फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं, चुनाव के पहले दौर में दो नेताओं के पीच मुकाबला रहा जिसमें पहले माक्रों तो दूसरी मरिन ले पेन थी। हालांकि माना जा रहा है कि माक्रों राष्ट्रपति की दौड़ में आगे हैं। ऐसा क्या है कि वहां के बड़े नेता नहीं चाहते की ले पेन राष्ट्रपति का चुनाव जीतें। जैसे ही पहले चरण में वह दूसरे नंबर पर रहीं तो बड़े नेताओं ने राहत की सांस ली।

आईये आपको बताते हैं कि कौन हैं मरिन ले पेन-

नेशनल फ्रंट की नेता ले पेन फ्रांस में दक्षिणपंथी राजनीति का चेहरा हैं। जब उनके पिता नेशनल फ्रंट के नेता थे तो पार्टी तीस लाख प्रवासियों को वापस भेजना चाहती थी, यहूदी नरसंहार को नकारती थी और विदेशी लोगों को नापसंद करती थीं। ले पेन ने नेतृत्व संभाने के बाद इन विवादित मुद्दों से खुद को अलग कर लिया।

इन कदमों से उनकी लोकप्रियता तो बढ़ी लेकिन मतदाताओं के एक बड़े तबके के लिए वह अब भी अस्वीकार्य हैं। बताया जाता है कि गैर कानूनी प्रवासियों के मुद्दे पर उनका रुख बहुत सख्त हैं। उनकी राय में, ऐसे लोगों के लिए फ्रांस में जगह नहीं हैं जो फांस से बाहर से हैं। यही नहीं ले पेन ने 13 नवंबर 2015 के पेरिस हमले से पहले ही प्रवासियों को कट्टरपंथी इस्लाम से जोड़ दिया था।

वह नफरत भरे भाषण देने वाले लोगों को तुरंत देश से बाहर करने के हक में हैं। यही नहीं ले पेन सिर्फ फ्रांस और उसके लोगों के बारे में सोचने की बात करती हैं। नेशनल फ्रंट के घोषणापत्र के मुताबिक नौकरी, कल्याणकारी योजनाएं, घर, स्कूल और अन्य किसी भी सुविधा पर विदेशियों से पहले फ्रांस के लोगों का हक है।

अमेरिका में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की जीत को ले पेन ने नई विश्व व्यवस्था बनाने की दिशा में एक और कड़ी बताया था। कई मुद्दों पर उनकी नीतियां हूबहू डॉनल्ड ट्रंप की तरह नजर आती हैं। यही वजह है कि उन्हें लोग फ्रांस की ट्रंप के तौर पर देख रहे हैं।