नई दिल्ली।

अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर 6.1 तीव्रता का भूकंप आने के बाद भारत से लेकर अफगानिस्तान तक झटके महसूस किए गए। यह जानकारी भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने दी। अमेरिका जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) ने बताया कि उत्तरी अफगानिस्तान में शक्तिशाली भूकंप आया, जिसका केंद्र हिंदूकुश पर्वतों में ताजिकिस्तान से लगती अफगानिस्तान की उत्तरी सीमा पर 191 किलोमीटर की गहराई में था।

दिल्ली-एनसीआर सहित उत्तर भारत के तकरीबन सभी राज्यों में बुधवार को दोपहर भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप बुधवार 12.35 मिनट पर आया और कई जगहों पर लोगों ने पांच मिनट तक झटके महसूस किए। उत्तर भारत के साथ भूकंप के झटके पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान में काफी तेज महसूस किए गए।

एक ओर जहां पाकिस्तान के लाहौर में भूकंप आया, वहीं अफगानिस्तान के हिंदूकुश इलाके में भूकंप के झटके महसूस किए गए। पाकिस्तान मीडिया की मानें तो पाक के बलूचिस्तान में भूकंप की वजह से एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई के घायल होने की खबर है।

जानकारी के मुताबिक, भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर, यूपी, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और दूसरे राज्यों में भी महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.0 मापी गई है, वहीं भूकंप का केंद्र पड़ोसी देश अफगानिस्तान (हिंदूकुश) में था।

नेशनल सेंटर फॉर सिस्मॉलोजी के डायरेक्टर वीके गहलोत के मुताबिक, भूकंप धरती में 190 किलोमीटर अंदर था और यहां पर अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान की सीमा लगती है। फिलहाल इस भूकंप से किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। भूकंप के झटके लगने पर लोगों में दहशत का माहौल बना रहा।

पंजाब, हरियाणा, यूपी,  दिल्ली के साथ कश्मीर घाटी में भी भूकंप के झटकों से सनसनी फैल गई। बुधवार दोपहर वादी में दोपहर 12.35 बजे भूकंप के तीव्र झटकों से जमीन हिलने लगी। करीब पांच सेकेंड तक भूकंप के झटके महसूस हुए। भूकंप दो बार आया। पहली बार झटका धीमा और मात्र दो सेकेंड का रहा,  जबकि दूसरा भूकंप करीब दो मिनट बाद शुरु हुआ और पांच सेकेंड तक महसूस होता रहा।

राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली अधिक तीव्रता वाले जोन 4 में आती है वहीं, भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड के उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रपयायग, बागेश्वर जोन पांच जबकि नैनीताल, अल्मोड़ा जोन चार में हैं। इसके अलावा नार्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट से रामेश्वर, घाट, सरयू, भैंसियाछाना, सेराघाट, द्वाराहाट, श्रीनगर आदि से गुजरती है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की एक बड़ी समस्या आबादी का घनत्व भी है। दो करोड़ की आबादी वाली राजधानी दिल्ली में लाखों इमारतें दशकों पुरानी हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में भूकंप के साथ-साथ कमज़ोर इमारतों से भी खतरा है। एक अनुमान के मुताबिक, दिल्ली की 70-80% इमारतें भूकंप का औसत से बड़ा झटका झेलने के लिहाज़ से डिज़ाइन ही नहीं की गई हैं। पिछले कई दशकों के दौरान यमुना नदी के पूर्वी और पश्चिमी तट पर बढ़ती गईं इमारतें ख़ास तौर पर बहुत ज़्यादा चिंता की बात है क्योंकि अधिकांश के बनने से पहले मिट्टी की पकड़ की जांच नहीं हुई है।