अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेरिस समझौते के नाम पर भारत समेत एशिया के कई बड़े देशों पर निशाना साधा है। ट्रंप ने पेन्सिल्वेनिया में आयोजित एक रैली में कहा कि पेरिस समझौता एक तरफा है। इस समझौते के तहत अमेरिका खरबों डॉलर खर्च कर रहा है, जबकि रूस, चीन और भारत जैसे प्रदूषण फैलाने वाले देश ‘कुछ नहीं’ दे रहे।
राष्ट्रपति पद पर काबिज होने के सौ दिन पूरे होने के मौके पर आयोजित इस रैली में ट्रंप ने दो टूक कहा कि इस समझौते पर अगले 15 दिनों में ‘बड़ा फैसला’ लिया जाएगा। इसके तहत पैसों का भुगतान करने के लिए अमेरिका को ‘गलत तरीके’ से निशाना बनाया जा रहा है, जबकि प्रदूषण फैलाने वाले रूस, चीन और भारत जैसे बड़े देश कुछ भी योगदान नहीं दे रहे।

ट्रंप के दावे के अनुसार, इस समझौते के साथ प्रतिबद्धता दिखाने के तहत अमेरिकी जीडीपी को एक दशक में 2500 अरब डॉल का नुकसान होगा। ट्रंप ने कहा कि इस ‘अतिरिक्त’ खर्च के चलते अमेरिका में कई फैक्ट्रियां और प्लांट्स बंद हो जाएंगे। उन्होंने राष्ट्रपति पद पर सौ दिन पूरे होने के मौके पर अपने भाषण में कहा, ‘‘मैं अगले दो सप्ताह में पेरिस समझौते पर बड़ा फैसला करूंगा और हम देखते हैं कि क्या होता है.’’

क्या है पेरिस समझौता
जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने और वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को दो डिग्री सेल्सियस तक नीचे लाने के लिए यह समझौता किया गया था। इसके तहत ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए कदम उठाने पर सहमति बनी थी। पेरिस में 197 देशों ने जलवायु परिवर्तन समझौते को स्वीकार किया था। इसके तहत जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकसित देशों की ओर से विकासशील देशों की मदद के लिए साल 2020 से 100 अरब डॉलर हर साल देने की प्रतिबद्धता जताई गई। लिहाजा इस समझौते को विकसित देश अपने खिलाफ मानते हैं। ऐसे में ट्रंप ने इसे अब उलटने की योजना बनाई है।