसटी काउंसिल के गठन का प्रावधान है।

इस अनुच्छेद की धारा तीन के तहत राज्यों के वित्त मंत्रियों को अपने बीच में से ही किसी सदस्य को शीघ्रातिशीघ्र जीएसटी काउंसिल का उपाध्यक्ष चुनना था। संविधान में यह उल्लेख नहीं है कि जीएसटी काउंसिल के उपाध्यक्ष के कार्य और अधिकार क्या-क्या होंगे।