नई दिल्ली। लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष और सांसद पीए संगमा का निधन हो गया है। उनका निधन शुक्रवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से हुआ। वह 68 वर्ष के थे। वह देश के नामचीन राजनेताओं में शुमार थे। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उनके निधन की खबर के बारे में सदन में घोषणा की जिसके बाद लोकसभा की बैठक दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया।

संगमा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए महाजन ने कहा कि सदन की कार्यवाही आनंदपूर्ण माहौल में कैसे चलाते हैं, सच कहें तो इसके बारे में उन्हें संगमा से सीखने को मिला । अध्यक्ष ने कहा, ‘जन नेता संगमा ने लगातार वंचित तबकों के उत्थान के लिए काम किया ।’ संगमा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह ‘‘एक स्वनिर्मित नेता थे जिनका पूर्वोत्तर के विकास में बड़ा योगदान है। उनके निधन से दुखी हूं।’ उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के रूप में संगमा का कार्यकाल ‘अविस्मरणीय है । जमीन से जुड़े उनके व्यक्तित्व तथा मिलनसार व्यवहार ने उन्हें अनेक लोगों का मुरीद बना दिया।’ उन्होंने कहा, ‘संगमा जी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से अत्यंत प्रभावित थे।’ संगमा नौ बार लोकसभा के सदस्य रहे और वह 11वीं लोकसभा के अध्यक्ष थे। उनके पास केंद्र सरकार में भी महत्वपूर्ण पद रहे। वह 1988 से 1990 तक मेघालय के मुख्यमंत्री और 1990 से 1991 तक विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे।

मेघालय में वेस्ट गारो हिल्स के चापाहती गांव में जन्मे संगमा छोटे से आदिवासी गांव में पले बढ़े और जीवन में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष किया। सेंट एंथनी कॉलेज से स्नातक पूरी करने के बाद वह अंतरराष्ट्रीय संबंध विषय में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल करने असम के डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय गए । कांग्रेस से नाता टूटने के बाद संगमा ने राकांपा के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2012 में राकांपा से भी उनका तब नाता टूट गया जब उन्होंने राष्ट्रपति पद के चुनाव से नाम वापस लेने के पार्टी के फैसले को मानने से इनकार कर दिया। जनवरी 2013 में उन्होंने नेशनल पीपुल्स पार्टी का गठन किया।