पं. भानुप्रतापनारायण मिश्र

31 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव है। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा होने के कारण गोवर्धन जी की पूजा की जाती है। गोवर्धन गाय के गोबर से बनाया जाता है। गोवर्धन धराधार गोकुलत्राणकारक। विष्‍णुबाहुकृतोच्छाय गवां कोटिप्रदो भव।। से गंध, पुष्‍प आदि के साथ प्रार्थना की जाती है।

कृष्‍ण ने इन्द्र के स्थान पर गोवर्धन की पूजा शुरू करवाई थी। इन्द्र के कुपित होने पर कृष्‍ण ने अपनी कनिष्‍ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर भयानक बारिश से बृजवासियों को बचाया था। तब सभी ने श्री कृष्‍ण की भी पूजा की।

छप्पन भोग लगता है। इस दिन गाय की सेवा भी की जाती है। इस दिन खरीफ की फसलों से मिले अनाज और नई सब्जियों-फलों आदि से भगवान विष्‍णु का भोग लगाकर उन्‍हें प्रसन्न किया जाता है। इसी दिन भगवान वामन के आशीर्वाद के फलस्वरूप राजा बलि की भी पूजा होती है।