नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने विदेशी निवेश के नियमों में बड़े बदलाव का ऐलान कर अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने की मंशा जता दी है। इसे मोदी सरकार का अहम फैसला माना जा रहा है। इसके तहत रक्षा और विमानन क्षेत्र में सौ फीसदी तक विदेशी पूंजी के निवेश को मंजूरी दे दी गई है। वहीं फार्मा क्षेत्र में अॉटोमैटिक रूट के जरिये विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 74 फीसदी कर दिया गया है। यानी इसके लिए सरकार की मंजूरी जरूरी नहीं होगी। इससे अधिक के निवेश के लिए ही सरकारी मंजूरी की जरूरत होगी। सरकार ने सिंगल ब्रांड रिटेल सोर्सिंग के नियमों में भी ढील दी है। केबल नेटवर्क, डीटीएच और मोबाइल टीवी में ऑटोमैटिक रूट के जरिये 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है। एफडीआई नियमों में ढील के बाद अब डिफेंस ऑफिस, टेलीकॉम ऑफिस और ब्रॉडकास्ट ऑफिस के लिए आरबीआई की मंजूरी नहीं लेनी होगी। विदेशी निवेश के नियमों में बदलाव की फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया।

रक्षा और विमानन क्षेत्र में सौ फीसदी विदेश निवेश शर्तों के तहत है। विमानन क्षेत्र में एयरपोर्ट के ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट में सौ फीसदी एफडीआई का एेलान किया गया है। वहीं शेड्यूल्ड एयरलाइंस में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर सौ फीसदी कर दी गई है। शेड्यूल्ड एयरलाइंस में 49 फीसदी एफडीआई ऑटोमैटिक रूट से होगा और इससे ज्यादा एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी लेनी होगी। रक्षा क्षेत्र में भी ऑटोमैटिक रूट के जरिये 49 फीसदी एफडीआई की मंजरी दी गई है। हालांकि इस सेक्टर में आर्म्स एक्ट 1959 के मुताबिक छोटे हथियार और उसके पार्ट्स में ही एफडीआई लागू होगा।

केंद्र सरकार ने फूड प्रोडक्ट बनाने सहित अॉनलाइन कारोबार में भी एफडीआई को मंजूरी दी है। प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी में 49 फीसदी, वहीं एनिमल हस्बेंडरी में सौ फीसदी एफडीआई प्रस्ताव को कबूल कर लिया गया है। सिंगल ब्रांड खुदरा कारोबार में नियमों में ढील देते हुए तीन और पांच सालों के लिए टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट में पहले से 49 फीसदी एफडीआई को बढ़ाकर सौ फीसदी कर दिया गया है।

विदेश निवेश नियमों में बदलाव का मकसद अधिक रोजगार पैदा करना, अवसंरचना में सुधार करना और निवेश के माहौल को विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी आकर्षित करने के लिए अधिक अनुकूल बनाना है।