नई दिल्‍ली।

विश्व पर्यावरण दिवस पर गूगल ने एक डूडल तैयार किया है। इस डूडल को गूगल ने अपने होम पेज पर लगाया है। गूगल पूरी तरह से हरे रंग में लिखा हुआ आ रहा है। एल ऐसे डिजाइन किया गया है कि उसमें से पेड़ की पत्तियां निकलती दिखाई दे रही हैं। पीएम मोदी ने ट्वीट किया है कि प्रकृति से जुडना खुद से जुड़ना है। प्रकृति को महसूस करने और उसमें आ रहे बदलावों को देखने के लिए हम सभी को प्रकृति के करीब जाना होगा। यही वजह है कि संयुक्‍तराष्‍ट्र ने पर्यावरण दिवस 2017 के लिए ‘कनेक्टिंग पीपल टू नेचर’ थीम रखी है।

एक कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि अगर लोग मुद्दे का निराकरण करने के लिए आगे नहीं आए तो पेरिस में हुई बैठक जैसी कोई बैठक या कोई भी कानून पर्यावरण की रक्षा नहीं कर सकता है। उन्‍होंने कम से कम में काम चलाने वाली जीवनशैली की वकालत की।

लखनऊ के इंदिर गांधी प्रत‌िष्ठान में आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने कहा, ये कार्यक्रम पर्यावरण की चिंता को दर्शाता है। व्यक्त‌ि जितना पर्यावरण के नजदीक रहेगा उतना ही अधिक स्‍वस्‍थ और दीर्घायु होगा। अगर हम संतुलन बनाने की कोशिश नहीं करोंगे तो संकट का नया दौर पैदा कर लेंगे। प्राकृतिक जंगल नस्ट हो रहे है लेकिन कंक्रीट के जंगल दिख रहे हैं।

पौधा गिफ्ट करने की पहल    

नोएडा स्थित मारवाह स्टूडियो में पर्यावरण दिवस के अवसर पर छात्रों को सम्बोधित करने पहुंचे टीसाइड ​डिजाइनिंग ​यूनिवर्सिटी के एसोसिएट डीन वारेन हैरिसन ने कहा, मैं यह कहना चाहूंगा कि हमें जरूरत है स्कूलों से ही बच्चों को पर्यावरण के बारे में जागरूक बनाएं जिससे वे रोज़ स्कूल के साथ साथ अपने घरों में भी पौधों को पानी दें और उनकी देखभाल करें।

अभिनेत्री प्रियंका कोठारी,  हरित क्रांति सरिता विहार के प्रेसीडेंट जेएस सलूजा, पर्यावरणविद् केडी गुप्ता,  आईएसडी कॉउन्सिल के डायरेक्टर जेपी सिंह और सुदीप राय ने भी पर्यावरण दिवस पर अपने विचार रखे। स्टूडियो के निदेशक संदीप मारवाह ने कहा कि हमने एक मुहिम शुरू की है कि हर शुभ अवसर पर एक पौधा गिफ्ट किया जाए ताकि हमारी धरती हरी भरी हो सके।

कब हुई शुरुआत

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर 1972 में संयुक्तराष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में दुनिया के सभी देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था। अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण चेतना और पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत इसी सम्मेलन से मानी जाती है। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और सभी ने एक ही धरती के सिद्धांत को मान्‍य करते हुए दस्तखत किए। इसके अगले साल यानी 5 जून 1973 से सभी देशों में विश्‍व पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा।