गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) को लागू करने की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है आम लोगों के मन में यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या इससे महंगाई बढ़ेगी या फिर यह उनकी जेब पर बोझ डालेगा। वैसे जीएसटी काउंसिल ने 1205 वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स की दर तय कर दी है। साथ ही जिन सेवाओं पर टैक्स लगाया जाना है उनमें से भी कुछ की दर तय कर दी है। इससे आप खुद इसका आकलन कर सकते हैं कि पहली जुलाई से जीएसटी आपकी जेब हल्की करेगा या फिर पहले की तरह रखेगा क्योंकि जीएसटी के तहत कुछ वस्तुओं की कीमतें घटेंगी तो कुछ की बढ़ेंगी। इसके अलावा कुछ सेवाओं पर पहले से ज्यादा टैक्स देना होगा तो कुछ को इससे छूट दे दी गई है।

श्रीनगर में जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक में शुक्रवार को विभिन्न सेवाओं पर लगने वाले टैक्स की दर 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी तय की है। इससे पहले गुरुवार को विभिन्न वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स की भी यही दर तय की गई थी। ज्यादातर सेवाओं को 12 फीसदी और 18 फीसदी टैक्स स्लैब के दायरे में रखा गया है। जाहिर इससे महंगाई में इजाफा होगा क्योंकि पहले सर्विस टैक्स की दर करीब 15 फीसदी थी जो अब तीन फीसदी ज्यादा होगी। मोबाइल और बैंकिंग जैसी जरूरी सेवाओं के लिए अब आपको इस दर से टैक्स देना होगा। साथ ही विभिन्न आर्थिक सेवाओं जैसे जीवन बीमा, वाहनों का बीमा या फिर स्वास्थ्य बीमा पर भी इसी दर से टैक्स लगेगा। हालांकि काउंसिल ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को जीएसटी से छूट दे दी है। यानी इन सेवाओं पर अब सर्विस टैक्स नहीं देना होगा।

सोना पर फैसला अगली बैठक में

सोना, बीड़ी, फुटवियर और खेती के औजारों पर जीएसटी की दर अभी तय नहीं की गई है। इस पर काउंसिल की तीन जून को होने वाली अगली बैठक में फैसला किया जाएगा। साथ ही जिन वस्तुओं पर जीएसटी की दर अभी तय नहीं हो पाई है उस पर भी तीन जून को ही फैसला होगा। सरकार का दावा है कि ज्यादातर सेवाओं पर पहले की तरह ही टैक्स देय होगा।

इससे पहले गुरुवार को काउंसिल ने जिन वस्तुओं के लिए जीएसटी की दर तय की है उससे अनाज, रोजमर्रा और जरूरी सामानों के दाम या तो कम होंगे या फिर उनकी कीमत जस की तस बनी रहेगी। इस लिस्ट के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद अनाज सस्ते हो जाएंगे क्योंकि काउंसिल ने इन पर टैक्स नहीं लगाने का फैसला किया है। अभी कुछ राज्य गेहूं और चावल पर वैट लगाते हैं। दूध-दही भी पहले की तरह टैक्स के दायरे से बाहर रहेंगे लेकिन मिठाई पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा।
जबिक रोजाना इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे हेयर ऑयल, साबुन, टूथपेस्ट भी सस्ते होंगे। इन पर सिर्फ 18 फीसदी टैक्स लगेगा। यह अब तक एक्साइज और वैट मिलाकर 22 से 24 फीसदी तक था। यानी ये चीजें 4 से 6 फीसदी तक सस्ती हो सकती हैं।

चीनी, चाय, कॉफी और खाद्य तेल पर 5 फीसदी टैक्स रेट लागू होगा। इन पर मौजूदा रेट भी इसी के आसपास है। जबिक सॉफ्ट ड्रिंक्स और कारों पर 28 फीसदी टैक्स रेट लागू होगा। कारों पर सेस भी लगेगा। एसी, फ्रिज भी 28 फीसदी टैक्स दायरे में रखे गए हैं। जीवन रक्षक दवाओं पर अब 5 फीसदी टैक्स लगेगा।

छोटी कारों पर सेस के साथ 28 फीसदी जीएसटी और लग्जरी कारों पर जीएसटी के अतिरिक्त 15 फीसदी सेस लगेगा। अन्य लग्जरी समानों पर भी 28 फीसदी जीएसटी लगेगी। साथ ही लग्जरी सेवाओं पर भी 28 फीसदी जीएसटी लागू होगी।

बिजली और स्टील सस्ते होने के आसार
कोयले पर टैक्स रेट 11.69 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया गया है। इससे कोयले से बिजली बनाना सस्ता होगा। इसका फायदा बिजली के टैरिफ रेट में कमी से मिल सकता है। जीएसटी कानून में कहा गया है कि कंपनियों को लागत में बचत का फायदा ग्राहकों को देना होगा। हालांकि बिजली कितनी सस्ती होगी, यह कहना अभी मुश्किल है क्योंकि कोयले और बिजली पर कई जगह टैक्स लगते हैं। स्टील इंडस्ट्री में भी कोयले का इस्तेमाल होता है। उसका खर्च भी कम होगा। इससे स्टील प्रोडक्ट भी सस्ते होने की उम्मीद है।

अनाज और उसके प्रोडक्ट होंगे सस्ते
गेहूं, चावल, दूसरे अनाज, आटा, मैदा, बेसन, चूड़ा, मूड़ी, खोई, ब्रेड पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। कुछ राज्य इन पर वैट लगाते हैं। वहां ये सस्ते होंगे। जबिक रस्क, पिज्जा ब्रेड पर टैक्स की दर एक फीसदी कम हो जाएगी। इन्हें पांच फीसदी के टैक्स स्लैब में रखा गया है। इन पर अभी करीब 6 फीसदी टैक्स है। नमकीन भुजिया, मिक्सचर पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा जो अभी एक्साइज (12.5%) और वैट (5%) मिलाकर 17.5 फीसदी है। पास्ता, नूडल्स, पेस्ट्री, केक पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा।

डेयरी प्रोडक्ट
दूध, दही, लस्सी, पनीर पर अब भी टैक्स नहीं लगता। आगे भी इन उत्पादों पर टैक्स नहीं लगेगा। वहीं बच्चों के मिल्क फूड पर 5 फीसदी जीएसटी देय होगा। घी, चीज, बटर ऑयल अभी 5 फीसदी टैक्स है जो 7 फीसदी बढ़कर 12 फीसदी हो जाएगा। जबकि कंडेंस्ड मिल्क पर 18 फीसदी टैक्स लगेगा।

फल-सब्जियां, इनके प्रोडक्ट
कच्ची सब्जियां और फल पर पहले की तरह टैक्स नहीं लगेगा। वहीं प्रोसेस्ड फल-सब्जियों पर 5 फीसदी टैक्स देय होगा जो अभी एक्साइज और वैट मिलाकर 11 फीसदी है। फ्रूट-वेजिटेबल जूस, जूस और दूध युक्त ड्रिंक्स पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा जो अभी एक्साइज और वैट सहित 11.5 फीसदी है। जबिक जैम, जेली को 18 फीसदी जीएसटी के दायरे में रखा गया है। इन पर अभी एक्साइज और वैट मिलाकर 11.5 फीसदी टैक्स लगता है। )

चीनी-कन्फेक्शनरी
अभी चीनी पर 18.1 फीसदी और खांडसारी पर 6 फीसदी टैक्स लगता है। अब इन पर 5 फीसदी जीएसटी लगेगा यानी ये दोनों सस्ते होंगे। फ्लेवर्ड चीनी पर अभी एक्साइज और वैट मिलाकर 18.1 फीसदी टैक्स लगता है जो अब 18 फीसदी होगा। च्यूइंगम पर 28 फीसदी जीएसटी लगेगा जो अभी एक्साइज और वैट मिलाकर 17 फीसदी है।

कॉस्मेटिक्स
कुमकुम, बिंदी, सिंदूर को पहले की तरह जीएसटी से छूट दी गई है। मेकअप के सामानों पर जीएसटी का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। इसमें 11 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। मेकअप के सामान, सनस्क्रीन लोशन, शैम्पू, हेयर क्रीम, हेयर कलर/डाइ, शेविंग क्रीम, डिओड्रेंट पर अभी एक्साइज और वैट मिलाकर 17% फीसदी टैक्स लगता है जो 11 फीसदी बढ़कर 28 फीसदी हो जाएगा।

प्लास्टिक की चीजें
किचन के सामान, केन, पाइप, शीट  पर अभी एक्साइज और वैट मिलाकर 18.1 फीसदी टैक्स है जो अब 18 फीसदी होगा। जबिक फ्लोर कवरिंग, बाथरूम के सामान अभी कुल 18.1 फीसदी टैक्स लगता है जो 9.9 फीसदी बढ़कर 28 फीसदी हो जाएगा।

क्या है जीएसटी
जीएसटी का मतलब गुड्स एंड सर्विसेस टैक्‍स है। इसको केंद्र और राज्‍यों के 17 से ज्‍यादा इनडायरेक्‍ट टैक्‍स के बदले में लागू किया जाएगा। यह देश भर में किसी भी गुड्स या सर्विसेज की मैन्‍युफैक्‍चरिंग, बिक्री और इस्‍तेमाल पर लागू होगा। इससे एक्‍साइज ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), स्टेट के सेल्स टैक्स यानी वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या बिक्री और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे। सरल शब्‍दों में कहें ताे जीएसटी पूरे देश के लिए इनडायरेक्‍ट टैक्‍स है जो भारत को एक समान बाजार बनाएगा। जीएसटी लागू होने पर सभी राज्यों में लगभग सभी गुड्स एक ही कीमत पर मिलेंगे। अभी एक ही चीज के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है। इसकी वजह अलग-अलग राज्यों में लगने वाले टैक्स हैं। इसके लागू होने के बाद देश बहुत हद तक सिंगल मार्केट बन जाएगा।