हांगझोउ (चीन)। चीन के हांगझोउ में जारी जी-20 सम्मेलन में शामिल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन से रिश्‍ते सुधारने की कसरत की तो दुनिया भर में आर्थिक नरमी से निपटने का ‘मंत्र’ दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए ‘गूढ़ बातचीत’ करना ही काफी नहीं, बल्कि जी-20 के सदस्य देशों की ओर से ‘सम्मिलित, समन्वित और लक्षित कार्रवाई’ करने की जरूरत है। रविवार को यहां जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिका के राष्ट्रपति से बातचीत की। साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक ‘मुश्किल’ वैश्विक परिदृश्य में ‘जीएसटी’ सुधार को ‘साहसिक नीति’ बताते हुए उसकी सराहना की। मोदी ने चीन से पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर से पनप रहे आतंकवाद पर चिंता जताई है और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से इसी अशांत क्षेत्र से गुजरने वाले 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक कोरीडोर (सीपीईसी) के निर्माण पर भी अपनी परेशानी व्यक्त की। मोदी ने चिनफिंग से कहा, “दोनों देशों को एक-दूसरे के सामरिक हितों के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है।” उधर, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मोदी को बताया कि चीन बड़ी मशक्कत से बनाए रिश्तों को कायम रखते हुए भारत के साथ काम करने का इच्छुक है। वह भविष्य में भी भारत का सहयोग चाहता है।

जी-20 के मेजबान चीनी राष्ट्राध्यक्ष चिनफिंग से 35 मिनट की द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आग्रह किया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को राजनीतिक सोच से प्रेरित नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने पूर्वी चीन के इस शहर में जी-20 के नेताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम ऐसे समय मिल रहे हैं, जबकि वैश्विक स्थिति जटिल राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है।’ पीएम मोदी ने कहा, ‘एक स्पष्टवादी और कठिन वार्ता काफी नहीं है। जी-20 को सामूहिक, समन्वित और लक्षित कार्रवाई के लिए एक कार्रवाई आधारित एजेंडा को आगे बढ़ाने की जरूरत है।’ इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने वैश्विक वृद्धि के पुनरोद्धार के लिए बुनियादी सुधारों का एजेंडा पेश किया। उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रणाली में सुधार की जरूरत है। इसके अलावा घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देने, बुनियादी ढांचा विकास के लिए निवेश बढ़ाने तथा मानव पूंजी का सृजन करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी चुनौतियां समान हैं, साथ ही अवसर भी। कनेक्टिड मशीनें, डिजिटल क्रांति तथा नई प्रौद्योगिकी अगली पीढ़ी की वैश्विक वृद्धि का आधार तैयार कर रही है। सभी के लाभ के लिए जी-20 को निर्णायक तरीके से कार्रवाई करने की जरूरत है। इसके लिए भागीदारी के एक मजबूत नेटवर्क की भी जरूरत है।’

जी-20 के सदस्य देशों का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 85 प्रतिशत हिस्सा है। जी-20 के देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। इससे पहले जी20 सम्मेलन से इतर पीएम मोदी ने ब्रिक्स नेताओं से मुलाकात में एक तरह से पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए अह्वान किया कि ‘आतंकवाद के समर्थकों और प्रायोजकों’ को अलग-थलग करने के लिए समूह द्वारा समन्वित कार्रवाई की जाए। ब्रिक्स नेताओं की एक बैठक में मोदी ने सख्त शब्दों में कहा कि दक्षिण एशिया या किसी अन्य क्षेत्र में भी आतंकवादियों के पास न तो बैंक है और न ही हथियारों का कारखाना है। इससे साफ पता चलता है कि कोई न कोई उनको पैसा और हथियार दे रहा है।’ ब्रिक्स में पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। दुनिया की आबादी का 43 प्रतिशत इन देशों में रहता है। वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में इन देशों का हिस्सा 37 प्रतिशत का है। वैश्विक कारोबार में ब्रिक्स की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत की है।

ओबामा ने जीएसटीको बताया साहसिक नीति

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को यहां जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिका के राष्ट्रपति से बातचीत की। साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक ‘मुश्किल’ वैश्विक परिदृश्य में ‘जीएसटी’ सुधार को ‘साहसिक नीति’ बताते हुए उसकी सराहना की। मोदी ने पहले ओबामा से संक्षिप्त मुलाकात उस वक्त की, जब वे जी-20 शिखर सम्मेलन में एक सामूहिक तस्वीर खिंचवाने के लिए ‘पोज’ दे रहे थे। शाम में एक उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान उन्हें विचारों का आदान-प्रदान करने का एक और अवसर मिला। जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ओबामा ने हालिया कर सुधार को लेकर अपने भाषण में मोदी की सराहना की। उन्होंने इसे मुश्किल वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक ‘साहसिक नीति’ का उदाहरण बताया। आठ अगस्त को, वस्तु एवं सेवा कर पर संसद ने ऐतिहासिक 122वां संविधान संशोधन विधेयक, 2014 पारित किया था। सरकार ने जीएसटी शुरू करने के लिए एक अप्रैल 2017 की तारीखतय की है जिसे दीर्घकाल के लिए एक सबसे बड़ा कर सुधार माना जाता है।

इससे पहले मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मैलकम टर्नबुल से सम्मेलन से इतर मुलाकात की। वियतनाम से कल यहां पहुंचे मोदी ने सउदी अरब के शहजादा मोहम्मद बिन सलमान से भी मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने समुद्री क्षेत्र, बुनियादी ढांचा, कम लागत वाले आवास जैसे क्षेत्रों में साझेदारी मजबूत करने की मांग की और उर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। मोदी दिल्ली लौटने से पहले कल अपनी ब्रिटिश समकक्ष टेरेसा मेय और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति माउरिसियो मासरी से मुलाकात करेंगे।

जी-20 के मेजबान चीनी राष्ट्राध्यक्ष चिनफिंग से 35 मिनट की द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आग्रह किया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को राजनीतिक सोच से प्रेरित नहीं होना चाहिए। स्थायी द्विपक्षीय संबंधों को सुनिश्चित करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम एक दूसरे की उम्मीदों, चिंताओं और सामरिक हितों का आदर करें। मोदी ने कहा कि बिशकेक के चीनी दूतावास में आतंकी हमला आतंकवाद के अभिशाप का एक और सुबूत है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप से मोदी और चिनफिंग की बातचीत का ब्योरा देते हुए मीडिया को बताया कि दोनों नेता एक-दूसरे की चिंताओं से वाकिफ हैं, लेकिन रणनीतिक रूप से इसका जिक्र जरूरी था। चिनफिंग से अपनी आठवीं मुलाकात में मोदी ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक कारीडोर (सीपीईसी) के पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर से होकर गुजरने पर भी अपनी परेशानी साझा की। मोदी ने द्विपक्षीय संबंध में तनावपूर्ण मुद्दों पर कहा कि एशियाई शताब्दी को एक हकीकत बनाने के लिए इस महाद्वीप के देशों को जिम्मेदारी लेनी होगी। इसके लिए दोनों देशों को कुछ खास कदम उठाते हुए अहम भूमिका निभानी होगी।

ऊर्जा परियोजना से जुड़े चीन-पाकिस्तान आर्थिक कारीडोर (सीपीईसी) के तहत रेल, सड़क और कच्चे तेल और गैस की पाइपलाइनों का नेटवर्क बनाया गया है। चीन निर्मित यह कारीडोर अशांत क्षेत्रों जैसे बलूचिस्तान, गिलगिट-बलटिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले गुलाम कश्मीर से गुजरता है। उधर, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने मोदी को बताया कि चीन बड़ी मशक्कत से बनाए रिश्तों को कायम रखते हुए भारत के साथ काम करने का इच्छुक है। वह भविष्य में भी भारत का सहयोग चाहता है। शी ने कहा कि दोनों पक्षों ने रिश्तों में स्वस्थ, स्थिर और त्वरित विकास देखा है। पड़ोसी और विकासशील देश होने के नाते हमें उच्च स्तरीय आदान-प्रदान जारी रखना चाहिए। अगले महीने होने वाले आठवें ब्रिक्स सम्मेलन से पहले मोदी ने शी चिनफिंग को गोवा आने का न्योता दिया। प्रधानमंत्री मोदी के इस न्योते को चीनी नेता चिनफिंग ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। इसके अलावा, ब्रिक्स नेताओं के साथ हुई बैठक में मोदी ने कहा कि आतंकवाद चाहे दक्षिण एशिया में हो या कहीं और, उसके पास न अपने बैंक हैं और ना ही कोई हथियारों की फैक्ट्री है। आतंकवाद को फलने-फूलने देने के लिए उसे मोटी रकम दी जा रही है।

जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप से पूछा गया कि क्या मोदी ने परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) की सदस्यता पर भारतीय दावेदारी के लिए चीनी रुख का मुद्दा उठाया तो स्वरूप ने इस बारे में कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सारी बातें बताई नहीं जा सकतीं, कुछ चीजें दोनों सरकारों के बीच ही रहने दीजिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और जी-20 सम्मेलन में शामिल होने आए अन्य वैश्विक नेताओं से मुलाकात की। मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा से उस समय यह संक्षिप्त मुलाकात हुई जब वह पूर्वी चीनी शहर में हुए आयोजन के दौरान मंच पर एक ग्रुप फोटो के लिए एकत्र हुए। इससे पूर्व मोदी ने दिन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल से मुलाकात की। वह सऊदी अरब के डिप्टी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से भी मिले। प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को दिल्ली रवाना होने से पहले ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति मारिशियो मार्सी से भी मुलाकात करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक चीनी पेंटर ने हाथ से बनाई उनकी ऑयल पेंटिंग भेंट की। इसके साथ ही मोदी को भगवद्गीता और स्वामी विवेकानंद के निबंधों सहित प्राचीन भारतीय ग्रंथों का चीनी अनुवाद भी उपहार स्वरूप दिया गया। प्रोफेसर झीचेंग प्रतिष्ठित पेकिंग यूनिवर्सिटी में हिदी पढ़ाते हैं। मोदी को भेंट किए गए अनुवाद में पतंजलि के योग सूत्र, नारद के भक्ति सूत्र, योग वशिष्ठ तथा अन्य शामिल हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, “नए अनुवाद, पुरानी परंपराएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्राचीन भारतीय ग्रंथों का चीनी अनुवाद भेंट किया गया है।” प्रधानमंत्री को उनकी एक पेंटिंग भी भेंट की गई। यह उपहार हांगझू की झेजियांग काइमिंग आर्ट गैलरी से प्रोफेसर शेन शु ने दिया। स्वरूप ने एक ट्वीट में कहा कि पेंटिंग को तैयार करने में लगभग चार महीने का समय लगा। मोदी दो दिवसीय वियतनाम दौरा संपन्न कर बीती रात यहां पहुंचे हैं।